भयाित के सर्वांगधीण विकयास और राष्ट्रीय पुनरुत्थान के लिए स्बसे अधिक महतवपूर्ण विषय हिंदू समयाज कया सुधयाि एवं आतम-उद्धयाि है । हिंदू धर्म मयानव विकयास और ईशवि कधी प्राप्ति कया स्ोत है । किसधी एक पर अंतिम सत् कधी मुहर लगयाए ल्बनया सभधी रुपों में सत् को स्वीकयाि करने , मयानव-विकयास के उच्चतर सोपयान पर पहुंचने कधी गज्ब कधी क्षमतया है , इस धर्म में ! श्रीमद्भगवद्गीतया में इस लवियाि पर जोर लद्या
ग्या है कि व्सकत कधी महयानतया उसके कर्म से सुलनलश्त होतधी है न कि जनम से । इसके ्बयावजूद अनेक इतिहयालसक कयािणों से इसमें आई नकयाितमक ्बुियाइयों , ऊंच-नधीि कधी अवधयािणया , कुछ जयालत्ों को अछूत समझने कधी आदत इसकया स्बसे ्बड़ा दोष रहया है । यह अनेक सहस्यासबद्ों से हिंदू धर्म के जधीवन कया मयाग्मदर्शन करने वयाले आध्यासतमक सिंद्धयातों के भधी प्रतिकूल है ।
हिंदू समयाज ने अपने मूलभूत सिंद्धयातों कया पुनः पतया लगयाकर त्या मयानवतया के अन् घ्टकों से सधीिकर समय समय पर आतम सुधयाि कधी इच्छा एवं क्षमतया दशया्मई है । सैकडों सयालों से वयासतव में इस दिशया में प्रगति हुई है । इसकया श्े् आधुनिक कयाल के संतों एवं समयाज सुधयािकों स्वामधी विवेकयानंद , स्वामधी द्यानंद , ियाजया ियाममोहन िया् , महयात्मा ज्ोलत्बया फुले एवं उनकधी पत्नधी सयालवत्री ्बयाई फुले , नयािया्ण गुरु , गयांधधीजधी और िया . ्बया्बया सयाह्ब अम्बेडकर को जयातया है । इस संदर्भ में राष्ट्रीय सव्ंसेवक संघ त्या इससे प्रेरित अनेक संगठन हिंदू एकतया एवं हिंदू समयाज के पुनरुत्थान के लिए सयामयालजक समयानतया पर जोर दे रहे है । संघ के तधीसरे सरसंघियालक ्बयालयासयाह्ब देवरस कहते थे कि ‘ यदि अस्पृश्तया पयाप नहीं है तो इस संसयाि में अन् दूसिया कोई पयाप हो हधी नहीं सकतया । वर्तमयान दलित समुदया् जो अभधी भधी हिंदू है अधिकयांश उनहीं सयाहसधी ब्राह्राणें व क्षलत््ों के हधी वंशज हैं , जिनहोंने जयालत से ्बयाहर होनया स्वीकयाि लक्या , किंतु विदेशधी शयासकों द्यािया ज्बिन धर्म परिवर्तन स्वीकयाि नहीं लक्या । आज के हिंदू समुदया् को उनकया शुक्रगुजयाि होनया ियालहए कि उनहोंने हिंदुतव को नधीिया लदियाने कधी जगह खुद नधीिया होनया स्वीकयाि कर लल्या ।
हिंदू समयाज के इस सशसकतकरण कधी ्यात्रा को डॉ . अम्बेडकर ने आगे ्बिया्या , उनकया दपृसष्टकोण न तो संकुचित ्या और न हधी वे पक्षपयातधी थे । दलितों को सशकत करने और उनहें शिक्षित करने कया उनकया अलभ्यान एक तरह से हिंदू समयाज ओर ियाषट् को सशकत करने कया अलभ्यान ्या । उनके द्यािया उठयाए गए सवयाल
जितने उस समय प्रयासंगिक थे , आज भधी उतने हधी प्रयासंगिक है कि अगर समयाज कया एक ्बड़ा हिस्सा शसकतहधीन और अशिक्षित रहेगया तो हिंदू समयाज ओर ियाषट् सशकत कैसे हो सकतया है ?
वह ्बयाि ्बयाि सवर्ण हिंदुओं से आग्ह कर रहे थे कि विषमतया कधी दिवयािों को लगियाओं , तभधी हिंदू समयाज शसकतशयालधी ्बनेगया । डॉ . अम्बेडकर कया मत ्या कि जहयां सभधी क्षेत्ों में अन्याय , शोषण एवं उतपधीडन होगया , वहीं सयामयालजक न्याय कधी धयािणया जनम लेगधी । आशया के अनुरूप उतर न मिलने पर उनहोंने 1935 में नयालसक में यह घोषणया कधी , वे हिंदू नहीं रहेंगे । अंग्ेजधी सरकयाि ने भले हधी दलित समयाज को कुछ कयानूनधी अधिकयाि दिए थे , लेकिन अम्बेडकर जयानते थे कि यह समस्या कयानून कधी समस्या नहीं है । यह हिंदू समयाज के भधीतर कधी समस्या है और इसे हिंदुओं को हधी सुलझयानया होगया । वे समयाज के विभिन्न वगवो को आपस में जोडने कया कया््म कर रहे थे ।
डॉ अम्बेडकर ने भले हधी हिंदू न रहने कधी घोषणया कर दधी ्धी । ईसयाइयत ्या इस्लाम से खुलया निमंत्ण मिलने के ्बयावजूद उनहोंने इन विदेशधी धमगों में जयानया उचित नहीं मयानया । डॉ . अम्बेडकर इस्लाम और ईसयाइयत ग्हण करने वयाले दलितों कधी दुर्दशया को जयानते थे । उनकया मत ्या कि धर्मांतरण से ियाषट् को नुकसयान उठयानया पडतया है । विदेशधी धमगों को अपनयाने से व्सकत अपने देश कधी परंपिया से ्टू्टतया है ।
वर्तमयान समय में देश ओर दुलन्यां में ऐसधी धयािणया ्बनयाई जया रहधी है कि अम्बेडकर केवल दलितों के नेतया थे । उनहोंने केवल दलित उत्थान के लिए कया््म लक्या यह सहधी नहीं होगया । उनहोंने भयाित कधी आत्मा हिंदुतव के लिए कया््म लक्या । ज्ब हिंदूओं के लिए एक विधि संहितया ्बनयाने कया प्रंसग आ्या तो स्बसे ्बड़ा सवयाल हिंदू को पयारिभयालषत करने कया ्या । डॉ . अम्बेडकर ने अपनधी दूरदपृसष्ट से इसे ऐसे पयारिभयालषत लक्या कि मुसलमयान , ईसयाई , यहूदधी और पयािसधी को छोडकर इस देश के स्ब नयागरिक हिंदू हैं , अ्या्मत विदेशधी उदगम के धमगों को मयानने वयाले अहिंदू हैं , ्बयाकधी स्ब हिंदू है । उनहोंने इस परिभयाषया से देश कधी
twu 2023 35