egkiq :" k
आधयािभूत एकतया कया अद्भूत उदयाहरण पेश लक्या है ।
डॉ अम्बेकडर कया सपनया भयाित को महयान , सशकत और स्वावलं्बधी ्बनयाने कया ्या । डॉ . अम्बेडकर कधी दपृसष्ट में प्रजयातंत् व्वस्था सववोतम व्वस्था है , जिसमें एक मयानव एक मूल् कया लवियाि है । सयामयालजक व्वस्था में हर व्सकत कया अपनया अपनया योगदयान है , पर ियाजनधीलतक दपृसष्ट से यह योगदयान तभधी संभव है ज्ब समयाज और लवियाि दोनों प्रजयातयांलत्क हों । आर्थिक कल्याण के लिए आर्थिक दपृसष्ट से भधी प्रजयातंत् जरुिधी है । आज लोकतयांलत्क और आधुनिक लदियाई देने वयालया देश , अम्बेडकर के संविधयान सभया में किये गए सत् वैियारिक संघर्ष और उनके व्यापक दपृसष्टकोण कया नतधीजया है , जो उनकधी देख-रेख में ्बनयाए गए संविधयान में क्रियान्वित हुआ है , लेकिन फिर भधी संविधयान वैसया नहीं ्बन पया्या जैसया अम्बेडकर ियाहते थे , इसलिए वह इस संविधयान से खुश नहीं थे । आखिर अम्बेडकर आजयाद भयाित के लिए कैसया संविधयान ियाहते थे ?
डॉ अम्बेडकर ियाहते थे कि देश के हर ्बच्चे को एक समयान , अनिवया््म और मुफत लशक्षया मिलनधी ियालहए , ियाहे व किसधी भधी जयालत , धर्म ्या वर्ग कया क्ों न हो । वे संविधयान में लशक्षया को मौलिक अधिकयाि ्बनवयानया ियाहते थे । देश कधी आधधी से ज्यादया आ्बयादधी ्बदहयालधी , गिधी्बधी और भूखमिधी कधी रेिया पर अमयानवधी् और असयांसकृलतक जधीवन जधीने को अभिशपत है । इस आ्बयादधी कधी आर्थिक सुिक्षया सुलनलश्त करने के लिए हधी डॉ अम्बेडकर ने रोजगयाि के अधिकयाि को मौलिक अधिकयाि ्बनयाने कधी वकयालत कधी ्धी । संविधयान में मौलिक अधिकयाि न ्बन पयाने के कयािण 20 करोड से भधी ज्यादया लोग ्बेरोजगयािधी कधी मयाि झेल रहे है । ्बया्बया सयाह्ब ने दलित वगवो के लिए लशक्षया और रोजगयाि में आरक्षण दिए जयाने कधी वकयालत कधी ्धी तयालक उनहें दूसरो कधी तरह ्बिया्बि के मौके मिल सकें । अगर लशक्षया , रोजगयाि और आवयास को मौलिक अधिकयाि ्बनया लद्या जयातया तो उनहें आरक्षण कधी वकयालत कधी शया्द जरूरत हधी न होतधी ।
डॉ . अम्बेडकर प्रजयातयांलत्क सरकयािों कधी कमधी
से परिचित थे , इसलिए उनहोंने सधयािण कयानून कधी ्बजया् संवैधयालनक कयानून को महतव लद्या । मजदूर अधिकयािों पर डॉ आं्बेडकर कया मयाननया ्या कि वर्ण व्वस्था केवल श्म कया हधी विभयाजन नहीं है , यह श्लमकों कया भधी विभयाजन है । दलितों को भधी मजदूर वर्ग के रूप में एकलत्त होनया ियालहए । मगर यह एकतया मजदूरों के ्बधीि जयालत कधी ियाई को लम्टया कर हधी हो सकतधी है । डॉ अम्बेडकर कधी यह सोच ्बेहद क्रयांलतकयािधी है , क्ोंकि यह भयाितधी् समयाज कधी सयामयालजक संरचनया कधी सहधी और वयासतलवक समझ कधी ओर ले जयाने वयालधी कोशिश है ।
डॉ अम्बेडकर भयाितधी् दलितों कया ियाजनधीलतक सशक्तीकरण ियाहते थे । उसधी कया नतधीजया है कि आज लोकसभया कधी 79 सधी्टें अनुसूचित जयालत्ों के लिए और 41 सधी्टें अनुसूचित जनजयालत्ों के लिए आरक्षित कधी गई है । सरकयाि ने संविधयान संशोधन कर यह ियाजनधीलतक आरक्षण 2026 तक कर लद्या है । शुरू में आरक्षण केवल 10 वर्ष के लिए ्या । यह ियाजनधीलतक आरक्षण इन समूहों कया कितनया सशक्तीकरण कर पया्या हैं , यह आज के समय कया एक ्बड़ा सवयाल है । अपनया जनसमर्थन खो देने के डर से कोई भधी ियाजनधीलतक दल इस पर ििया्म नहीं करनया ियाहतया ।
देिया जयाए , तो दल-्बदल कयानून के रहते यह संभव हधी नहीं है कि कोई दलित-आदिवयासधी विधया्क ्या संसद अपनधी मजती से वो्ट कर सके । हमने देिया है कि कुछ सयाल पहले लोकसभया में दलित-आदिवयासधी सयांसदों ने एक फोरम ्बनया्या ्या , इन वगवो के अधिकयािों के लिए , पया्टती लयाइन से ऊपर उठकर । दल-्बदल कयानून के कयािण वह ्बेअसर रहया है । डॉ अम्बेडकर दूरदशती नेतया थे । उनहें अहसयास ्या कि इन समूहों को ्बिया्बिधी कया दजया्म पयाने के लिए ्बहुत समय लगेगया , वे यह भधी जयानते थे कि सिर्फ आरक्षण से सयामयालजक न्याय सुलनलश्त नहीं लक्या जया सकतया । हमने देिया है कि पूर्व ियाषट्पति ज्ञानधी जैल सिह , ्बया्बू जगजधीवन ियाम , मया्यावतधी जधी , आदि दलित-पिछड़े नेतयाओं पर किस तरह के जुमले और फिकरे गढ़े जयाते रहे हैं ।
डॉ अम्बेडकर कया पूिया जोर दलित-वंचित
वगगों में लशक्षया के प्रसयाि और ियाजनधीलतक चेतनया पर रहया है । आरक्षण उनके लिए एक सधीमया्बद् तरकधी्ब ्धी । दुभया्मग् से आज उनके अनु्या्धी इन ्बयातों को भुलया चुके है । ्बड़ा सवयाल यह है कि सवतंत्रा के 67 सयालों में भधी अगर भयाितधी् समयाज इन दलित-आदिवयासधी समूहों को आतमसयात नहीं कर पया्या है , तो जरूरत है पूरे संवैधयालनक प्रयावधयानों पर नई सोच के सया् देखने कधी , तयांकि इन वगगों को सयामयालजक ्बिया्बिधी के सति पर खड़ा लक्या जया सके । अम्बेडकर कया मत ्या कि ियाषट् व्सकत्ों से होतया है , व्सकत के सुख और समपृलद्ध से ियाषट् सुिधी और समपृद्ध ्बनतया है । डॉ . अम्बेडकर के लवियाि से ियाषट् एक भयाव है , एक चेतनया है , जिसकया स्बसे छो्टया घ्टक व्सकत है और व्सकत को सुसंसकृत त्या राष्ट्रीय जधीवन से जुड़ा होनया ियालहए । ियाषट् को सववोपरि मयानते हुए अम्बेडकर व्सकत को प्रगति कया केद्र ्बनयानया ियाहते थे । वह व्सकत को सयाध् और ियाज् को सयाधन मयानते थे ।
डॉ . अम्बेडकर ने इस देश कधी सयामयालजक-
36 twu 2023