eMag_March2022_DA | Page 15

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इसलावमक जिहादी संस्ा पीएफआई की उपकस्वत भी साफ तौर पर सपष्ट हो चुकी है जिसके विरुद्ध अलगाववादी व आतंकवादी गतिविवध्यों के संदर्भ में ददेश की सिवोच्च सुरक्षा एजेंसी - एनआईए जांच एजेंसी जांच कर रही है और जो ददेशभर में इसलावमक कट्टरता और अराजकता फैलानदे में लिपत है । इसकी छात् विंग कैंपस फ्ंट ऑफ इंवड्या का ब्यान भी मीवड्या में आ चुका । ्यह सं्योग है ्या षड्ंत् , ्यदे आप त्य करें किनतु ्यह तथ्य और सत्य है कि जैसदे ही कॉंग्रेस नदे कट्टरपंव््यों की चाल के समर्थन में टिीट करना प्रारमभ वक्या पाकिसतान सदे भी उसी सिर में अनदेक तावल्यां बजनदे लगीं । एक ओर जहां कभी कट्टरपंव््यों का विरोध व विद्ाव्ना्यों का समर्थन करनदे वाली पाकिसतानी नोबल विजदेता मलाला , जिसनदे हलाला पर भी कभी मुंह नहीं खोला , हिजाब का हिसाब मांगनदे लगी । इतना ही नहीं , पाकिसतान के अनदेक मंत्ी , नदेता व वहां की पूर्व प्रधानमनत्ी की बदेटी भी इस हिजाब जिहाद की समर्थक बन टिीट पर टटूट पड़ीं । कॉंग्रेस के टिीट पर पाकिसतान ताली ना बजाए ऐसा कैसदे हो सकता था !
संविधान से ऊपर नहीं शरियत
्यदे कट्टरपंथी हर चीज़ को शरी्यत के पैमानदे सदे नापनदे लग जातदे हैं लदेवकन हक़ीक़त में शरी्यत उनके हलक़ सदे भी नीचदे कभी नहीं उतरा । वैसदे भी ्यह भारत है जो , संविधान सदे चलता है ना कि शरी्यत की नसीहतों सदे । जिसकी आड़ में मुकसलम महिलाओं को हलाला , तीन तलाक , बहु-विवाह , बहु बच्चदे , बाल-विवाह , हिजाब व बुकके जैसी अनंत बदेवड़्यों में जकड़ के रखा जाता है । उनहें मदरसों में मौलवि्यों के पास तो जानदे की छटूट है किनतु मकसजदों में नहीं ? िदे मुकसलम मदषों को खुश करनदे की साधन तो होती हैं किनतु कभी मुलला , मौलवी ्या काजी नहीं बन सकतीं । मोदी सरकार सदे पूर्व तो पुरुष के बिना महिलाओं को हज तक की अनुमति नहीं थी । पुत्रियों को संपत्ति में अधिकार आज तक नहीं ! अपनदे ही दत्तक पुत्ों सदे पर्दा कैसा ? उनहें संपत्ति में अधिकार क्यों नहीं ? जो लोग इसलाम को वैज्ावनक व प्रगतिशील बतातदे हैं उनके लिए ्यदे बहुत बड़ी चुनौवत्यां हैं । ्यवद उनको विरोध ही करना था तो इन बुराई्यों व अत्याचारों के विरुद्ध
बिगुल फकूँकतीं । किनतु शा्यद ्यवद किसी नदे ऐसा वक्या तो उसका अंजाम भी लोगों नदे ददेखा है । वैसदे जिन लड़वक्यों नदे हिजाब के लिए विद्ाल्य में जिहाद वक्या उनके िदे फ़ोटो व वीवड्यो भी आजकल सोशल मीवड्या में खूब वा्यरल हैं जिनमें िदे स्वयं फटी जींस टी-शर्ट में बिना किसी सकाफ्फ , हिजाब ्या बुकके के सार्वजनिक स्ानों पर मसती करतदे हुए नजर आ रही हैं किनतु विद्ाल्यों में ..। क्या विद्ाल्य में घुसतदे ही उनका इसलाम खतरदे में ्या जाता है !
कट्टरपंथियों का मुहरा ना बनें
खैर ! अब सीबीएसई नदे अपनी फाइनल परीक्षाओं की तिथि घोषित कर दी है । आगामी 26 अप्रदेल सदे िदे परीक्षाएं ददेश भर में होनदे वाली हैं । अब विद्ाव्ना्यों को स्वयं को राजनीति ्या कट्टरपंव््यों का मुहरा बननदे की बजा्य अपनी पढ़ाई पर ध्यान करेंवद्रत करना चाहिए । गििदेश तो पहनना ही पड़़ेगा इसी में सब की भलाई भी है । हम 21वीं सदी के नागरिक हैं जो अपनी आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहदे हैं । हमें किसी टटूलकिट गैंग का हिससा नहीं अपितु अच्छे अंकों के साथ उत्तम परीक्षा परिणाम प्रापत करनदे पर ध्यान करेंवद्रत करना है । संघर्ष हो तो पढ़ाई के लिए व नंबरों के लिए । वासतविकता तो ्यह है कि इसलावमक कट्टरपंव््यों को ददेश में एकता ्या एकरूपता पच नहीं रही । िदे बारंबार अपनी अलग पहचान चाहतदे हैं । िदे चाहतदे हैं कि मुकसलम बदेवट्याँ अशिक्षित रह कर उनके उत्पीड़न की शिकार बनी रहें । उनका एक ही एजेंडा है जो विभाजन के सम्य जिन्ना की मुकसलम लीग नदे वद्या था । ‘ लड़ के वल्या है पाकिसतान , हंस के लेंगदे हिंदुसतान ’। आज हिजाब , कल बुरखा , परसों नमाज , फिर मकसजद , मदरसा , हलाल और फिर ...। विभाजनकारर्यों के ्यदे रड्नत् अब सफल नहीं होनदे वालदे । ्यदे अफगानिसतान नहीं जहां बदेवट्यों को शिक्षा सदे वंचित वक्या जाए । हम एक-एक बदेटी को शिक्षित व जागरूक नागरिक बनाएंगदे चाहदे िदे किसी भी मत-पंथ , संप्रदा्य , भाषा-भूषा ्या क्षेत्र की हो । �
ekpZ 2022 दलित आं दोलन पत्रिका 15