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" नमाज तो होगी , पर बारात नहीं निकलेगी दलितों की " आरोपी मुस्लिम पर क्ों चुप हैं तथाकथित दलित हितैषी
में
नूरपुर नमाज
तो होगरी , लेकिन हिंदुओं को ्वहां बारात नहीं
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जाएगा । यह पढ़ कर लग रहा होगा कि यह किसरी फिलम या नाटक में बोले गए सं्वाद का कोई हिससा है करोंकि असल जिंदगरी में ऐसा होना नामुमकिन सा प्रतरीत होता है । लेकिन यह किसरी फिलम या नाटक का हिससा नहीं है । यह ्वह कडु्वा सच है , जिसे हिनदू जनता झेलने के लिए बाधर हो गररी है ।
उत्र प्रदेश के अलरीगढ जिले एक गां्व नूरपुर , जहां रहने ्वालरी हिनदू जनता कब अलपसंखरक हो गररी , किसरी को पता हरी नहीं चला । ट्पल कसबे के अंतर्गत आने ्वाले इस गां्व में मुससलम आबादरी का अस्सी प्रतिशत तक पहुंच जाना , सथानरीर हिनदुओं के लिए भाररी पड़ने लगा है । ससथलत यहां तक पहुंच चुकरी है कि ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्ेहादुल मुससलमरीन ( एआईएमआईएम ) यूथ लब्गेड के प्रदेश अधरक् सैयद नाजिम अलरी ने धमकरी देते हुए घोषणा कर दरी है कि नूरपुर में नमाज तो होगरी , लेकिन हिंदुओं
को ्वहां बारात नहीं निकालने दिया जाएगा । आखिर बरात करों नहीं निकलने दरी जाएगरी ? इस प्रश्न का उत्र में कहा जाता है कि मससिद के सामने से किसरी भरी बरात को निकलने नहीं दिया जायेगा । अगर बारात ले जाना है तो चुपचाप
मससिद के सामने से से पैदल हरी जाना होगा ।
धमकरी का असर गत 26 मई को उस समय प्रतरक् रूप से देखा भरी गया जब गां्व में रहने ्वाले ओमप्रकाश करी पुत्री के ल्व्वाह के लिए आई बारात के साथ मारपरीट करी गररी । बारात निकलते
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