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अजय पंडिता करी अनंतनाग में हतरा करी गई थरी । अजय पंडिता और राकेश पंडिता दोनों हरी जाने-माने चेहरे थे , जो कश्मीरियों को ्वापस लाने के कार्य में लगे हुए थे । ्वहीं , सरकार करी तरफ से भरी पुरजोर प्रयास किए जा रहे हैं कि किसरी भरी तरह कश्मीरियों को ्वापस लाया जा सके । इसरी बरीच राकेश पंडिता करी मौत के बाद एक बार फिर कश्मीररी पंडितों करी सुरक्ा संदेह के घेरे में है । आखिर कब तक ‘ कश्मीररी पंडित ’ इसरी तरह अपनरी जान गँ्वाते रहेंगे ? आखिर कब तक ्वह आतंकियों करी गोलियों का निशाना बनते रहेंगे ।
इस घटना ने कश्मीर घाटरी में हिनदुओं के नरसंहार करी यादें ताजा कर दरी हैं । कश्मीररी पंडित , जिनहें कश्मीररी ब्ाह्मण और कश्मीररी हिंदू भरी कहा जाता है , उनहोंने घाटरी में 31 ्वर्ष पू्व्य हुए नरसंहार में अपने परिजनों को खोया है , उनके जखम अभरी भरी नहीं भरे हैं । ्वह सालों से नरार के लिए बाट जोह रहे हैं । मान्वाधिकार संगठन जो जममू-कश्मीर में कुछ दिनों के लिए
इंटरनेट बंद होने पर छातरी परीटने लगता है , ्वह भरी 31 सालों से ल्वसथापन का दर्द झेल रहे कश्मीररी पंडितों के मुद्े पर चुप हरी रहा है ।
19 जनवरी 1990
कश्मीर के लिए यह ताररीख बेहद महत्वपूर्ण है । इसरी दिन कश्मीररी पंडितों पर नरसंहार कर उनहें उनकरी हरी सरजमीं छोड़ने के लिए मजबूर किया गया था । 19 जन्वररी शुक्र्वार करी सुबह डल झरील पर शिकारा का संगरीत नहीं , मुससलम कट्रपंथियों का शोर सुनाई पड़ रहा था । हिंदुओं के घरों करी दरी्वारों पर धमकरी भरे पोसटर लगा दिए गए थे । कश्मीर के कोने-कोने में मससिदों से फरमान जाररी किए जा रहे थे । फरमान कश्मीर में रहने ्वाले गैर-मुससलमों के खिलाफ था । फरमान था कश्मीररी पंडितों कश्मीर छोड़ो या अंजाम भुगतो या फिर इसलाम अपनाओ ।
्वो रात कश्मीररी पंलड़तों के लिए किसरी बुरे सपने से कम नहीं थरी । रात को हजारों हिनदुओं का , जिनमें कश्मीररी पंडित भरी शामिल थे , का
कतल कर दिया गया था । राजनरीलतक प्रतिद्ंलद्ता , कट्रपंथरी इसलाम्वादरी और उग्रवादरी ल्वद्रोह के बरीच घाटरी में अलपसंखरक हिंदू समुदाय कश्मीररी पंडितों का यह भारत के इतिहास में सबसे बड़ा नरसंहार और पलायन था । मरीलडरा रिपोटस्य के मुताबिक , हथियार लहरातरी हुई भीड़ अललाहु अकबर के नारे लगाते हुए अचानक कश्मीररी पंडितों के घरों में दाखिल हो जातरी और उनहें धमकातरी थरी । मुससलम कट्रपंथियों ने गैर-मुससलमों के लिए ऐसरी ससथलत पैदा कर दरी थरी , जिसमें उनके पास दो हरी ल्वकलप थे – या तो कश्मीर छोड़ो या फिर दुनिया ।
कश्मीररी पंडित नरीरजा साधु का कहना है , ” 19 जन्वररी को मैंने या मेरे परर्वार ने ये नहीं सोचा कि हमेशा के लिए हम यहां से चले जाएंगे , करोंकि उससे पहले दिसंबर में मेरे पितािरी को धमकरी भरे फोन आ रहे थे । उनसे ये बोला गया था कि आप जॉब छोड़कर चले जाएं यहां से , नहीं तो आपका घर जलाएँगे । आपकरी बेटरी को
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