का परिणाम है ।
2016 में तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली शहर में मूर्तिपूजा और बहुईश्वर्वाद के खिलाफ तमिलनाडु तौहरीद जमात ने एक बहुत बड़री रैलरी निकालरी थरी । इस रैलरी में ससममलित हुए और ्वकताओं ने भारत से मूर्तिपूजा और मजारों करी पूजा को खतम कर खुलेआम शरिया निजाम सथालपत करने करी शपथ लरी । रैलरी में मुससलम नेता अ्दुल रहरीम ने एलान किया कि मूर्ति पूजा का ल्वरोध इसलाम का मूल चररत् है और इस ल्वरोध को स्वर देने से रोकना संल्वधान द्ारा प्रदत् उनकरी धार्मिक आजादरी में खलल होगा । इस रैलरी के पोसटर पूरे तमिलनाडु और ल्वशेष रूप से मंदिरों के पास लगाए गए थे । हिंदू संगठन , हिंदू मककल काट्ची द्ारा इस कट्रपंथरी रैलरी को रोकने करी मांग शासन द्ारा ठुकरा दरी गई । कई मुससलम संगठनों ने भरी इस रैलरी का ल्वरोध किया । एक मुससलम याचिकाकर्ता मोहममद फिरोज खान द्ारा इस प्रकार के ्वैमनसरकाररी आयोजन को रोकने करी मांग मद्रास हाई कोर्ट ने यह कह कर ठुकरा दरी कि ्वह शांतिपू्व्यक हो रहे किसरी भरी जलसे को रोकने का आदेश नहीं दे सकता । मजेदार बात यह है कि दो जजों करी इस परीठ में एक जज स्वयं जससटस कृपाकरन थे । अब तमिलनाडु में इस
प्रकार करी शिर्फ ल्वरोधरी रैलियां ्वार्षिक आयोजन बन गई हैं ।
यह बढ़ते कट्रपन और उस पर शासकरीर उदासरीनता का हरी परिणाम है कि देश भर में राम न्वमरी , गणेश चतुथटी और दुर्गा पूजा जैसे जुलूसों को या तो रोकने का प्रयास होता है या फिर उन पर पतथरबािरी करी जातरी है । प्रशासन भरी शांति व्यवसथा करी दुहाई देकर शिर्क ल्वरोध रूपरी कट्रता के आगे घुटने टेक देता है । उत्र प्रदेश करी पू्व्य अखिलेश सरकार और बंगाल करी ममता सरकार तो इस मामले में काफरी बदनाम रहरी हैं । यह लचर शासकरीर र्वैये का हरी नतरीिा है कि हिंदू शोभायात्ाओं के मार्ग परर्वलत्यत किए जाते हैं । इससे कट्रपंथियों के मन में अपनरी मजहबरी धारणाओं के जायज होने का भा्व बनता है । यह धारणा इतनरी प्रबल हो गई है कि उनहेंं अपनरी आबादरी ्वाले क्ेत् स्वशासित और दूसरों के लिए निरुद्ध प्रतरीत होने लगे हैं । इन क्ेत्ों में नापसंद राजनरीलतक और धार्मिक गलतल्वलधरों पर रोक लगाने के प्रयास किए जाते हैं । तमिलनाडु के हरी पेरियकुलम कसबे के पास बोम्मीनाइकनपट्टी गां्व में एक दलित मृतक करी श्वरात्ा को मुससलम आबादरी क्ेत् में रोकने पर जम कर हिंसा भरी हुई थरी । इसरी तरह तेनकासरी के
संबंकलम गां्व में मुससलम पक् करी आपलत् के बाद पुलिस ने हिंदू पक् को सुने बिना निर्माणाधरीन मंदिर को ढहा दिया था ।
यह मूर्तिपूजा के खिलाफ बढ़ते कट्रपन का हरी नतरीिा है कि मूर्ति भंजन और मंदिरों में तोड़फोड़ करी घटनाएं आम हो गई हैं । यह और भरी दु : खद है कि तथाकथित राष्ट्रीय मरीलडरा इस प्रकार करी घटनाओं पर चुप्पी साधे रखता है । दलक्र भारत के सबसे प्रमुख अंग्रेजी अखबार ने कड़तूर प्रकरण में मुससलम पक् करी पैर्वरी यह कह कर करी थरी कि हिंदू तो हर पख्वाडे़ कोई न कोई तरोहार मनाते हैं और इस प्रकार के उनमाद से मुससलम समुदाय को सुरक्ा मिलनरी चाहिए । इसरी अखबार ने शिर्क ल्वरोधरी रैलरी को भरी अंध ल्वश्वास के खिलाफ प्रदर्शन बताया था । उम्मीद करनरी चाहिए कि मद्रास उच्च नरारालय के आदेश के बाद शासन-प्रशासन मजहबरी दुराग्हों के आगे घुटने टेकना बंद करेगा । इसके साथ सभरी प्रबुद्ध जनों को समझना पड़ेगा कि गलरी-मोहललों के सतर पर पनप रहे मूर्ति पूजा और मंदिर ल्वरोध के परिणाम समाज के लिए घातक होंगे । इस प्रकार करी कुचेषटाओं को हर प्रकार से हराने के प्रयास होने चाहिए ।
( साभार ) twu 2021 Qd » f ° f AfaQû » f ³ f ´ fdÂfIYf 27