eMag_June2021_Dalit Andolan | Page 39

समय मुससलम समुदाय के लोगों ने गालरी-गलौच के साथ पथरा्व करते हुए जमकर मारपरीट करी , जिससे कई लोगों को चोटें आई । मामला पुलिस के पास पहुंचा तो मुससलम समुदाय ने आरोप लगाया कि हिनदुओं ने नमाज को बाधित करने करी कोशिश करी । हालांकि पुलिस ने मामले को शांत करा दिया है , लेकिन नूरपुर में रहने ्वालरी हिनदू जनता शांत नहीं है ।
नूरपुर गां्व में मुससलम समुदाय के लगभग 800 परर्वार रहते हैं । जबकि हिनदू परर्वारों करी संखरा मात् 125 बचरी है । हिनदुओं में भरी अधिकतर परर्वार दलित समाज के है । मुससलम समुदाय करी बहुसंखरक जनसंखरा के बरीच हिनदू परर्वारों का िरी्वनयापन संकट के दौर से गुजर
रहा है । हिंसा , भय , दबा्व और उत्पीड़न के बल पर हिनदू दलित परर्वारों पर धमाांतरण के लिए काफरी समय से दबा्व बनाया जा रहा है और ऐसा न होने पर मुससलम समुदाय किसरी भरी हद तक जाने के लिए तैयार है । इसका प्रतरक् प्रमाण
नाजिम अलरी करी धमकरी के रूप में देखा जा सकता है ।
्वैसे उत्र प्रदेश में यह सिर्फ एक नूरपुर का मसला नहीं है । प्रदेश के सैकड़ों ग्ामों , कसबों से लेकर नगररीर क्ेत्ों में जहां भरी मुससलम समुदाय करी आबादरी हिनदुओं से जरादा है , उन सभरी क्ेत्ों में रहने ्वालरी हिनदू जनता भयाक्रांत है । ल्वशेषकर दलित समाज के लोगों पर मुससलम समुदाय घोषित-अघोषित रूप से दबा्व बनाने के लिए हर तरह के हथकंडे आजमा रहा है । प्रदेश के ल्वलभन्न हिससों से प्रायः दलित उत्पीड़न करी घटनाएं लगातार सामने आतरी रहरी हैं । ऐसरी अधिकतर घटनाओं में आरोपरी मुससलम समुदाय के पाए गए हैं । सरकार द्ारा कानून कड़री कार्य्वाई
के बा्विूद यह सिलसिला जाररी है ।
प्रदेश में दलितों के ल्वरुद्ध होने ्वालरी उत्पीड़न करी अधिकतर घटनाओं में मुससलम समुदाय के आरोपियों करी संलल्तता के मुद्े पर न तो कोई राजनरीलतक दल गंभरीर नजर आता है और न हरी
्वह सामाजिक ठेकेदार , जो कथित दलित- मुससलम गठजोड़ करी ्वकालत करते हुए खुले मंच पर दिखाई देते हैं । जब भरी चुना्व या सत्ा परर्वत्यन का समय आता है तो प्रतरेक राजनरीलतक दल सबसे पहले दलित ्वग्य के कलरार करी बात करता है और उनकरी समसराओं के निराकरण के दा्वे करता है । लेकिन मुससलम उत्पीड़न करी घटनाओं में दलितों के साथ कोई भरी राजनरीलतक दल खड़ा होने से परहेज करता है ।
देश के अंदर अगर सत्ा समबन्धी रणनरीलत पर राजनरीलतक दलों , ल्वशेष रूप से कांग्ेस , ्वामपंथरी और कुछ क्ेत्रीय दलों पर अगर दृसषट जाए तो कहना अनुचित नहीं लगता कि वर्षों से एक षड्ंत् के रूप में हिनदू समाज को बांटकर , उसका उपयोग सत्ा हथियाने के लिए किया गया । स्वतंत्ता के बाद से कांग्ेस ने स्वयं को सत्ा के केंद्र में रखने के लिए हिनदू समाज को जहां उच्च-निम्न जातियों में बांट दिया , ्वहीं ल्वलभन्न पंथों ए्वं महजब करी कट्रता के आधार पर गैर हिनदू जनता को बांट कर कांग्ेस दलित , मुससलमों और ईसाई समूह करी मसरीहा भरी बन गररी । कांग्ेस करी हिनदू ल्वरोधरी रणनरीलत में सिर्फ धर्म ए्वं संसकृलत के कट्र ल्वरोधरी ्वामदलों ने उनका भरपूर साथ दिया । परिणामस्वरुप देश के हर राजर में यानरी उत्र से दलक्र तक और पूरब से पसशचम राजरों तक जातिगत मसरीहा बनकर सत्ा का सुख लेने ्वाले ल्वलभन्न राजनेता , राजनरीलतक दल ए्वं संघठन का एक ऐसा जमा्वड़ा देखा जा सकता है , जिसने जाति-पांति , पंथ , तुसषटकरण , क्ेत््वाद ए्वं परर्वार्वाद के मुद्े से देश को बाहर निकलने नहीं दिया ।
दलितों के उतथान के नाम पर राजनरीलतक दलों ने दलितों का इस कदर शोषण किया कि ्वह आज भरी अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं , पर उनके अधिकार आज भरी पूररी तरह उनहें नहीं मिल सके हैं । दलित ्वग्य पर दबा्व बनाने के लिए उत्पीड़न और भयादोहन का जिस तरह से सहारा लिया जा रहा है , ्वह गंभरीर चिंता का ल्वरर है । भय के कारण अपने मकान बेचकर किसरी दूसरे हिनदू बाहुलर क्ेत्ों में जाकर रहने का मन बना चुका नूरपुर करी हिनदू जनता करी तरफ गंभरीरता से धरान देना । �
twu 2021 Qd » f ° f AfaQû » f ³ f ´ fdÂfIYf 39