eMag_June 2023_DA | Page 33

्बनधी हुई है । केंद्र सरकयाि और ियाज् सरकयाि दलित वर्ग कया विकयास के लिए विभिन्न सरकयािधी योजनयाएं क्रियान्वित कर रहधी हैं लेकिन दलित समयाज कधी आर्थिक दशया में आमूल चूल परिवर्तन हधी दपृसष्टगोचर होतया है क्ोंकि दलित समयाज कया भूमि और उत्पादन के संसयाधनों पर एकयालधकयाि नहीं रहया है ।
भयाित में वर्ष 2010 में यूपधीए कधी सरकयाि के
दौियान कॉमनवेल् घो्टयालया , ्टूजधीसकेम घो्टयालया , कोलसकेम आदि घ्टनयाएं दशया्मतधी है कि भूमंडलधीकरण के युग में भधी भ्रष्टयाियाि एक विकियाल चुनौतधी ्बनया हुआ है और यहधी कयािण है कि दलित समयाज आज भधी हयालश्े पर है । दलित वर्ग के ्बच्चों के लिए सकूलों और कयालेजों में छात्रवृत्तियों कधी व्वस्था कधी ग्धी है लेकिन यहयां पयािदर्शितया के अभयाव के कयािण दलित समयाज सरकयािधी सहया्तया पयाने में भधी नयाकयाम्या्ब हधी लदियाई पड़तया है । दलित समयाज के विकयास में ्बयालश्म भधी प्रमुख समस्या निहित है । दलित समयाज में आज भधी आर्थिक रूप से सशकत नहीं है I इसधीलिए उनके ्बच्चे लशक्षया के स्थान पर मजदूिधी करनधी शुरू कर देते हैं । महंगयाई ्बि गई है कि दलित जधीवन्यापन करने में असहज
लदियाई पड़ते हैं क्ोंकि ्बहुसंख्क दलित भूमिहधीन है । देश में दलित समयाज के लयािों ्बच्चे ऐसे हैं जो उचित व्वस्था के अभयाव में मयानसिक शयािधीरिक शोषण कया शिकयाि हो रहे हैं । ऐसया नहीं है कि देश में ्बयाल अधिकयािों कधी िक्षया से जुड़े कयानून नहीं है लेकिन वे ्बयाल अधिकयािों को सुिक्षया नहीं दे पया रहे हैं क्ोंकि सरकयािधी संस्थाएं और गैर सरकयािधी संस्थाएं
ईमयानदयािधी के सया् कयाम नहीं कर रहधी हैं और इस समस्या को समयापत करने के लिए भयाित के प्रत्ेक व्सकत को अपनधी भयागधीदयािधी निभयानधी होगधी । ्बयालश्म को समयापत करने के लिए पूिधी ईमयानदयािधी के सया् लोगों को जयागरूक करनया होगया । हमें हर ्बच्चे को लशक्षया देने के लिए ज़ोर देनया होगया ।
दलित समयाज में अभिशपत भुखमिधी एवं गिधी्बधी के लिए अलशक्षया भधी एक प्रमुख कयािक है । यह सत् है कि अलशक्षया के कयािण दलित वर्ग परिवयाि नियोजन नहीं कर सकतया । जिसके आय के प्रतिकूल ्बच्चे होंगे वो अपने ्बच्चों को कैसे पढ़ाएगया और क्या खिलया्ेगया ? सरकयाि को परिवयाि नियोजन के महतव को जनसमपक्फ , रैलधी और विज्ञापनों के द्यािया समझयानया ियालहए । अगर दलित समयाज कधी आर्थिक दशया सवस् नहीं होगधी
तो वह देश के विकयास में अपनया योगदयान नहीं दे सकेंगे । उदयाहरण के तौर पर जिस तरह महयात्मा गयाँधधी ने आनदोलन चलया्या ्या कि अंग्ेजधी हुकुमत ह्टयाओ ठधीक उसधी तर्ज पर आनदोलन चलयानया ियालहए और इसमें ‘ दलितों कधी गिधी्बधी और अलशक्षया ह्टयाओ ’ कया नयािया ्बुलंद लक्या जयानया ियालहए । गयाँधधीजधी ने कहया ्या कि ियाजनधीलतक आज़ादधी तो मिल गई है मगर आर्थिक आज़ादधी नहीं मिलधी है । जिस तरह हमने अंग्ेज़ों को अपने देश से ्बयाहर निकयालया ्या उसधी प्रकयाि गिधी्बधी और अलशक्षया को भधी दूर भगयानया होगया तभधी एक खुशहयाल देश कया सपनया पूिया हो सकेगया । अं्बेडकर द्यािया सुझया्या ग्या तिधीकया हधी स्बसे उपयोगधी है । ज़रूरत इस ्बयात कधी है कि सभधी ियाजनधीलतक पयाल ्ट्याँ दलित समयाज को सशकत करने के लिए दलितों कधी सयाव्मभौमिक समस्याओं को अपनया मुद्दा ्बनयाएँ , जिससे दलित समयाज को देश कधी मुख्धयािया से जोडया जया सके ।
दलित समयाज वर्तमयान में भधी अपने अधिकयािों से वंचित है क्ोंकि दलित समुदया् पूर्ण रूप से लशक्षया पर अपनधी पकड़ नहीं ्बनया पया्या है । लशक्षया सर्व समयाज के विकयास कधी कुंजधी है इसधीलिए डॉ . अम्बेडकर ने दलितों को शिक्षित ्बनो , संघर्ष करो और संगठित रहो कया गुरुमंत् लद्या । दलित समयाज गुरु मंत् को अपनयाने में नयाकयाम्या्ब नज़र आतया है । दलितों कधी दशया और दिशया में परिवर्तन अवश् हुआ है , दलित समुदया् के लोग आज उच्च पदों पर आसधीन हैं । लेकिन फिर भधी दलित समयाज सयामयालजक और आर्थिक रूप से पिछडया हुआ है । ्बया्बया सयाहे्ब अं्बेडकर के सपने को सयाकयाि करने में दलित समयाज हर क्षेत् में पकड़ ्बनयाने के लिए प्र्यास कर रहया है । यह दुभया्मग् है इस देश कया कि आज़यादधी के इतने वषगों के पश्चात भधी वर्ग को शोषण और हत्याकयांडों कधी घ्टनयाओं से प्रतिदिन गुज़रनया पड़तया है । कहनया गलत नहीं होगया कि दलित समयाज को सयामयालजक समयानतया दिलयाने में सभधी वर्ग के लोगों को अपनधी ज़िममेदयािधी निभयानधी होगधी और भयाित सरकयाि को भधी दलित समयाज के लोगों कया विकयास करने के लिए नई नधीलत्यां ्बनयानधी होंगधी , जिससे दलित समयाज देश के विकयास में ईमयानदयािधी के सया् अपनया योगदयान दे सकें । �
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