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्बनने कया विधयान देने वयाले अगर कोई है तो स्वामधी द्यानंद है । स्वामधी द्यानंद के चिंतन कया अनुसरण करते हुए आर्यसमयाज ने अनेक गुरुकुल और विद्यालय खोले जिनमें ल्बनया जयालत भेदभयाव के समयान रूप से सभधी को लशक्षया दधी गई । अनेक सयामूहिक भोज कया््मक्रम हुए जिससे सयामयालजक दूरि्यां दूर हुए । अनेक मंदिरों में दलितों को न केवल प्रवेश मिलया अपितु जनेऊ धयािण करने और अलनिहोत् करने कया भधी अधिकयाि मिलया । इस महयान कया््म के लिए आर्यसमयाज के अनेकों कया््मकतया्मओं ने जैसे स्वामधी श्रद्धानंद , लयालया लयाजपत िया् , भयाई परमयाननद आदि ने अपनया जधीवन लगया लद्या ।
इसधी प्रकयाि से वधीि सयावरकर द्यािया ित्नयालगिधी में पतितपयावन मंदिर कधी स्थापनया करने से लेकर दलितों के मंदिरों में प्रवेश और छुआछूत उनर्मुलन के लिए भयािधी प्र्यास किये गए । इसके अतिरिकत वनवयासधी कल्याण आश्म , ियामकृषण मिशन आदि द्यािया वनवयासधी क्षेत्ों में भधी अनेक कया््म किये जया रहे हैं । ईसयाई मिशनिधी अपने मधीलि्या में प्रभयावों से इन सभधी कार्यों को कभधी उजयागर नहीं होने देतधी । वह यह लदियातधी है कि केवल वहधी कया््म कर रहे है । ्बयालक कोई दलितों के उत्थान कया कया््म नहीं कर रहया है । यह भधी एक प्रकयाि कया वैियारिक आतंकवयाद है । इससे दलित समयाज में यह भ्रम फैलतया है कि केवल
ईसयाई हधी दलितों के शुभचिंतक है । हिनदू सवर्ण समयाज तो सवया्ती और उनसे द्ेष करने वयालया है ।
डॉ अम्बेडकर और दलित समाज
ईसयाई मिशनिधी ने अगर किसधी के चिंतन कया स्बसे अधिक दुरूपयोग लक्या तो वह संभवत डॉ अम्बेडकर हधी थे । ज्ब तक डॉ अम्बेडकर जधीलवत थे , ईसयाई मिशनिधी उनहें ्बड़े से ्बडया प्रलोभन देतधी रहधी कि किसधी प्रकयाि से ईसयाई मत ग्हण कर ले क्ोंकि डॉ अम्बेडकर के ईसयाई ्बनते हधी करोड़ों दलितों के ईसयाई ्बनने कया ियास्ता सदया के लिए खुल जयातया । उनकया प्रलोभन तो क्या हधी स्वीकयाि करनया ्या । डॉ अम्बेडकर ने खुले शबदों के ईसयाइयों द्यािया सयाम , दयाम , दंड और भेद कधी नधीलत से धमया्मनतिण करने को अनुचित कहया । डॉ अम्बेडकर ने ईसयाई धमया्मनतिण को ियाषट् के लिए घयातक ्बतया्या ्या । उनहें ज्ञात ्या कि इसे धमया्मनतिण करने के ्बयाद भधी दलितों के सया् भेदभयाव होगया । उनहें ज्ञात ्या कि ईसयाई समयाज में भधी अंग्ेज ईसयाई , गैर अंग्ेज ईसयाई , सवर्ण ईसयाई , दलित ईसयाई जैसे भेदभयाव हैं । यहयां तक कि इन सभधी गु्टों में आपस में विवयाह आदि के सम्बनध नहीं होते है । यहयां तक इनके गिरिजयाघर , पयादिधी से
लेकर कलब्स्तान भधी अलग होते हैं । अगर स्थानधी् सति पर ( विशेष रूप से दक्षिण भयाित ) दलित ईसयाईयों के सया् दूसरे ईसयाई भेदभयाव करते है । तो विशव सति पर गोरे ईसयाई ( यूरोप ) कयाले ईसयाईयों ( अफ्रीकया ) के सया् भेदभयाव करते हैं । इसलिए केवल नयाम से ईसयाई ्बनने से डॉ अम्बेडकर ने सपष्ट इंकयाि कर लद्या । डॉ अम्बेडकर के अनुसयाि ईसयाई ्बनते हधी हर भयाितधी् , भयाितधी् नहीं रहतया । वह विदेशियों कया आर्थिक , मयानसिक और धयालम्मक रूप से गुलयाम ्बन जयातया है । इतने सपष्ट रूप से लनदवेश देने के ्बयाद भधी भयाित में दलितों के उत्थान के लिए चलने वयालधी सभधी संस्थाएं ईसयाईयों के हया्ों में है । उनकया संियालन चर्च द्यािया होतया है और उनहें दिशया लनदवेश विदेशों से मिलते है ।
सेवा के नाम पर धमाांतरण
इस प्रकयाि समझया जया सकतया है कि कैसे ईसयाई मिशनिधी दलितों को हिंदुओं के अलग करने के लिए पुरजोर प्र्यास कर रहधी हैं । इनकया प्र्यास इतनया सुनियोजित है कि सयाधयािण भयाितधी्ों को इनके षड़यंत् कया आभयास तक नहीं होतया । अपने आपको ईसयाई समयाज मधुर भयाषधी , गिधी्बों के लिए द्या एवं सेवया कधी भयावनया रखने वयालया , विद्यालय , अनया्यालय , चिकित्सालय आदि के मयाध्म से गिधी्बों कधी सहया्तया करने वयालया लदियातया है । मगर सत् यह है कि ईसयाई यह स्ब कया््म मयानवतया कि सेवया के लिए नहीं अपितु इसे ्बनयाने के लिए करतया है । विशव इतिहयास से लेकर वर्तमयान में देख लधीलज्े पूरे विशव में कोई भधी ईसयाई मिशन मयानव सेवया के लिए केवल धमया्मनतिण के लिए कया््म कर रहया हैं । यहधी खेल उनहोंने दलितों के सया् खेलया है । दलितों को ईसयाईयों कधी कठपुतलधी ्बनने के स्थान पर उन हिंदुओं कया सया् देनया ियालहए जो जयालतवयाद कया समर्थन नहीं करते है । भयाित के दलितों कया कल्याण हिनदू समयाज के सया् मिलकर रहने में हधी है । इसके लिए हिनदू समयाज को जयालतवयाद रूपधी सयांप कया फन कुचलकर अपने हधी भयाइयों को ल्बनया भेद भयाव के स्वीकयाि करनया होगया । �
22 twu 2023