है । आज ये ्वामपंथरी ऐसा दिखाने करी कोशिश करते हैं जैसे बौद्ध धर्म हरी अब इनकरी ल्वघटनकाररी एजेंडे का पर्याय हो । ्वामपंथियों ने सदै्व देश को बांटने का काम किया है । कभरी पिछड़ों को भड़काकर , तो कभरी मुससलमों को झूठा डर दिखाकर ।
ऐसा बहुत कुछ है , जिसे ये छिपा जाते हैं जैसे मुससलम लरीग पर संल्वधान सभा के प्रथम अलध्वेशन में 17 दिसंबर 1946 को दिया गया उनका ्वकतवर भरी उनके हिंदुसतान के प्रति अटूट दृढ़ता का प्रतरीक है । उनहोंने कहा था कि आज मुससलम लरीग ने भारत का ल्वभाजन करने के लिए आनदोलन छेड़ रखा है , दंगे फसाद शुरू किए हैं , लेकिन भल्वषर में एक दिन इसरी लरीग के कार्यकत्ा्य और नेता अखंड भारत के हिमायतरी बनेंगे , यह मेररी श्द्धा है । आज पाकिसतान करी
जो हालत है ्वह किसरी से छिपरी नहीं है । करा हुआ उसे हासिल ? आज न ्वह खुद चैन से है और न हरी पड़ोलसरों को चैन से रहने दे रहा है । आतंक करी खेतरी का गढ़ बन चुका है , फिर भरी ्वामपंथियों पक्कारों का ्रार जब तब उसके लिए उमड़ता रहता है । देश आए दिन उनकरी हर ल्वघटनकाररी , देश ल्वनाशक गलतल्वलध पर रिएकट करता है । ऐसे में इनहें कभरी लोकतंत् तो कभरी कुछ और खतरे में नज़र आने लगता है ।
हिनदू धर्म अपने आप में सदै्व ल्वकसित होते रहने ्वाला धर्म है । यहां बाकरी धमषों करी तरह िड़ता कभरी नहीं रहरी । ऐसा नहीं है कि बुराइयाँ कभरी नहीं रहरी पर जैसे-जैसे समाज ल्वकसित होता गए , समाज से निकले जागरूक लोगों ने उसमें आ्वशरक सुधार किया । देश ने उन सुधारों को स्वरीकार किया । कहीं-कहीं ल्वरोध ज़रूर हुआ लेकिन ्वह ल्वरोध चंद लोगों तक सरीलमत रहा । कोई भरी ल्वरोध इतना उग् नहीं हुआ कि ल्वनाश करी लरीला हरी रच दे ।
बाबा साहब ने भरी अपने समय करी बुराइयों पर चोट किया , बदला्व करी पहल करी , उसरी दौर में गांधरी िरी भरी ्वहरी काम कर रहे थे । हाँ , गांधरी और आंबेडकर में थोड़े मतभेद ज़रूर रहे लेकिन धरेर समाज के कलरार का हरी रहा । कभरी भरी समाज तोड़ने या ल्वघटनकाररी राजनरीलत को बढ़ावा नहीं दिया गया । ये सब तब राजनरीलत में हा्वरी हुआ जब राजनरीलत में कॉनग्ेसरी और ्वामपंथियों का ्वच्यस्व बढ़ा । इन लोगों ने देश के नैसर्गिक प्रगति को रोकने करी कोशिश करी , उसे जातिगत झगड़ों और धर्म करी राजनरीलत में उलझाकर ।
अपने हरी समाज करी बुराइयों पर चोट करते हुए भरी बाबा साहब भारतरीरता करी मूल अ्वधारणा और अपने हिनदू हितों को नहीं भूलते हैं । महार माँग ्वतनदार सममलेन सिन्नर ( नासिक ) में 16 अगसत 1941 को बोलते हुए उनहोंने कहा था , “ मैं तमाम वर्षों में हिनदू समाज और इसकरी अनेक बुराइयों पर तरीखे ए्वं कटु हमले करता रहा हूँ लेकिन मैं आपको आश्वसत कर सकता हूँ कि अगर मेररी निषठा का उपयोग बहिषकृत वर्गों को कुचलने के लिए किया जाता है तो मैं
अंग्ेिों के खिलाफ हिनदुओं पर किए हमले करी तुलना में सौ गुना तरीखा , तरीव्र ए्वं घातक हमला करूूँगा ।“ कहीं-कहीं अति थरी , कुछ अतराचार भरी हुए कमजोर वर्गों में लेकिन ऐसा लगभग हर दौर में रहा । लगभग हर दौर में ताकत्वर लोगों ने कमजोरों को दबाना चाहा । हर दौर में कमजोरों को ऊपर उठने के लिए संघर्ष करना पड़ा ।
कभरी बाबा साहब को मंदिर जाने के लिए संघर्ष करना पड़ा था । ्वर्ष 1930 में , भरीमरा्व आंबेडकर ने कालाराम मंदिर सतराग्ह को शुरू किया । जिसमें लगभग 15,000 स्वयं से्वको ने प्रतिभाग लिया था । यहरी नहीं इस आंदोलन में जुलूस का नेतृत्व एक सैनर बैंड ने किया था और उसमें एक सकाउटस का बैच भरी शामिल था । पहलरी बार पुरुष और महिलाएं भग्वान का दर्शन अनुशासन में कर रहे थे । जब सभरी आंदोलनकाररी मंदिर के गेट तक पहुँचे , तो गेट पर खड़े अधिकारियों द्ारा गेट बंद कर दिया गया । ल्वरोध प्रदर्शन उग् होने पर गेट को खोल दिया गया । जिसके परिणामस्वरूप दलितों को मंदिर में प्र्वेश करी इजाजत मिलने लगरी । करा ऐसा किसरी धर्म करी ्विह से था ? उस दौर में अधिकांश मंदिर जमींदारों , राजाओं या उच्च वर्गीय कुलरीनों द्ारा बन्वाया गया होता था । मंदिर उनका तो स्वा्यलधकार भरी उनका , ्वालरी बात होतरी थरी । लेकिन देश आज़ाद होने के बाद उनका अधिपतर टूटा । आज शायद हरी किसरी मंदिर में आने-जाने पर रोक हो । पर ्वामपंथरी आज भरी ऐसा दिखाने करी कोशिश करते हैं जैसे अभरी भरी ्वहरी पुरानरी हज़ारों साल परीछे ्वाला दौर और कुरितियाँ जाररी हो । ्वैसे धर्म आसथा का ल्वरर है , हो सकता है जो किसरी को कुररीलत लगे ्वह किसरी करी आसथा-परमपरा का हिससा हो ।
आज के दौर में बाबा साहब के सपनों के भारत , नए भारत पर हम सब मिलकर काम करें । आज के ल्वघटनकाररी , प्रपंचकाररी ताकतों से दूर रहकर सबका साथ-सबका ल्वकास मूलमंत् के साथ बढ़ें यहरी बाबा साहब को सच्चरी श्द्धांिलि होगरी ।
( साभार ) twu 2021 Qd » f ° f AfaQû » f ³ f ´ fdÂfIYf 47