निर्माण तथा संचालन का होगा लोग स्वयं से सरकार बनाएंगे और संचालन भरी करेंगे । डॉ . आंबेडकर को उदार्वादियों तथा कट्रपंथियों ने भारतरीर परर्वेश में धम्यल्वरोधरी बनाकर प्रसतुत किया है । परंतु ऐसा नहीं हैं । डॉ . आंबेडकर ने 1938 में मनमाड़ रेल्वे कर्मचारियों से कहा था
कि मुझे धर्म के प्रति यु्वाओं करी बढ़तरी उदासरीनता को देखकर परीड़ा होतरी है , धर्म कोई अफरीम नहीं है , जैसा कि कुछ लोग मानते हैं । मुझमें जो भरी कुछ अचछा है और मेररी शिक्ा से समाज को जो भरी भला होता है , उसका श्ेर अपने अंदर करी धार्मिक भा्वनाओं को देता हूँ । ्वामपंथियों ने धर्म को अफरीम के रूप में प्रसतुत किया है । परंतु डॉ . आंबेडकर उसको सिरे से नकारते हैं तथा
्वह धर्म को राषट्र ्व एक उभरते समाज के लिए आ्वशरक तत्व मानते हैं ।
डॉ . आंबेडकर को भारत करी राष्ट्रीय धारा का वरापक ज्ान था । कोलंबिया ल्वश्वल्वद्ालय में 1915 में एम . ए . के दौरान उनके शोध पत् का ल्वरर भारत के राष्ट्रीय लाभांश का
ऐतिहासिक तथा ल्वशलेररातमक अधररन अर्थात भारत का इतिहास , उस इतिहास करी ल्वलभन्न धाराएं , उनमें आई हुई ल्वकृतियां , मुससलम आक्रांता , उन आक्रांताओं द्ारा किया गया ल्वध्वंस , इन सभरी ल्वररों पर बाबा साहेब का गहरा अधररन था । उनहोंने इन सभरी ल्वररों पर अपनरी राय बड़री बेबाकरी से रखरी । 28 दिसंबर 1940 को उनकरी भारत-पाकिसतान
ल्वभाजन पर पुसतक Pak । stan , or , The Part । t । on of । nd । a प्रकाशित हुई । यह ्वह समय था जब पूरे हिंदुसतान में पाकिसतान का मुद्ा गरमाया हुआ था । पुसतक जब प्रकाशित हुई उस समय लद्तरीर ल्वश्व युद्ध प्रारंभ हो चुका था । 3 मार्च 1946 को मुंबई के नरे पार्क में आयोजित प्रचार सभा में 70 हजार करी सभा को संबोधित करते हुए बाबा साहेब ने कहा था कि मैं कांग्ेस से डरता नहीं हूँ । कांग्ेस हमाररी नरारोचित मांगे मान लेतरी तो हमारा उससे ल्वरोध रहता । मुसलमान पाकिसतान करी मांग कर रहे हैं । हम देश के ल्वभाजन करी मांग नहीं कर रहे हैं । कांग्ेस अंतर्राष्ट्रीय कमेटरी बनाकर हमाररी मांगों पर ल्वचार करें । उस कमेटरी का निर्णय हमें मानर होगा ।
बाबा साहेब ने भारत के ल्वभाजन को इसलाम से हिंदुसतान का बाहर जाना ( मुसकत मिलना ) इस रूप में देखते हैं । उनका मानना था कि इसलाम से छुटकारा पाने के लिए ल्वभाजन बहुत आ्वशरक है । मुससलमों के साथ हिंदुओं का सह अससतत्व संभ्व नहीं है । इस बात करी बहुत दृढता के साथ बाबा साहेब ने उठाया है । इसलिए ल्वभाजन के समय जनसंखरा करी अदला-बदलरी करी शर्त को ्वह अलन्वार्य मानते हैं । यह बात अलग है कि गांधरी िरी और कांग्ेस ल्वभाजन के बा्विूद जो मुससलम भारत छोड़कर नहीं जाना चाहते थे , उनको भारत में हरी रहने दिया जाए इसकरी ्वकालत करने लगे । इसरी प्रकार धारा- 370 जो कि संल्वधान में जममू कश्मीर राजर को ल्वशेष राजर का दर्जा देने का काम करतरी थरी , तथा भारत के अनर राजरों से अलग , जममू कश्मीर राजर को ल्वशेषाधिकार प्रदान करतरी थरी । इसके ल्वरोध में डॉ . आंबेडकर ने पंडित नेहरू को कई पत् लिखे । हालांकि इस धारा को जोड़ने के लिए डॉ . आंबेडकर ने साफ-साफ मना कर दिया था । डॉ . आंबेडकर के द्ारा इस धारा के ल्वरोध का मुखर कारण था । उनका मानना कि यह धारा भल्वषर मैं अलगा्व करी भा्वना को उतपन्न करेगरी और यह अलगा्व भारत करी राष्ट्रीय एकता और अखंडता को खंडित करेंगें । �
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