eMag_July2021_Dalit Andolan | Page 25

कोई कठोर कदम उठाया जाएगा ।
राजय में जारी हिंसा पर तचिंता वयकि करते हुए सौ से अधिक शिक्षाविदों ने भी राषट्रपति रामनाथि कोविद को पत् लिखकर ठोस कदम उठाने का अनुरोध किया है । दिलली विश्िद्यालय के प्ोिेसर सुरेश कुमार के नेतृति में शिक्षाविदों द्ारा लिखे गए पत् में राषट्रपति को बताया गया है कि चिुनाव परिणाम घोषित होने के बाद तृणमूल कांग्ेस के कार्यकर्ताओं ने राजय पुलिस के सहयोग से दलित और वनवासी ( एससी / एसटी समुदाय ) को लगातार निशाना बनाया गया । उनकी हतया , लूटपाट , बलातकार और भूमि कबिा करने के लिए हिंसा फैलाई गयी । परिणाम्िरूप 11,000 से अधिक लोग , जिनमें से अधिकांश दलित और वनवासी वर्ग के हैं , बेघर हो गए हैं । हिंसा की 1627 घटनाओं में और 40,000 से अधिक लोग क्रूर हमलों का शिकार बने । राजय में पांचि हजार से अधिक घरों को धि्ि किया गया । दलित और वनवासी वर्ग की 142 महिलाओं के साथि अमानवीय अत्याचार होने के साथि ही हिंसा में 26 लोगों की मौत हुई है । दलित और वनवासी वर्ग के लोगों के घरों-छोटी दुकानों को धि्ि करके जला दिया गया । उनहें फिर से अपने घरों में नहीं आने की धमकी दी गई । पत् में राषट्रपति से ततकाल ह्िक्षेप करने और दलित-वनवासी वर्ग की जनता को हिंसा से बचिाने और सामाजिक सुरक्षा प्दान करने का आग्ह किया गया है । इसके बावजूद अब सभी की निगाह नयायालय पर ही टिक गयी है । कोलकाता उच्च नयायालय ने जिस तरह से सखि रूख दिखाया है , उससे गरीब , दलित , वंतचिि जनता में साहस के भाव का संचिार हुआ है । नयायालय के सखि रूख से पुलिस भी अपनी जिममेदारी का अहसास अि्य करेगी , ऐसी उममीद की जा रही है । देखना यह होगा कि आने वाले समय में नयायालय सत्ा प्ायोजित हिंसा के तांडव को पूर्ण रूप से रोकने के लिए कया और किस तरह के तनददेश राजय सरकार को देती है ?

बंगाल को बचाने

कैपटन आर विक्र्म सिंह

की चुनौती

चिुनाव के बाद से ही बंगाल की स्थिति तचिंताजनक रूप से अस्थिर विधानसभा

है । राजय के सियासी हालात कैसे हैं , इसका पता इससे चिलता है कि आतंकित भाजपा कार्यकर्ता और समथि्शक सिर मुड़ाकर तृणमूल कांग्ेस में वापसी कर रहे हैं । वह खुलेआम इसे लेकर माफी मांग रहे हैं कि उनहोंने भाजपा को वोट दिया । ऐसा लगता है कि आतंक का राज प्तिपक्ष को पूर्णत : ने्िनाबूद करने पर आमादा है । स्थिति यह है कि चिुनाव बाद हिंसा की जांचि करने गई राषट्रीय मानवाधिकार आयोग की टीम
के साथि भी हाथिापाई की कोशिश की जाती है , जबकि यह टीम कलकत्ा उच्च नयायालय के आदेश पर राजय का दौरा करने गई थिी ।
तृणमूल कांग्ेस किसी की परवाह नहीं कर रही है । वह दलबदल कानून से प्भावित मुकुल राय को परंपराओं को तोड़िे हुए लोक लेखा समिति का अधयक्ष बनाने पर आमादा है । यह घटनारिम बंगाल की राजनीति , सत्ा-चिररत् , नेताओं के वयशकिति को उजागर करने वाला है । सिविल सोसायटी की तथय खोजी समिति का निषकष्श है कि चिुनाव बाद सुनियोजित हिंसा के चिलते बंगाल के लोगों को पलायन कर असम
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