eMag_June2021_Dalit Andolan | Page 37

घर से ले जाएँगे । आपके पूरे परर्वार को जला देंगे ।” एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ 19 जन्वररी 1990 को हरी लाखों कश्मीररी पंडितों ने मजबूरन घाटरी छोड़ दरी । घाटरी में उस ्वकत हिनदुओं करी आबादरी लगभग 5 लाख के कररीब थरी , लेकिन कश्मीर को इसलालमक सटेट बनाने करी मजहबरी सोच करी ्विह से साल 1990 के अंत तक 95 प्रतिशत हिनदू अपना घर-बार छोड़ कर चले गए । इसरी दौरान हिनदुओं से जुड़े 150 शैलक्क संसथानों को आग लगा दरी गई थरी । 103 मंदिरों , धर्मशालाओं और आश्मों को तोड़ दिया गया था । हजारों दुकानों और फैसकट्ररों को लूट लिया गया था । खेतरी योगर जमरीन छरीनकर जलाने करी 20 हजार से जरादा घटनाएँ सामने आईं और 1100 से जरादा हिनदुओं को बेहद निर्मम तररीके से मार डाला गया ।
गौरतलब है कि कश्मीररी नेता शेख अ्दुलला और भारत करी पू्व्य प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधरी के बरीच 1975 में एक समझौता हुआ था । कश्मीरियों करी यु्वा परीढ़री में कम हरी लोगों यह बात जानते
होंगे कि 1975 के समझौते के बाद शेख कॉनग्ेस के समर्थन से राजर के मुखरमंत्री बने थे । हालाँकि , उस समय राजर ल्वधानसभा में उनकरी पाटटी का एक भरी ल्वधायक नहीं था । उस दौरान पाकिसतान समर्थक जमात-ए-इसलामरी और जममू ए्वं कश्मीर लिबरेशन फ्ंट ( जेकेएलएफ ) अ्दुलला के इस समझौते के ल्वरोध में थे । बस यहीं से ल्वद्रोह करी चिंगाररी उठरी , जिसने भल्वषर करी आग में कई मासूमों का आशियाना तबाह कर डाला ।
1980 में अ्दुलला ने खुद कश्मीर का इसलामरीकरण करना शुरू कर दिया था । उनकरी सरकार ने लगभग 2500 गां्वों के नाम ( जो हिंदरी या संसकृत श्दों से प्रेरित थे ) बदलकर इसलामरी नामकरण करी शुरुआत करी थरी । इसके अला्वा अपनरी आतमकथा आतिश-ए-चिनार ( At । sh-e-Ch । nar ) में उनहोंने कश्मीररी पंडितों को ‘ मुखबिर ’ के रूप में इंगित किया , जिसका अर्थ है ‘ भारत सरकार के मुखबिर ’।
1987 के राजर ल्वधानसभा चुना्व में कथित
धांधलरी के बाद कश्मीर में भय का माहौल पैदा हो गया था , जिसने जमात-ए-इसलामरी के फ्ंटलाइन कार्यकर्ताओं के मुससलम यूनाइटेड फ्ंट ( MUF ) को जनम दिया । उनहोंने अपने इसलालमक आंदोलनों में इसलाम धर्म का प्रचार किया , जिसमें पाकिसतान करी इंटर-सल्व्यसेज इंटेलिजेंस (। S । ) सक्रिय रूप से शामिल हो गई । बाद में हिजबुल-मुजाहिदरीन नाम के एक आतंक्वादरी समूह को प्रायोजित किया जाने लगा । तभरी जेकेएलएफ ने आईएसआई के समर्थन से हथियारों के साथ ल्वद्रोह करना शुरू कर दिया । उसरी समय उनहोंने कलाश्निको्व राइफल ( AK-47 ) का इसतेमाल करना शुरू कर किया । इसके अला्वा उनहोंने कश्मीररी पंडितों के खिलाफ बड़े सतर पर दुषप्रचार किया और देशद्रोह का अभियान चलाया ।
यह स्व्यल्वलदत है कि 14 सितंबर 1989 को बरीिेपरी के पू्व्य प्रदेश अधरक् टिका लाल ट्पू करी हतरा से कश्मीर में शुरू हुआ आतंक का दौर समय के साथ-साथ और ्वरीभतस होता गया । ट्पू करी हतरा के तरीन हफते बाद जममू-कश्मीर लिबरेशन फ्ंट के नेता मकबूल बट करी मौत करी सजा सुनाने ्वाले से्वालन्वृत् सत् नराराधरीश नरीलकंठ गंजू करी हतरा कर दरी गई । फिर 13 फर्वररी को श्रीनगर दूरदर्शन केनद्र के निदेशक लासा कौल करी निर्मम हतरा के साथ हरी आतंक अपने चरम पर पहुँच गया था । उस समय आतंक्वादियों के निशाने पर सिर्फ और सिर्फ कश्मीररी पंडित हरी थे । इसके चलते 19 जन्वररी , 1990 को लगभग तरीन लाख कश्मीररी पंडितों को अपना सब कुछ छोड़कर घाटरी से बाहर जाने को ल्व्वश होना पड़ा ।
बहरहाल , आतंक्वादियों करी नई पौध को भरी हिनदू और कश्मीररी पंडित खटकते हैं । कश्मीर में अनर जगहों के मुकाबले त्ाल में आतंकियों का कहीं बड़ा गढ़ है । 31 साल पहले हिनदुओं पर जो अतराचार हुआ , उस समय करी सरकार कट्रपंथियों के आगे तमाशबरीन बनरी रहरी । आखिर करों और कब तक अपने हरी घरों से हिनदुओं को भागने के लिए मजबूर होना पड़ेगा ?
( साभार ) twu 2021 Qd » f ° f AfaQû » f ³ f ´ fdÂfIYf 37