eMag_June2021_Dalit Andolan | Page 26

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मद्ास हाई कोर्ट की जमात को कड़ी फटकार क्ा सड़कें भी हो

सकती हैं मजहबी ..?

विकास सारसित

प्रैल माह के अंत में कररीब दो स्ताह पहले मद्रास उच्च नरारालय ने धार्मिक आयोजनों के लिए सा्व्यिलनक सथलों के उपयोग पर प्रतरेक संप्रदाय के अधिकार संबंधरी एक बेहद महत्वपूर्ण फैसला दिया । इस फैसले पर सारे देश को चिंतन-मनन करने करी आ्वशरकता है । मद्रास उच्च नरारालय के समक् पेरंबलूर जिले के कड़तूर गां्व का ल्व्वाद पहुंचा , जिसमें हिंदू पक् ने वर्षों से निकालरी जा रहरी रथ यात्ाओं के मार्ग को मुससलम पक् के दबा्व में सत् नरारालय द्ारा सरीलमत कर दिए जाने के आदेश को चुनौतरी दरी थरी । यह बात धरान देने योगर है कि लगभग सभरी प्राचरीन मंदिरों में परंपरा के अनुसार ्वर्ष में एक बार मंदिर के मुखर विग्रह का धातु स्वरूप आसपास के क्ेत् में परिक्रमा के लिए ले जाया जाता है । चूंकि उत्र भारत में मुसशकल से हरी कोई प्राचरीन मंदिर शेष हैं , इसलिए यहां यह परंपरा प्राय : लु्त हो गई , परंतु दलक्र भारत के कई मंदिरों में इस परंपरा का लन्वा्यह पूररी श्द्धा और उतसाह के साथ किया जाता है । कड़तूर के चार प्रमुख मंदिरों करी रथ यात्ा भरी 2011 तक लनल्व्यघ्न रूप से निकलतरी रहरी , लेकिन 2012 से जमात ने इसका ल्वरोध करना शुरू कर दिया । मुससलम पक् का कहना था कि चूंकि गां्व में मुससलम आबादरी अधिक है और इसलालमक मानरता में र्मूित पूजा शिर्क यानरी पाप है इसलिए रथयात्ाओं और अनर हिंदू उत्सवों पर मुससलम इलाकों में रोक लगाई जाए । यह दलरील घोर असहिषरुता

के साथ-साथ दुससाहस करी मिसाल थरी ।
जमात को कड़री फटकार लगाते हुए मद्रास उच्च नरारालय के जससटस कृपाकरन और जससटस ्वेलमुरुगन करी परीठ ने पूछा कि समूह धार्मिक हो सकते हैं और वरसकत सांप्रदायिक , परंतु करा सड़कें भरी मजहबरी हो सकतरी हैं ? हिंदू पक् को पू्व्य करी भांति गां्व के सभरी मागषों से यात्ा निकालने करी अनुमति देते हुए परीठ ने जमात को याद दिलाया कि यदि उसका तर्क मान लिया जाए तो हिंदू बहुल भारत के अधिकांश हिससों में न तो कोई मुससलम आयोजन हो सकता है और न हरी किसरी जुलूस को निकालने करी
अनुमति दरी जा सकतरी है । यह अतरंत दुख का ल्वरर है कि हिंदुओं को भारत में बहुसंखरक होते हुए भरी पूजा जैसे मूल अधिकारों करी रक्ा के लिए नरारालय करी शरण में जाना पड़ रहा है । इस प्रकरण का चिंताजनक पहलू यह भरी है कि जमात ने अपने कट्र , मजहबरी दुराग्हों को एक पंथनिरपेक् देश करी नरारपालिका में तर्क के रूप में पेश करने का दुससाहस किया । हालांकि इस धृषटता करी उतपलत् अचानक नहीं हुई । यह अपने शरिया निजाम को गैर मुससलमों पर थोपने करी प्र्वृलत् और बढ़ते सलाफरी-्वहाबरी प्रभा्व के साथ-साथ शासन करी लगातार ढिलाई
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