यदि हम उनके धर्म परिवर्तन के पधीछ़े कधी वयासतलवक भयावनया को समझें तो हमें प्रतधीत होतया है कि इस धर्म परिवर्तन के पधीछ़े उनकया यह विश्वास ्या , जो उनहें सयामयालजक एकतया के आदर्श कधी ओर ले ग्या । इसकया एक दूसिया पक्ष भधी है । संभवतः उनको ्बौद्ध धर्म कधी महत्ता कया अहसयास न होतया यदि वह पसशिम के उदयािवयादधी दपृसष्टकोण के संपर्क में न आते । उनहोंने कई विदेशधी समयाजों कया गहन अध््न लक्या ्या और इन समयाजों कधी जो विशेषतया उनको विशेष
प्रयत्न लक्या । उनकधी इस भूमिकया को उचित स्थान लद्या जयानया ियालहए ।
हमयािे त्याकथित हिंदू समयाज कधी सनयातनधी व्वस्था में भयाितधी् दधीन-दलित समयाज अज्ञानयांधकयाि में तडफड़ाने के सया् ियातुव्मण््म व्वस्था में पिसने के सया् दरिद्रतया कधी आग में जल रहया ्या । इसके पधीछ़े कयािण यह ्या कि हमयािे लसद्धयांत सदियों से ईशविकृत , अपौरुषेय एवं प्रश्नों से परे मयाने जयाते रहे , क्ोंकि इन लसद्धयांतों कधी जडें हमयािे जेहन में इतनधी गहिधी
के प्रति ्बया्बया सयाह्ब ने सवससततव कधी सयामथ््म , अससमतया एवं क्रयांलत कधी आग जलयाई जिससे सयामयालजक न्याय प्रयापत के लिए अनेक दलित- शोषित कया््मकतया्म आत्मबलिदयान के लिए उनके सया् खड़े हो गए ।
परंपियावयादधी व्वस्था ( वैदिक संसकृलत ) के कयािण हजयािों वषगों से कुचले गए समयाज के लोग आज ' दलित ' संज्ञा से जयाने जयाते हैं और उनके विरोध कया प्रमुख कयािण वर्ण-धर्म है । कर्म श्ेषठ न होने पर भधी जयालत के नयाम से श्ेषठ कहलयाने
दलित संिबेदनाओं को अपनबे जीवनकाल में निरंतर भोगतबे रहनबे कबे कारण डॉ . अम्बेडकर का अनुभव प्रगाढ़ था । सामाजिक एकता का सिदांत उनको बौद धर्म कबे अं दर ही मिल गया । यही कारण था कि उन्होंनबे अपनबे कई अनुयायियहों कबे साथ बौद धर्म स्ीकार कर लिया था । उनका यह कदम हमबेरा विवादास्द ही रहा है ।
रूप से प्रिय ्धी , वह ्धी सयामयालजक एकतया । उनको यह अहसयास हुआ कि भयाितधी् धर्म-दर्शनों में ्बौद्ध -दर्शन हधी एक ऐसया दर्शन है जो सयामयालजक एकतया कया आदर्श प्रयापत कर सकतया है । जहयां ्टैगोर ने आध्यासतमक मयानवतयावयाद कया लसद्धयांत प्रियारित लक्या , नेहरू ने समयाजवयादधी दपृसष्टकोण को समझने-समझयाने कया प्र्यास लक्या , वहीं डॉ . अम्बेडकर ने जयातधी् संदर्भ में पसशिमधी उदयािवयादधी दपृसष्टकोण कधी महत्ता को समझयाने कया
कर दधी गई थीं , सया् हधी इनकधी व्याख्या ऐसधी कधी गई ्धी जिनकया कोई अकाट्य प्रमयाण नहीं ्या । ऐसे अस्पृश् दलित समयाज में भगवयान ्बुद्ध के पश्चात कई शताब्दियों तक कोई एक अकेलया ऐसया सयामयालजक चिंतक भयाित में नहीं अवतरित हुआ , जिसने इन त्याकथित लसद्धयांतों कया खंडन लक्या हो । हजयािों वषगों से शोषित , पीड़ित , दलित , अछूतपन , शयासक-पोषक , सवर्ण वगगों के जघन् एवं अमयानवधी् शोषण , दमन , अन्याय के विरुद्ध छो्ट़े-मो्ट़े संघर्ष को संगठित रूप देने कया कया््म सर्वप्रथम अद्भुत प्रतिभया , सियाहनधी् निष्ठा , न्यायशधीलतया , सपष्टवयालदतया के धनधी ्बया्बया सयाह्ब युगपुरुष डॉ . भधीमियाव अम्बेडकर जधी ने लक्या । आप ज्ञान के भंियाि और दलितों एवं शोषितों के मसधीहया ्बनकर भयाितधी् समयाज में अवतरित हुए । आपने दलितों एवं शोषितों को समयाज में सर ऊंिया कर ्बिया्बिधी के सया् चलनया लसिया्या । आप ऐसे समयाज कधी केवल कलपनया हधी कर सकते हैं , ज्ब हमयािे पुरखों में से कुछ को इनसयान जैसधी शकल-सूरत होने के ्बयावजूद , उनहें सवर्ण समयाज इनसयान नहीं समझतया ्या । ऐसे समयाज
वयालया व्सकत ्या समयाज अपने आप में एक धोिया है । विशव कधी सभ्तया और संसकृलत में ऐसया कहीं भधी देखने को नहीं मिलेगया कि व्सकत को एक ्बयाि सपश्म होने से छूने वयालया व्सकत अपलवत् हो जयाए । भयाित में अस्पृश्तया के इस जयादुई लसद्धयांत कया कोई तयालक्फक जवया्ब किसधी समयाजशास्त्री के पयास अभधी तक उपलबध नहीं है । यह अनूठया और ्बेमिसयाल लसद्धयांत पूर्णत्या षड्ंत् और ्बेईमयानधी के अलयावया कुछ नहीं दिखतया है । जधीवन कधी इन दगध एवं करुण सस्लत्ों से उ्बिने के लिए दलित सयालहत् के मयाध्म से दलित अपनधी अससमतया को पहियानने कया प्र्यास कर रहया है - दलित कौन है , उसकधी सस्लत क्या ्धी ? उसकधी इस सस्लत के लिए कौन उत्िदया्धी है , उनकधी संसकृलत क्या ्धी ? उसके पूर्वज कौन थे ? यह चिंतन हधी दलित सयालहत् के प्रमुख विषय हैं ।
दलित समुदया् के ्बहुजन ( करोडों ) लोग आर्य हिंदुओं से सयामयालजक न्याय कधी आशया लगयाए हुए हैं , परंतु धर्मांधतया और असमयानतया के पक्षधर ये लोग समयानतया के चिंतन को तयाक में रख देते हैं । आज देश में करोडों निर्धन , अनपि , ्बेरोजगयाि
twu 2023 41