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आज हर तरफ सेकरुलर श्द का जोर है , हर पक्कार सेकरुलर का चोला ओढ़े ्वो सब कर रहा है जो ्वो भरी नहीं करते , जिनहें ये पूरा गिरोह सांप्रदायिक कहता है । संल्वधान निर्माण के प्रणेता बाबा साहब करी दूरदर्शिता करा कालांतर में इंदिरा से कम थरी , जो उनहोंने देश के मूल ताने-बाने को कभरी भरी छद्म सेकरुलर होने के नकलरीपन में नहीं लपेटा । ‘ सेकरुलर ’ श्द को इंदिरा गांधरी ने अपने शासन काल में संल्वधान का हिससा ज़रूर बनाया पर ्वह कितनरी ‘ सेकरुलर ’ थरी , ये शायद सबको पता है ।
बाबा साहब के इन सपनों से ऐसे छद्म पक्धरों का इतना ल्वरोधाभाष करों है ? जब आंबेडकर राजनरीलत में थे तो कॉनग्ेस ने करा किया था ये भरी किसरी से छिपा नहीं है । आज यह पूरा गिरोह बाबा साहब के नाम पर ल्वघटनकाररी राजनरीलत
का सिरमौर बना फिर रहा है । लेकिन कभरी भरी आंबेडकर इनके आचरण का हिससा नहीं रहे । अछूत और दलित भेदभा्व के खिलाफ िरी्वन भर संघर्ष करने ्वाले बाबा साहब कॉनग्ेस के 60 साल तक सत्ा में रहने तक अछूत बने रहे । देश को दरीमक करी तरह चाटने के बाद भरी नेहरू और इंदिरा ने खुद को भारत रत्न घोषित कर्वा लिया लेकिन उनहें आंबेडकर भारत रत्न नहीं लगे ।
डॉ . आंबेडकर के समपूर्ण ्वांगमर के खंड- 5 में लिखा है , “ डॉ आंबेडकर का दृढ़ मत था कि मैं हिंदुसतान से प्रेम करता हूँ । मैं जियूँगा हिंदुसतान के लिए और मरूूँगा हिंदुसतान के लिए । मेरे शररीर का प्रतरेक कण हिंदुसतान के काम आए और मेरे िरी्वन का प्रतरेक क्र हिंदुसतान के काम आए , इसलिए मेरा जनम हुआ
है ।” जो इंसान आखिररी साँस तक हिंदुसतान के लिए कार्य करना चाहता है , उसके नाम पर कटुता फैलाना , उसका अपमान है । पर इससे करा ! आज जो ्वामपंथरी बाबा साहब को अपने खेमे का बता कर उन पर एकाधिकार और उनके नाम से घृणा करी राजनरीलत का कारोबार चलाने करी कोशिश कर रहे हैं , ये उस महापुरुष का घोर अपमान है । आंबेडकर सभरी के हैं , उनहोंने जो आदर्श सथालपत किया उससे सभरी को प्रेरणा लेने का हक़ है । उनके नाम पर गंदगरी फैलाना बंद कर दो ्वामपंथियो ।
समानता करी बात पर जोर देने ्वाले बाबा साहब ने इसलाम और ईसाईयत के मौलल्वरों और पादरियों के आग्ह के बाद भरी बौद्ध धर्म अपनाया । बौद्ध धर्म कहीं बाहर से नहीं आया था बसलक इसरी संसकृलत में ल्वकसित हुआ धर्म
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