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िरी्वन मूलरों ने प्राचरीन भारत को इतना महान बनाया है , उनमें किसरी प्रकार का संशोधन करना बहुत कठिन होगा । हमारे प्राचरीन ऋषियों ने राज सत्ा करी महानता को साम्ाजर के क्ेत्फल या इसकरी दौलत के भंडार के पैमाने से नहीं , बसलक जन प्रशासन में वरा्त नरार ए्वं अचछाई के सतर तथा नागरिकों के लनिरी िरी्वन के आधार पर मापा है । इन महाऋषियों का अमर संदेश यह है कि मनुषर करी सच्चरी प्रगति को नैतिक और आसतमक मानकों पर आंका जाना चाहिए न कि भौतिक मानकों पर ।
प्रधानमंत्री मोदरी राजनरीलतक भारत के नए प्रतरीक के रूप में उभरे हैं और हिनदू धर्म में उनकरी गहररी िड़ें हैं । उनहोंने अपने परमपरागत ल्वश्वासों को बहुत ल्वशाल उदार्वादरी रूप में पेश किया है । ‘ सबका साथ सबका ल्वकास ’ का उनका नया मंत् न्वभारत के लिए एक प्रकार का नया मंदिर हरी है । उनका राजनरीलतक- आर्थिक-सामाजिक संदेश सहरी अथषों में समाज के सभरी वर्गों को झकझोर रहा है और ्वह स्व्य धर्म समभा्व करी नरीलत को लेकर चल रहे हैं । स्व्यधर्म समभा्व आज करी सबसे बड़री जरूरत है । आज हमारे देश में जैसे हालात हैं उनमें यह समभा्व या समन्वय और भरी जरूररी हो गया है ।
पिछले 50-60 साल से कांग्ेस पाटटी पंथ के आधार पर देश को बांटने का काम करतरी रहरी है और मोदरी सरकार तो स्व्य पंथ समभा्व तथा सबका साथ , सबका ल्वकास करी भा्वना के साथ इसे पाटने में लगरी हुई है । धर्म के आधार पर समाज को ल्वभाजित करने करी राजनरीलत के परीछे पूररी तरह से कांग्ेस करी नरीलतरां जिममेदार रहरी हैं । इसके बा्विूद भारत में धार्मिक ल्वल्वधता के बा्विूद धार्मिक एकता का अनूठा उदाहरण पेश करता है । भारत एक पंथनिरपेक् राषट्र है और यहां राषट्रधर्म हरी सर्वोपरि है । भारत के संल्वधान में सभरी पंथों के लोगों को अपने-अपने पंथों से संबंधित पद्धतियों के पालन करी स्वतंत्ता है और संकट करी ससथलत में राषट्रहित में सभरी पंथों के लोग यहां एकजुट हो जाते हैं । ल्वश्व के पंथ प्रधान देशों , जिनमें से कुछ देशों में तो धार्मिक कट्र्वाद अपने चरम पर पहुंच चुका
है , को भारत जैसे पंथनिरपेक् राषट्र से बहुत कुछ सरीखने करी आ्वशरकता है । उनहें भारत से इस बात करी प्रेरणा लेनरी चाहिए करी किस तरह यहां ल्वलभन्न पंथों के लोग राषट्रधर्म करी भा्वना के साथ एकता के सूत् में बंध कर एक साथ प्रेमपू्व्यक रहते हैं और पूरे ल्वश्व को धार्मिक एकता का संदेश देते हैं ।
विवेकानंद और डॉ आंबेडकर का भारत निर्माण मान्य
भारत के उन महान वरसकतत्वों पर अगर
दृसषट डालरी जाए , जिनहोंने देश को एक नररी दिशा और नररी दशा देने का काम किया , तो उन महान नेतृत्वकर्ताओं नेताओं में सबसे पहले स्वामरी ल्व्वेकानंद और डॉ भरीम रा्व अमबेकर का नाम लिया जाता है । दोनों नेतृत्वकर्ताओं करी भारत के ्वत्यमान स्वरुप के निर्माण में अहम् भूमिका रहरी और दोनों नेतृत्वकर्ताओं ने भारत को एक महान देश बनाने के लिए अपने अपने ढंग से योगदान दिया । भारत को एक राषट्र और हिनदू धर्म के एक ल्वश्ववरापरी रूप को स्वामरी िरी ने राष्ट्रीय ए्वं अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान
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