लद्या । उनकधी कन्याओं के सया् ज्बिदस्ती विवयाह लक्या । इससे उत्ि भयाितधी्ों और दक्षिण भयाितधी्ों में दियाि ियालने कया प्र्यास लक्या ग्या । इसके अतिरिकत नयाक के आधयाि पर और रंग के आधयाि पर भधी तोड़ने कया प्र्यास लक्या । इससे दयाल नहीं गलधी तो हिनदू समयाज से अलग प्रदर्शित करने के लिए सवणगों को आर्य और शूद्रों को अनया््म सिद्ध करने कया प्र्यास लक्या ग्या । सत् यह है कि इतिहयास में एक भधी प्रमयाण आ्गों के विदेशधी होने और हमलयावर होने कया नहीं मिलतया । ईसयाईयों कधी इस हरकत से भयाित के ियाजनेतयाओं ने ्बहुत लयाभ उठया्या । फु्ट ियालों और ियाज करो कि यह नधीलत ्बेहद खतरनयाक है ।
ब्ाह्मणवाद और मनदुवाद का जदुमला
यह चरण ्बेहद आक्रोश भिया ्या । दलितों को यह लदिया्या ग्या कि सभधी सवर्ण जयालतवयादधी है और दलितों पर हज़यािों वषगों से अत्याियाि करते आये है । जयालतवयाद को स्बसे अधिक ब्राह्मणों ने ्बियावया लद्या है । जयालतवयाद कि इस विष लतया को ियाद देने के लिए ब्राह्मणवयाद कया जुमलया प्रचलित लक्या ग्या । हमयािे देश के इतिहयास में मध् कयाल कया एक अंधकयािमय युग भधी ्या । ज्ब वर्णव्वस्था कया स्थान जयालतवयाद ने ले लल्या ्या । कोई व्सकत ब्राह्मण गुण , कर्म और स्वाभयाव के स्थान पर नहीं अपितु जनम के स्थान पर प्रचलित लक्या ग्या । इससे पूर्व वैदिक कयाल में किसधी भधी व्सकत कया वर्ण , उसकधी लशक्षया प्राप्ति के उपियांत उसके गुणों के आधयाि पर लनधया्मरित होतया ्या । इस ल्बगयाड व्वस्था में एक ब्राह्मण कया ्बे्टया ब्राह्मण कहलयाने लगया ियाहे वह अनपढ़ , मुर्ख , चरित्हधीन क्ों न हो और एक शुद्र कया ्बे्टया केवल इसलिए शुद्र कहलयाने लगया क्ोंकि उसकया पितया शुद्र ्या । वह ियाहे कितनया भधी गुणवयान क्ों न हो । इसधी कयाल में सपृसष्ट के आदि में प्रथम संविधयानकतया्म मनु द्यािया लनधया्मरित मनुस्मृति में जयालतवयादधी लोगों द्यािया जयालतवयाद के समर्थन में मिलयाव्ट कर दधी गई । इस मिलयाव्ट कया मुख् उद्ेश् मनुस्मृति से जयालतवयाद को स्वीकृत करवयानया ्या । इससे न
केवल समयाज में विधवंश कया दौर प्रयािमभ हो ग्या अपितु सयामयालजक एकतया भधी भंग हो गई । स्वामधी द्यानंद द्यािया आधुनिक इतिहयास में इस घो्टयाले को उजयागर लक्या ग्या ।
इक्तहास के साथ खिलवाड़
इस चरण में ्बौद्ध मत कया नयाम लेकर ईसयाई मिशनरियों द्यािया दलितों को ्बिगलया्या ग्या । भयाितधी् इतिहयास में ्बौद्ध मत के असत कयाल में तधीन व्सकत्ों कया नयाम ्बेहद प्रलसद् रहया है । आदि शंकियािया््म , कुमयारिल भट्ट और पुष्लमत् शुंग । इन तधीनों कया कया््म उस कयाल में देश , धर्म और जयालत कधी परिसस्लत के अनुसयाि महयान तप वयालया ्या । जहयां एक ओर आदि शंकियािया््म ने पयािंड , अनधलवश्वास , तंत्-मंत् , व्यभिचार कधी दधीमक से जर्जर हुए ्बौद्ध मत को प्रयािधीन शास्त्रार्थ शैलधी में पियासत कर वैदिक धर्म कधी स्थापनया किधी गई , वहीं दूसिधी ओर कुमयारिल भट्ट द्यािया मयाध्म कयाल के घनघोर अँधेरे में वैदिक धर्म के पुनरुद्धयाि कया संकलप लल्या ग्या । यह कया््म
एक समयाज सुधयाि के समयान ्या । पुष्लमत् शुंग मगध ियाज् कया सेनयापति ्या । वह महयान ियाषट्भकत और दूरदपृसष्ट वयालया सेनयानधी ्या । उस कयाल में सम्या्ट अशोक कया नयालया्क वंशज ्बपृहदरथ ियाजगद्दी पर ्बैठया ्या । पुष्लमत् ने उसे अनेक ्बयाि आगयाह लक्या ्या कि देश कधी सधीमया पर ्बसे ्बौद्ध विहयािों में विदेशधी ग्रीक सैनिक ्बुद्ध भिक्षु ्बनकर जयासूसधी कर देश को तोड़ने कधी योजनया ्बनया रहे है । उस पर तुरंत कया््मवयाहधी करे । मगर ऐशो आियाम में मसत ्बपृहदरथ ने पुष्लमत् कधी ्बयात पर कोई ध्यान नहीं लद्या । विवश होकर पुष्लमत् ने सेनया के लनिधीक्षण के समय ्बपृहदरथ को मौत के घया्ट उतयाि लद्या । ईसयाई मिशनिधी पुष्लमत् को एक खलनया्क , एक हत्यारे के रूप में चिलत्त करते हैं । ज्बलक वह महयान देशभकत ्या ।
हिन्ू त्ौहारों और देवी -देवताओं के नाम पर भ्ामक प्रचार
ईसयाई मिशनिधी ने हिनदू समयाज से सम्बंधित
20 twu 2023