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अप्रैल , 2014 में यशवंत सिन्ा ने भाजपा के प्रधानमंत्री पद के तत्ालमीन उम्मीदवार नरेंद् मोदमी का गुजरात दंगों को लेकर जमकर बचाव किया था । उन्ोंने इंडिया टुडे ग्ुप के ‘ हेडलाइन्स टुडे ’ से बातचमीि में कहा कि नरेंद् मोदमी को गुजरात दंगे के लिए रतिई माफी नहीं मांगना चाहिए ।
कोई दूसररी भाजपा नहीं थरी । उसका मूल विचार और भारत के बारे में दृष्टि वहरी थरी , जो आज मोदरी-शाह के दौर में है । फर्क सिर्फ तरियानिरन के तररीके और नेताओं के विचारों के प्रकटरीकरण के रूप में है । इसके परीछ़े भरी मूल कारण रहा-
वाजपेररी-आडवाणरी करी भाजपा का संसद में अ्पमत में होना या सरकार चलाने के लिए अनेक गैर-भाजपा दलों पर निर्भर होना । इसलिए तब भाजपा ने ‘ टैक्टस ’ के तौर पर अपना आज जैसा ‘ उग्िर हिनदुतििादरी चेहरा ’
नहीं दिखाया था । यशवंत जरी उन दिनों उस पाटटी के वरिष्ठ नेता थे और पाटटी या संघ परिवार के हर संगठन करी गतिविधियों या फैसलों का आमतौर पर समर्थन करते थे या कुछ़ेक पर खामोश रह जाते थे । हां , ये बात सहरी है कि आरएसएस उनहें भरी जसवंत सिंह करी तरह ‘ बाहररी ’ हरी समझता था ।
वैचारिक प्रतिबद्धता में स्ाययत् का अभाव
अप्रैल , 2014 में यशवंत सिनहा ने भाजपा के प्रधानमंत्ररी पद के ततकालरीन उम्मीदवार नरेंद् मोदरी का गुजरात दंगों को लेकर जमकर बचाव किया था । उनहोंने इंडिया टुड़े ग्ुप के ‘ हेडलाइनस टुड़े ’ से बातचरीि में कहा कि नरेंद् मोदरी को गुजरात दंगे के लिए कत्ई माफरी नहीं मांगना चाहिए । बेवजह 12 साल पुराने मामले को उभारा जाता है ताकि मोदरी जरी को ‘ कार्नर ’ किया जा सके ।( हेडलाइनस टुड़े , इंद्जरीि कुंडू , 16 अप्रैल , 2014 )। मजे करी बात है कि उस समय तक भाजपा ने यशवंत जरी के बेट़े जयंत सिनहा को हजाररीबाग से टिकट देने का ऐलान कर दिया था । यशवंत सिनहा के राजनरीतिक अवसरवाद के ऐसे अनेक उदाहरण दिये जा सकते हैं । ऐसे यशवंत सिनहा को भारत करी संसदरीर राजनरीति में अपने को से्रुलर और लोकतांत्रिक बताने वाला विपक्षरी खेमा अगर राष्ट्रपति के लिए अपना संयु्ि उम्मीदवार बनाता है तो इसे सिर्फ दुर्भागरपूर्ण कहने से काम नहीं चलेगा । संयु्ि विपक्ष का यह निहायत असंगत , अतार्किक और अ-दूरदशटी फैसला है । जिन दलों ने एक समय केआर नारायणन जैसे बड़े विद्ान , कूटनरीतिज् , शिक्षाविद् और से्रुलर चिंतक को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया और जिताया , वे अगर आज यशवंत सिनहा जरी जैसे राजनरीतिक अवसरवादरी और असंगतियों से भरे महतिाकांक्षरी राजनरीतिज् को अपनरी तरफ से राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर आगे किये हुए हैं तो इसे बड़ी विडमबना के अलावा और ्रा कहा जा सकता है ! �
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