eMag_July2021_Dalit Andolan | Page 27

वयि्थिा राजय का विषय है , इसलिए केंद्र के सममुख संवैधनिक प्रासनिक मजबूरियां हैं । फिर भी राह तो निकालनी है । मौजूदा हालात में बंगाल को दो राजयों और एक केंद्रशासित प्देश में विभकि करना जरूरी लगता है । उत्री बंगाल के पांचि जनपदों दाजितलांग , कलिमपोंग , करूचितबहार , जलपाईगुड़ी और अलीपुरद्ार को अलग करते हुए नया राजय बनाया जाए । इन जनपदों की कुल आबादी लगभग 1.5 करोड़ तक होगी । गोरखालैंड का आंदोलन भी इनहीं क्षेत्ों में चिलता रहा है । उससे प्भावित हुए बिना राषट्रहित में इस संवेदनशील क्षेत् की सुरक्षा के लिए निर्णय लेने का समय आ गया है । यह
निर्णय बंगाल ही नहीं संपूर्ण पूिवोत्र के लिए महतिपूर्ण होगा । भाजपा के दो सांसदों ने भी इस आशय की मांग की है । इस पर गंभीरता से धयान दिया जाना चिाहिए , कयोंकि सवाल बंगाल को बचिाने का है । बंगाल के उत्री एवं दक्षिणी दिनाजपुर , मालदा , बीरभूम , मुर्शिदाबाद का जनसांशखयकीय अनुपात एनआरसी के अभाव में िषवो से लगातार बिगड़िा गया है । इन जिलों को मिलाकर केंद्रशासित प्देश बनाकर केंद्र के नियंत्ण में लिया जाना आि्यक है । शेष मूलत : दक्षिणी बंगाल के 11 जनपद पूर्ववत बने रहें तो कोई सम्या नहीं है । यह परिवर्तन बांगलादेशियों के अवैध प्िेश से लगातार सांप्दायिक होते जा
रहे इस क्षेत् के चिररत् को एक बड़ी सीमा तक नियंत्ण में ले आएगा । इसके साथि ही यदि एनआरसी-सीएए की भी युद्ध्िर पर अनुपालन घोषणा हो जाए तो शीघ्र ही अराजकता की स्थिति समापिप्ाय होने लगेगी ।
एक सुझाव और है । केंद्र सरकार को सीमाििजी क्षेत्ों में केंद्रीय प्रासन के लिए भारत की उस प्राचीन इंडियन फ्ंतटयर एडतमतन्ट्रेतटि सर्विस को पुनिजीवित करने पर गंभीरता से विचिार करना चिाहिए । इसी सेवा के मेजर कीतथिंग ने तवांग पर भारतीय प्रासन कायम किया थिा । तब यह सेवा मात् नेफा ( अरुणाचिल प्देश ) और असम तक सीमित थिी । अब इसका वि्िार सम्ि सीमांत क्षेत्ों में किए जाने की आि्यकता है । बंगाल , असम , पंजाब , जममू-क्मीर , राजस्थान और गुजरात के सीमा क्षेत्ों का प्रासन केंद्र के अधीन होने से सीमा से जुड़ी तमाम अवयि्थिाएं , र्त् एवं ड्रग ि्करी , आतंकियों का प्िेश , मानव ि्करी , पशु ि्करी , जनसांशखयकी बदलने के प्यास आदि बड़ी सम्याएं नियंत्ण में आनी प्ारंभ हो जाएगी । यह धयान रहे कि राजयों की मशीनरी तो इस अवैध तंत् और उसकी नियंत्क राजनीति से भयभीत रहती है या फिर उसमें तह्सेदार बन जाती है । इस प्रासनिक परिवर्तन का बंगाल , असम और पंजाब जैसे राजयों की बिगड़ रही आंतरिक शांति-वयि्थिा को सुधारने पर भी बहुत सकारातमक प्भाव पड़ेगा । इस प्रासनिक परिवर्तन का राजनीतिक प्भाव भी होगा । ममता बनिजी इस परिवर्तन के विरुद्ध आंदोलनकारी रुख अशखियार करेंगी ही । सांप्दायिक ततिों का खेल बिगड़ने से वे दंगे-फसाद का माहौल बनाएंगे , लेकिन राषट्रीय ्िर पर परिणाम सकारातमक ही होगा । पूिवोत्र और बंगाल को विवादरहित रखना एक राषट्रीय प्राथमिकता है । जवाहरलाल नेहरू ने इस देश को भीषण भू- राजनीतिक मजबूरियों में फंसा दिया थिा । आज समय बदला है । असंभव से निर्णय लिए जा रहे हैं । अफसोस होगा यदि समय पर निर्णय नहीं लिया जा सके । देश निर्णय की प्िीक्षा में है ।
( साभार ) tqykbZ 2021 Qd » f ° f AfaQû » f ³ f ´ fdÂfIYf 27