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उम्मीदवार करी जरीि तो होनरी नहीं है , लेकिन इस लडाई के जरिये विपक्ष दो दिशा में कदम बढ़ा सकता है । एक तो विपक्ष करी एकता करी दिशा में बढ़ना और जहां तक हो सके , एकजुट रहकर लडना तथा 2024 करी तैयाररी करना और दूसरा , देश में लोगों के सामने भाजपा के विक्प के रूप में खुद को पेश करना ।
विफलता विपक्ष की नियति
अब सवाल यह उठता है कि विपक्ष सभरी पार्टियों को एकजुट करने के लिए किसे अपना वार्ताकार बनाता है , जो सभरी पार्टियों के नेताओं से बात करे । यशवंत सिनहा और कपिल सिबबल ने कहा है कि वे विपक्ष को एकजुट करने करी पहल करेंगे । अगर विपक्ष इसे अवसर मानकर एकजुट होने करी कोशिश करे , तभरी कुछ हो सकता है , अनरथा विपक्ष करी स्थति कोई अच्छी नहीं है , जो अभरी महाराष्ट्र के ताजा घटनारिम में भरी दिख रहा है । विपक्ष को एक नए जोश , नई एकता के साथ सामने आना होगा , जो अब तक गायब रहरी है , ्रोंकि वह हर जगह विफल होता जा रहा है ।
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द्रौपदी पर दांव से झारखंड में उखडे विपक्ष के पांव मुर्मू के समर्थन का मसला सोरेन की हलक में अटका सोरेन की सियासमी दुविधा से दिलचस्प हुआ चुनाव
पवन कुमार
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रिरीर जनता पाटटी करी अगुवाई में राष्ट्ररीय जनतांत्रिक गठबंधन के घटक दलों ने झारखंड करी पूर्व राजरपाल द्ौपदरी मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर वैसे तो कई क्षेत्ररीय दलों के लिए पसोपेश करी स्थति पैदा कर दरी है । लेकिन सबसे बड़ी दुविधा झारखंड के मुखरमंत्ररी और झारखंड मुक्ि मोर्चा के कार्यकाररी अधरक्ष हेमंत सोरेन के लिए है । कांग्ेस और राष्ट्ररीय जनता दल उनकरी सरकार में शामिल हैं और ये िरीनों पार्टियां विपक्षरी संयु्ि प्रगतिशरील गठबंधन ( यूपरीए ) करी प्रमुख घटक हैं । लिहाजा , ्िाभाविक तौर पर राष्ट्रपति चुनाव के लिए उनका समर्थन यूपरीए के आधिकारिक प्रतराशरी और झारखंड करी हजाररीबाग लोकसभा सरीट से िरीन बार सांसद रहे पूर्व नौकरशाह यशवंत सिनहा को मिलना चाहिए । इसके बावजूद हेमंत सोरेन के निर्णय को लेकर देशभर करी पार्टियों और राष्ट्ररीय मरीतडरा में कौतूहल करी स्थति है , तो इसकरी एक बड़ी वजह भरी है । करिटर पर हमेशा सतरिय रहने वाले मुखरमंत्ररी हेमंत सोरेन ने राष्ट्रपति चुनाव के उम्मीदवारों को लेकर अभरी तक कोई ट्वीट नहीं किया है । ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमरी है कि कहीं हेमंत सोरेन किसरी दबाव में तो नहीं ।
इधर जाऊं या उधर जाऊं
दरअसल , बरीजेपरी ने जिन द्ौपदरी मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाया है , वह संथाल आदिवासरी हैं । भारत करी आजादरी के 74 साल बाद यह पहला मौका है , जब सत्ाधाररी गठबंधन ने किसरी आदिवासरी को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है । अगर कोई अप्रतरातशि सियासरी खिचड़ी नहीं पके , तो वोटों के अंकगणित के हिसाब से द्ौपदरी मुर्मू मज़बूत स्थति में हैं । अगर वे यह चुनाव जरीि
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