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त्ोहयािों को भधी नकयाियातमक प्रकयाि से प्रियारित करने कया एक न्या प्रपंच लक्या । इस खेल के पधीछ़े कया इतिहयास भधी जयालनए । जो दलित ईसयाई ्बन जयाते थे । वे अपने िधीलत-रिवयाज , अपने त्ोहयाि ्बनयानया नहीं छोड़ते थे । उनके मन में प्रयािधीन
धर्म के विषय में आस्था और श्रद्धा धर्म परिवर्तन करने के ्बयाद भधी जधीलवत रहतधी ्धी । अ्ब उनको कट्टर ्बनयाने के लिए उनको भड़कयानया आवश्क ्या । इसलिए ईसयाई मिशनरियों ने विशवलवद्यालयों में हिनदू त्ोहयािों और उनसे सम्बंधित देवधी देवतों
के विषय में अनर्गल प्रलयाप आरमभ लक्या । इस षड़यंत् कया एक उदहयािण लधीलज्े । महिषुर दिवस कया आयोजन दलितों के मयाध्म से कुछ लवसशवद्यालयों में ईसयाईयों ने आरमभ करवया्या । इसमें शोध के नयाम पर यह प्रलसद् लक्या ग्या कि कयालधी देवधी द्यािया अपने से अधिक शसकतशयालधी मूलनिवयासधी ियाजया के सया् नौ दिन तक पहले शयन लक्या ग्या । अंतिम दिन मलदिया के नशे में देवधी ने शुद्र ियाजया महिषयासुर कया सर कया्ट लद्या । ऐसधी ्बेहूदधी , ्बिकयानया ्बयातों को शौध कया नयाम देने वयाले ईसयाईयों कया उद्ेश् दशहिया , दधीवयालधी , होलधी , ओणम , श्रावणधी आदि पवगों को पयािंड और ईस्टर , गुड फ्राइि़े आदि को पलवत् और पयावन सिद्ध करनया ्या । दलित समयाज के कुछ युवया भधी ईसयाईयों के ्बहकयावें में आकर मूर्खतया पूर्ण हरकते कर अपने आपको उनकया मयानसिक गुलयाम सिद्ध कर देते है ।
हिंिदुत्व से अलग करने का प्रयास
ईसयाई समयाज कधी तेज खोपडधी ने एक ्बडया
सुनियोजित धधीमया जहर खोलया । उनहोंने इतिहयास में जितने भधी कया््म हिनदू समयाज द्यािया जयालतवयाद को लम्टयाने के लिए किये गए । उन सभधी को छिपया लद्या । जैसे भसकत आंदोलन के सभधी संत क्बधीि , गुरु नयानक , नयामदेव , दयादूद्याल , ्बसवया लिंगया्त , रविदयास आदि ने उस कयाल में प्रचलित धयालम्मक अंधविश्वासों पर निषपक्ष होकर अपने लवियाि कहे थे । समग् रूप से पि़े तो हर समयाज सुधयािक कया उद्ेश् समयाज सुधयाि करनया ्या । जहयाँ क्बधीि हिनदू पंडितों के पयािंडों पर जमकर प्रहयाि करते है , वहीं मुसलमयानों के रोजे , नमयाज़ और क़ुि्बयानधी पर भधी भयािधी भरकम प्रलतलक्र्या करते है । गुरु नयानक जहयां हिनदू में प्रचलित अंधविश्वासों कधी समधीक्षया करते है , वहीं इस्लामिक आक्रयांतया ्बया्बि को सयाक्षयात शैतयान कधी उपमया देते है । इतनया हधी नहीं सभधी समयाज सुधयािक वेद , हिनदू देवधी-देवतया , तधी््म , ईशवि आियाधनया , आससतकतया , गोिक्षया सभधी में अपनया विश्वास और समर्थन प्रदर्शित करते हैं । ईसयाई मिशनरियों ने भसकत आंदोलन पर शोध के नयाम पर सुनियोजित षड़यंत् लक्या । एक ओर उनहोंने समयाज सुधयािकों द्यािया हिनदू समयाज में प्रचलित अंधविश्वासों को तो ्बिया ििया कर प्रियारित लक्या , दूसिधी ओर इस्लाम आदि पर उनके द्यािया कहे गए लवियािों को छुपया लद्या । इससे दलितों को यह लदिया्या ग्या कि जैसे भसकत कयाल में संत समयाज ब्राह्मणों कया विरोध करतया ्या और दलितों के हित कधी ्बयात करतया ्या I
सवर्ण हिन्ू समाज द्ारा दलित उत्ान का कार्य
पिछले 100 वषगों से हिनदू समयाज ने दलितों के उत्थान के लिए अनेक प्र्यास किये । सर्वप्रथम प्र्यास आर्यसमयाज के संस्थापक स्वामधी द्यानंद द्यािया लक्या ग्या । आधुनिक भयाित में दलितों को गया्त्री मंत् कधी दधीक्षया देने वयाले , सवर्ण होते हुए उनके हया् से भोजन-जल ग्हण करने वयाले , उनहें वेद मंत् पढ़ने , सुनने और सुनयाने कया प्रयावधयान करने वयाले , उनहें ल्बनया भेदभयाव के आध्यासतमक लशक्षया ग्हण करने कया विधयान देने वयाले , उनहें वयालपस से शुद्ध होकर वैदिक धमती
twu 2023 21