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उपशिषट जल प्रबंधन के सताथ एकल उपयोग के प्लास्टिक पर अंकुश और कनमता्वण संबंधी कचरे के प्रभतारी प्रबंधन पर जोर दियता जता रहता है ।
प्रधानमंत्री उजाला योजना
गरीबों व वंचित तबके के परररतारों को भी बिजली की रोशनी की सुविधता उपलबध करताने के लिए 5 जनवरी 2015 को शुरू की गई इस योजनता कता मकसद हर घर में ससते एलईडी बलब उपलबध करतानता है । उन्नत जयोकत बताय अफोडडेबल एलईडीज फॉर ऑल ( उजतालता ) कताय्वक्रम दुनियता कता सबसे बड़ा गैर-सब्सिडी प्रतापत सरदेशी प्रकताश कताय्वक्रम बन गयता है । इसके तहत 70 रुपये में एलईडी बलब , 220 रुपये में एलईडी ट्ूबलताइट और 1110 रुपये में एलईडी पंखे उपलबध करताए जता रहे हैं । 2014 तक जो एलईडी बलब 350 रुपये मे मिल रहता थता , वह अब 70 रुपये में उपलबध है । वहीं , ग्राम उजतालता अभियतान के तहत 10-10 रुपये में एलईडी उपलबध करताए जता रहे हैं । योजनता
की शुरुआत से 22 अप्रैल 2022 तक 36.79 करोड़ एलईडी बलब कता वितरण हो चुकता है ।
प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना
गरीबों और वंचित तबके के लोगों को भी बिजली की सुविधता पताने कता हक देने और देश के अंतिम छोर तक हर घर को बिजली कनेकशन से जोडने के मकसद से चलताई गई इस योजनता के तहत गरीब परररतारों को नि : शुलक बिजली कनेकशन उपलबध करतायता जतातता है । जो इसके
पतात्र नहीं हैं , उन्हें 500 रुपये के न्यूनतम शुलक पर कनेकशन मिलतता है । देश के 99.99 फीसदी घरों में बिजली कनेकशन पहुंच चुकता है । योजनता के तहत अब तक 2 करोड़ 63 लताख से अधिक घरों में बिजली कता कनेकशन पहुंच चुकता है । स्वद्नधि ऋण योजना
छोटी पूंजी के सहतारे रेहड़ी-पटरी लगताकर सररोजगतार करने रतालों के स्वावलंबन कता प्रतीक बनी सरकनकध योजनता कता कोरोनता कताल में गरीबों , वंचितों और कमजोर तबके के लोगों को बहुत सहतारता मिलता है । कोविड कताल में सबसे ज्यादता आर्थिक मतार झेलने रताले रेहड़ी-पटरी रतालों को 10 हजतार रुपये तक कता ऋण सरकनकध योजनता के जरिए दियता जतातता है । पीएम सरकनकध को दिसंबर , 2024 तक जतारी रखने की मंजूरी
कैबिनेट ने दी है । इससे शहरी क्ेत्र के लगभग 1.2 करोड़ लोगों को लताभ होगता । इस योजनता के तहत अब तक 2931 करोड़ रुपये के 29.6 लताख ऋण वितरित किए जता चुके हैं ।
उकत वर्णित योजनताएं महज बतानगी भर हैं , यह बतताने के लिए कि बीते आठ सतालों के दौरतान गरीबों , वंचितों और अनुसूचित वर्ग के लोगों कता किस तरह से प्रताथमिकतता के आधतार पर सरकतार ने पूरता ध्यान रखता है और उनकता हित सुनिश्चित करने के लिए किस व्यापक पैमताने पर एक के बताद एक चरणबद् तरीके से कदम उ्ताए गए हैं । इसके अलतारता जतातीय स्वाभिमतान कता सम्मान करते हुए अनुसूचित समताज के महतानतायकों की विरतासत को मतान सम्मान देने में जरता भी कोतताही नहीं बरती गई है । अतीत से बिलकुल अलग राष्ट्र के उन गुमनताम नतायकों को जिन्हें अब तक उपेकक्त रखता गयता थता , उन्हें पहचतान दिलताने की दिशता में पहली बतार केंरि सरकतार ने कदम उ्ताए , तताकि अभूतपूर्व कताम करने रतालों कता सम्मान कर युरता मन को राष्ट्र कनमता्वण में अमूलय योगदतान के लिए जाग्रत और प्रेरित कियता जता सके । संविधतान कनमता्वतता डॉ बी . आर . अमबेडकर आधुनिक भतारत के कनमता्वतताओं में से एक थे । भतारत के रताजनीतिक व सतामताकजक चिंतन में उनकता योगदतान अकद्तीय रहता है । हतालतांकि पहले उस तरह से उनकी विरतासत कता सम्मान नहीं दियता गयता जिसके वे हकदतार थे । इन्हीं ऐतिहताकसक गलतियों को सुधतारते हुए नरेंरि मोदी सरकतार ने ऐतिहताकसक महतर के उन स्थानों के विकतास कता सताहसिक निर्णय लियता , जो ‘ पंचतीर्थ ' के रूप में डॉ . अमबेडकर के जीवन से निकटतता से संबंधित थे । डॉ . अमबेडकर के सम्मान में 26 नवंबर को ' संविधतान दिवस ' के रूप में घोषित कियता गयता । यह समताज के शोषित , पीकडत व वंचित तबके के स्वाभिमतान को जतागृत करने के लिए कियता गयता है और सरकतार की तमताम योजनताएं भी इसी मकसद से संचताकलत की जता रही हैं । ऐसे में यह कहनता कतई अतिशयोक्तिपूर्ण नहीं होगता कि दलित , वंचित , शोषित व अनुसूचित समताज के हितों के लिहताज से बीते आठ सताल बेमिसताल और अतुलनीय रहे हैं । �
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