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अहेरिया-बहेलिया-करवल-पसिया हम सब हैं एक
अनुसदूतचत जाति का दर्जा मिलना चाहिए अहेरिया समाज को
माननीय मुखयमंत्ी योगी आदितयनाथ जी
उत्र प्रदेश हमारा समाज अहेरिया जाति के अनतग्यत आता है , जो भरील ( बहेलिया ) करी उपजाति है । हमारे पू्व्यि राजसथान के चित्ौड़गढ़ से निकले हुए हैं । यह सभरी ्वरीर महाराणा प्रताप के अंगरक्क हुआ करते थे तथा उनकरी सेना में मुखर भूमिका में कार्य करते थे । ये लोग निशानेबािरी में अव्वल नमबर हुआ करते थे । महाराणा प्रताप के दरबार में जब भरी निशानेबािरी करी प्रतियोगिता होतरी थरी , तब यह प्रतियोगिता जरादातर भरील समुदाय के लोग हरी िरीतते थे । िरीत के बाद उनहें अहेरिया उपाधि दरी जातरी थरी । इसरीलिए यह जाति अहेरिया के नाम से भरी प्रसिद्ध हुई । उस समय निशाना जरादातर जंगलरी जान्वर पर लगाया जाता था । शिकार का निशाना लगाना श्द का अर्थ होता अहेरिया और यहरी से हमाररी जाति का नाम अहेरिया पड़ा । यहरी से कुछ भरील ( बहेलिया ) अपने आपको अहेरिया भरी बोलने लगे ।
अहेरिया जाति के लोग मे्वाड के जंगलों में रहा करते थे । ये मुखरता शिकाररी थे । जंगलरी जान्वरों का शिकार करते थे । भरील समुदाय ने महाराणा प्रताप के साथ मुगलो के साथ कई युद्ध लड़े और अंत तक उनका साथ दिया । उस समय एक नारा दिया था रानरी ज्यायी भरीलरी ज्यायी आपस में है भाई-भाई ! जब औरंगजेब के समय पर मुगलों ने धर्मपरर्वत्यन के लिए मुहिम चलाररी तो इन सभरी ने मृतरु को तो स्वरीकार किया , धर्मपरर्वत्यन से इंकार करने के साथ मुगलों करी गुलामरी करने से इंकार कर दिया । इसरी ्विह से राजसथान के जंगलों से निकलकर उत्र प्रदेश के अलग-अलग सथानो पर चले गये । इनहोंने अपने हिनदू धर्म ए्वं हिनदुत्व करी रक्ा करी अपने कुल मर्यादा को बचाया और ्वहीं से इस समाज का निकासा हुआ । इस समाज ने युगों युगों से हिनदू और हिनदुत्व करी रक्ा करी है ।
अहेरिया जाति का जरादातर समूह उत्र प्रदेश में लन्वास करता है । इस जाति के लोगों करी संखरा लगभग 13 लाख है । उत्र प्रदेश में लगभग दस लाख , जबकि अनर हरियाणा , राजसथान , दिल्ली में लन्वास कर रहरी है । यह समाज काफरी गररीब हैं , लगभग 80 प्रतिशत लोग गररीबरी रेखा के नरीचे आते है । मजदूररी करके अपना िरी्वन यापन करते हैं । यह समाज समपूर्ण भारतरीर है ।
लेकिन भारतरीर होते हुए यहां इनके साथ किसरी भरी सरकार ने आजादरी से लेकर आज तक कोई अधिकार नहीं दिये । आजादरी से पहले अहेरिया समाज लब्लटश सरकार में अनुसूचित जाति के अंतर्गत आता था । 1911,1930,1936 और 1950 के गजट मे भरी अहेरिया जाति को अनुसूचित जाति में रखा गया था । इसके बा्विूद अहेरिया समाज को मूलभूत अधिकार प्रा्त नहीं हुए हैं ।
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