eMag_June2022_DA | Page 12

doj LVksjh

जन्म के बताद पहले 1000 दिन पर विशेष फोकस कियता जता रहता है । 0 से 6 सताल तक के बच्चे , गर्भवती महिलता और धतात्री महिलताओं के स्वासरय और पोषण में सुधतार के लिए राष्ट्रीय पोषण मिशन कता गठन कियता गयता है । इनमें कुपोषण को चरणबद् तरीके से दूर करने के लिए 3 सताल कता लक्य कनधता्वरित कियता गयता है । भतारत ने 2030 तक सभी तरह की भूख और कुपोषण को समतापत करने कता लक्य रखता है । सताथ ही लोगों , विशेष रूप से बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलबध कररताने कता लक्य रखता है । सतार्वजनिक रताशन दुकतानों से इसके लिए फोर्टिपताइड चतारल बतांटने की शुरुआत की गई है ।
जल जरीिन द्िशन -हर घर जल
सरचछ पीने के पतानी की सुगमतता से उपलबधतता सुदूर ग्रामीण क्ेत्रों से लेकर तमताम गतांवों व कसबों के लिए ट़ेढ़ी खीर रहता है । पतानी की परेशतानी की मतार भी सबसे अधिक गरीब व वंचित तबके की महिलताओं को ही झेलनी पडती थी जिन्हें अपने परररतार के लिए पतानी लताने के लिए रोजतानता मेहनत और जद्ोजहद करनी पडती थी । इस परेशतानी को दूर करने के लिए 15 अगसत , 2019 को हर घर में नल से शुद् जल उपलबध करताने के लिए जल जीवन मिशन की शुरूआत की गई । इसकता लक्य 2024 तक हर घर को नल से जल की सुविधता उपलबध करता देने की है । योजनता की शुरूआत के बताद कतारी तेजी से इस पर कताम आरंभ हुआ और शुरुआती 32 महीने में ही करीब 6.30 करोड़ नए नल कनेकशन उपलबध करता दिए गए । अब 19.32 करोड़ ग्रामीण परररतार में से करीब 9.35 करोड़ के घर में पतानी मिलने लगता है । गोरता , तेलंगतानता और हरियताणता रताजय के सताथ अंडमतान निकोबतार द्ीप समूह , दतादर व नतागर हवेली , दमन व दीव में अब हर घर जल पहुंचता दियता गयता है । योजनता पर 3.6 लताख करोड़ रुपए खर्च होंगे जिसमें 2.08 करोड़ रुपए केंरि सरकतार कता हिस्सा है । 31 मताच्व , 2022 तक 61,120 करोड़ रुपए खर्च हो चुके जबकि चतालू करत्रष्व में 3.8 करोड़ परररतारों के घर पतानी पहुंचताने के लिए 60 हजतार
करोड़ रुपए कता बजट आवंटित कियता गयता है । स्वच्छ भारत द्िशन ग्रामीण
देश को खुले में शौच मुकत बनताने के लिए आरंभ की गई इस योजनता में 2014 से अब तक 10.93 करोड़ से अधिक वयन्कतगत घरेलू शौचतालय कता कनमता्वण कियता गयता है । उसी आधतार पर देश के सभी गतांवों ने खुद को 2 अकटूबर , 2019 को खुले में शौच से मुकत यतानी ओडीएफ घोषित कियता । ओडीएफ हताकसल करने के बताद 2025 तक सभी गतांवों को ओडीएफ पलस बनताने यतानी ओडीएफ की स्थिरतता पर ध्यान केंकरित करके ठोस व तरल कचरता प्रबंधन की वयरस्था के लिए सरचछ भतारत मिशन ग्रामीण चरण-दो चलतायता जता रहता है । यह मतांग आधतारित परियोजनता है जिसके लिए रताजय अपनी-अपनी परियोजनताएं भेजते हैं जिस पर राष्ट्रीय योजनता समिति मंजूरी देती है । करीब 54 हजतार गतांव ठोस कचरता प्रबंधन और 29 हजतार गतांव में तरल कचरता प्रबंधन की वयरस्था कता कताम पूरता हो चुकता है । गोबरधन योजनता भी इसी कता हिस्सा ।
स्वच्छ भारत द्िशन शहररी
शहरों में सतार्वभौमिक सरचछतता प्रतापत करने के लिए 2 अकटूबर , 2014 को आरंभ की गई इस योजनता की सफलतता कता ही नतीजता है कि शहरों में सीधे तौर पर दिखने रताली सरचछतता पर जोर बढ़ता है और अब सिंगल यूज प्लास्टिक से भी लोग दूरी बनता रहे हैं । इसके तहत अब तक 62.65 लताख वयन्कतगत पतारररतारिक शौचतालयों कता कनमता्वण कियता जता चुकता है । इसी तरह 6.21 लताख सतामुदताकयक और सतार्वजनिक शौचतालय सीटों कता कनमता्वण कियता गयता है । नगरीय ठोस कचरता प्रबंधन के लिए 89,650 वार्डों में से 87,095 वार्डों में घर घर जताकर 100 फीसदी कचरता एकत्र कियता जता रहता है । योजनता जब शुरू हुई थी , तब देश में 20 फीसदी कचरता प्रसंसकरण की ही क्मतता थी जो अब बढ़कर 72 फीसदी हो गई है । " कचरता मुकत शहर " बनताने के समग् दृष्टिकोण से सरचछ भतारत मिशन शहरी 2.0 कता शुभतारंभ 2 अकटूबर 2021 को कियता गयता है । दूसरे चरण के 5 वर्ष में मल कीचड़ व
12 twu 2022