eMag_June 2023_DA | Page 34

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हिंदू समाज का सशवतिकरण थी डॉ . अम्ेडकर की प्ाथमिकता

प्रेम कुमिार

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र्तमयान समय में ियाजनधीलतक सुविधया के हिसया्ब से हर कोई डॉ . अम्बेडकर को अपने अपने तिधीके से परिभयालषत करने में लगया हुआ है , कुछ उनहें देवतया ्बनयाने में लगे हैं तो कुछ उनहें केवल दलितों कधी ्बपौतधी मयानते हैं और कई उनहें हिनदुओं के विरोधधी नया्क के रूप में रखते हैं । कुछ लोग तो अम्बेडकर के धर्म-परिवर्तन के सहधी मर्म को
समझे ल्बनया हधी आज दलितों को हिंदुओं से अलग कर उनहें एक धर्म के रूप में रखने कधी मयांग करने लगे हैं ।
कोई इस पर ्बयात हधी नहीं करनया ियाहतया कि डॉ . अम्बेडकर कया पूिया संघर्ष हिंदू समयाज ओर ियाषट् के सशक्तीकरण कया हधी ्या । डॉ . अम्बेडकर के चिनतन और दपृसष्ट को समझने के लिए यह ध्यान रखनया जरूिधी है कि वे अपने चिनतन में कहीं भधी दुराग्रहधी नहीं है । उनके चिनतन में जडतया
नहीं है । डॉ अम्बेडकर कया दर्शन समयाज को गतिमयान ्बनयाए रखने कया है । लवियािों कया नयालया ्बनयाकर उसमें समयाज को डु्बयाने-वयालया लवियाि नहीं है । डॉ अम्बेडकर मयानते थे कि समयानतया के ल्बनया समयाज ऐसया है , जैसे ल्बनया हल््यािों के सेनया । समयानतया को समयाज के स्थाई लनमया्मण के लिये धयालम्मक , सयामयालजक , ियाजनधीलतक , आर्थिक एवं शैक्षणिक क्षेत् में त्या अन् क्षेत्ों में लयागू करनया आवश्क है ।
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