संकल्प से सिद्धि की यात्ा
सरतंत्र भतारत में पैदता हुए प्रधतानमंत्री नरेंरि मोदी ने स्वामी विवेकतानंद के विचतारों को आतमसतात कर भतारत को एक नई दिशता दी है । इसी कता परिणताम है कि बीते 8 रषयों में ‘ राष्ट्र प्रथम ’ की सोच प्रतयेक योजनताओं और नीतियों कता आधतार रही है । उनकता संदेश सपषट है- अब देश धीमी गति से नहीं चल सकतता , टूटता-फूटता , आधता-अधूरता नहीं चल सकतता । छोट़े-छोट़े कदमों से बड़ा रतासलता तेजी से तय नहीं हो पताएगता ।
“ बाबा साहेब की विचारधारा के मूल में समानता अनेक रूपों में निहित रही है । सम्ान की समानता , कानून की समानता , अधिकार की समानता , मानवीय गरिमा की समानता , अवसर की समानता । ऐसे कितने ही विषयों को बाबा साहेब ने अपने जीवन में लगातार उठाया । उन्ोंने हमेशा उम्ीद जताई थी कि भारत में सरकारें संविधान का पालन करते हुए बिना पंथ का भेद किए हुए , बिना जाति का भेद किए हुए चलेंगी । आज इस सरकार की हर योजना में आपको बिना किसी भेदभाव सभी को समानता का अधिकार देने का प्रयास दिखेगा ।“ — नरेंद्र मोदी , प्रधानमंत्ी
इसलिए , जो भी करनता होगता वो बडता ही करनता पड़ेगता । इसी सोच ने भतारत के सतामताद्य जन कता मन बदलता है और इसी कतारण से देश आज संकलप भी लेतता है और कसकद् भी प्रतापत कर रहता है । प्रधतानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को वैभवशताली बनताने की जो संकलप यतात्रता शुरू की है , उसे अमृत कताल नताम दियता है । केवल बड़े फैसले लेनता ही नहीं , उसे परिणति तक पहुंचतानता बीते 8 रषयों में मौजूदता सशकत नेतृतर रताली केंरि सरकतार कता मूलमंत्र रहता है । जनभतागीदतारी और जन सतामरय्व को सुशतासन कता सतारथी बनता इस
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