fo ' ks " k
से कुछ उन बुराईयों के उनमूलन हेतु सतरिय तौर पर आनदोलन भी चिला रहे हैं । दूसरी ओर , मुसलमान यह महसूस ही नहीं करते कि ये बुराईयां हैं । परिणामतः वे उनके निवारण हेतु सतरियता भी नहीं दर्शाते । इसके विपरीत , वे अपनी मौजूदा प्रथाओं में किसी भी परिवर्तन का विरोध करते हैं । यह उललेखनीय है कि मुसलमानों ने केनद्रीय असेंबली में १९३० में पेश किए गए बाल विवाह विरोधी विधेयक का भी विरोध किया थिा , जिसमें लड़की की विवाह-योगय आयु १४ वर्ष और लड़के की १८ वर्ष करने का प्ािधान थिा । मुसलमानों ने इस विधेयक का विरोध इस आधार पर किया कि ऐसा किया जाना मुस्लम धम्शग्न्थ द्ारा निर्धारित कानून के विरुद्ध होगा । उनहोंने इस विधेयक का हर चिरण पर विरोध ही नहीं किया , बशलक जब यह कानून बन गया तो उसके खिलाफ सविनय अवज्ाअभियान भी छेड़ा । सौभागय से उकि अधिनियम के विरुद्ध मुसलमानों द्ारा छोड़ा गया वह अभियान फेल नहीं हो पाया , और उनहीं दिनों कांग्ेस द्ारा चिलाए गए सविनय अवज्ा आनदोलन में समा गया । परनिु उस अभियान से यह तो सिद्ध हो ही जाता है कि मुसलमान समाज सुधार के कितने प्बल विरोधी हैं । ( पृ . 226 )
मुस्लिम राजनीतिज्ों द्ारा धर्मनिरपेक्षता
का विरोध मुस्लम राजनीतिज् जीवन के धर्मनिरपेक्ष
पहलुओं को अपनी राजनीति का आधार नहीं मानते , कयोंकि उनके लिए इसका अथि्श हिनदुओं के विरुद्ध अपने संघर्ष में अपने समुदाय को कमजोर करना ही है । गरीब मुसलमान धनियों से इनसार पाने के लिए गरीब हिनदुओं के साथि नहीं मिलेंगे । मुस्लम जोतदार जमींदारों के अनयाय को रोकने के लिए अपनी ही श्ेणी के हिनदुओं के साथि एकजुट नहीं होंगे । पूंजीवाद के खिलाफ श्तमक के संघर्ष में मुस्लम श्तमक हिनदू श्तमकों के साथि शामिल नहीं होंगे । कयों ? उत्र बड़ा सरल है । गरीब मुसलमान यह सोचििा है कि यदि वह धनी के खिलाफ गरीबों के संघर्ष में शामिल होता है तो उसे एक धनी मुसलमान से भी टकराना
पड़ेगा । मुस्लम जोतदार यह महसूस करते हैं कि यदि वे जमींदारों के खिलाफ अभियान में योगदान करते हैं तो उनहें एक मुस्लम जमींदार के खिलाफ भी संघर्ष करना पड़ सकता है । मुसलमान मजदूर यह सोचििा है कि यदि वह पूंजीपति के खिलाफ श्तमक के संघर्ष में सहभागी बना तो वह मुस्लम मिल-मालिक की भावाओं को आघात पहुंचिाएगा । वह इस बारे में सजग हैं कि किसी धनी मुस्लम , मुस्लम ज़मींदार अथििा मुस्लम मिल-मालिक को आघात पहुंचिाना मुस्लम समुदाय को हानि
मुस्लिम धर्म के सिद्धान्तों के अनुिधार , विश्व दो हिस्सों में विभधाजित है-दधार-उल- इस्लाम तथधा दधार-उल-हर्ब । मुस्लिम शधासित देश दधार-उल-इस्लाम हैं । वह देश जिसमें मुसलमधान सिर्फ रहते हैं , न कि उस पर शधािन करते हैं , दधार-उल-हर्ब है । मुस्लिम धधार्मिक कधानून कधा ऐिधा होने के कधारण भधारत हिन्ुओं तथधा मुसलमधानतों दोनतों की मधातृभूमि नहीं हो सकती है ।
पहुंचिाना है और ऐसा करने का तातपय्श हिनदू समुदाय के विरुद्ध मुसलमानों के संघर्ष को कमजोर करना ही होगा ।” ( पृ . 229-230 )
मुस्लिम कानदूनों के अनुसार भारत हिन्ुओं और मुसलमानों की समान मातृभदूमि नहीं हो सकती-
मुस्लम धर्म के सिद्धानिों के अनुसार , वि्ि
दो तह्सो में विभाजित है-दार-उल-इ्लाम िथिा दार-उल-हर्ब । मुस्लम शासित देश दार-उल- इ्लाम हैं । वह देश जिसमें मुसलमान सिर्फ रहते हैं , न कि उस पर शासन करते हैं , दार- उल-हर्ब है । मुस्लम धार्मिक कानून का ऐसा होने के कारण भारत हिनदुओं िथिा मुसलमानों दोनों की मातृभूमि नहीं हो सकती है । यह मुसलमानों की धरती हो सकती है-किनिु यह हिनदुओं और मुसलमानों की धरती , जिसमें दोनों समानता से रहें , नहीं हो सकती । फिर , जब इस पर मुसलमानों का शासन होगा तो यह मुसलमानों की धरती हो सकती है । इस समय यह देश गैर-मुस्लम सत्ा के प्ातधकार के अनिग्शि हैं , इसलिए मुसलमानों की धरती नहीं हो सकती । यह देश दार-उल-इ्लाम होने की बजाय दार-उल-हर्ब बन जाताप है । हमें यह नहीं मान लेना चिाहिए कि यह दृशषटकोण केवल शा्त्ीय है । यह सिद्धानि मुसलमानों को प्भावित करने में बहुत कारगर कारण हो सकता है । ( पृ . 296-297 )
दार-उल-हर्व भारत को दार-उल-इलिाम बनाने के
लिए जिहाद यह उललेखनीय है कि जो मुसलमान अपने
आपको दार-उल-हर्ब में पाते हैं , उनके बचिाव के लिए हिजरत ही उपाय नहीं हैं मुस्लम धार्मिक कानून की दूसरी आज्ा जिहाद ( धर्म युद्ध ) है , जिसके तहत हर मुसलमान शासक का यह कत््शवय हो जाता है कि इ्लाम के शासन का तब तक वि्िार करता रहे , जब तक सारी दुनिया मुसलमानों के नियंत्ण में नहीं आ जाती । संसार के दो खेमों में बंटने की वजह से सारे देश या दो दार-उल-इ्लाम ( इ्लाम का घर ) या दार-उल-हर्ब ( युद्ध का घर ) की श्ेणी में आते हैं । तकनीकी तौर पर हर मुस्लम शासक का , जो इसके लिए सक्षम है , कत््शवय है कि वह दार-उल-हरि कोदार- उल-इ्लाम में बदल दे ; और भारत में जिस तरह मुसलमानों के हिज़रत का मार्ग अपनाने के उदाहरण हैं , वहाँ ऐसेस भी उदाहरण हैं कि
8 Qd » f ° f AfaQû » f ³ f ´ fdÂfIYf tqykbZ 2021