eMag_June2021_Dalit Andolan | Page 6

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जाति करी ईश्वररीर अ्वधारणा के चलते डॉ . आंबेडकर ने जाति व्यवसथा को हिंदू धर्म करी प्रार्वायु बताया और साफ श्दों में कहा कि ऊंच-नरीच के भेदभा्व के चलते हिंदू धर्म कभरी मिशनररी धर्म नहीं बन पाया , जबकि अनर धर्म जैसे बौद्ध धर्म अनेक देशों करी सरीमाएं पार कर गए । जाति व्यवसथा ल्वरोधरी , अहिंसक तथा ल्वश्वबुंधत्व्वादरी होने के कारण डॉ . आंबेडकर ने बौद्ध धर्म ग्हण किया । इनहीं कारणों से उनहोंने बौद्ध धर्म को दलितों के लिए सबसे उचित धर्म बताया । संक्ेप में डॉ . आंबेडकर का यहरी सामाजिक चिंतन था । संल्वधान के माधरम से उनहोंने भारतरीर जनतंत् को ल्वकासशरील बनाया , जिस कारण देश करी एकता मजबूत हुई ।
डॉ . आंबेडकर का राजनरीलतक चिंतन भरी जाति व्यवसथा से उतपन्न परिससथलतरों से प्रभाल्वत हुआ था । ्वह 1920 के दशक से हरी दलितों के लिए पृथक मतदान करी मांग करने लगे थे । इसके परीछे उनका तर्क था कि ऐसा होने से जाति व्यवसथा के ल्वरोध तथा दलितों के हित में काम करने ्वाले हरी चुनकर ल्वधानसभा तथा लोकसभा में पहुंच सकेंगे अनरथा दलित सथालपत पार्टियों के दलाल बनकर रह जाएंगे । गांधरी िरी के प्रबल ल्वरोध और आमरण अनशन के कारण पृथक मतदान करी मांग ्वापस ले लरी गई , जिसके बदले मौजूदा आरक्र व्यवसथा लागू हुई । यह व्यवसथा पूना पैकट के नाम से जानरी जातरी है । पूना पैकट का सबसे अधिक प्रभा्व शिक्ा के क्ेत् में पड़ा । लाखों करी संखरा में दलित लशलक्त होकर हर श्रेणी करी नौकरियों में शामिल हुए और उनहोंने सामाजिक परर्वत्यन करी दिशा बदल दरी । लेकिन आरक्र नरीलत सहरी ढंग से लागू न होने के कारण दलित समाज का नुकसान भरी हुआ है । डॉ . आंबेडकर करी आशंका सहरी सिद्ध हुई । ल्वधानसभा तथा लोकसभा में चुने हुए प्रतिनिधि दलित मुसकत के स्वाल पर नकारातमक भूमिका में आ गए ।
सालों-साल चलतरी रहरी इसरी भूमिका के कारण काशरीराम करी बहुजन समाज पाटटी का
1984 में उदय हुआ । काशरीराम ने ्वत्यमान जनतांलत्क प्रणालरी में दलितों करी भूमिका को
' चमचा युग ' बताया । इसलिए उनहोंने बसपा का जो ्वैचारिक आधार खड़ा किया ्वह डॉ .
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