eMag_June2021_Dalit Andolan | Page 45

सामाजिक विघटन

के हिमायतरी बनें ।
अपनरी बात को उस समय के कुछ उदाहरणों के साथ रखता हूँ । आज़ादरी के बाद जब संल्वधान निर्माण करी बात आई , तब संल्वधान सभा में लगभग सभरी ल्वचारधारा के लोगों का समा्वेश था । सब मिलकर राषट्र हित करी चर्चाओं में मशगूल थे । संल्वधान सभा में बाबा साहब जिन मुद्ों पर अडिग थे , कॉनग्ेस उन पर आजतक
सहमत नहीं है । फिर चाहे ्वो समान नागरिक संहिता हो , अनुचछेद 370 हो , आरषों के भारतरीर मूल करी बात हो , या संसकृत को उस समय राजभाषा बनाने करी बात । बाबा साहब देश में सामान नागरिक संहिता के मुखर पक्धर थे । साथ हरी उनका दृढ़ मत था कि अनुचछेद 370 देश करी अखंडता के साथ समझौता है ।
इन सभरी समसराओं के करा नतरीिे निकले ,
आज देश उनसे ्वाकिफ है । किस तरह से संसकृत करा हिंदरी को राजभाषा बनाने के नाम पर भरी ल्वघटनकाररी राजनरीलत के हिमायतरी ्वामपंथरी और कॉनग्ेलसरों ने लटकाए रखा और उसे इतना उलझा दिया कि आज तक ्वह मुद्ा उलझा हरी हुआ है । इन सभरी मामलों को उलझाने में नेहरू के ‘ योगदान ’ को यह देश सदियों तक नहीं भुला पाएगा ।
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