eMag_July2021_Dalit Andolan | Page 24

न्ायालय से होगा हिंसा का समाधान

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लोग हैं । ममता सरकार ने पूरे राजय को आरिामक इ्लामवादियों के हाथिों में सौंप दिया गया है । राजय की दलित जनता इ्लातमक उतपीड़न और दमन का शिकार बन रही है । इ्लातमक कट्टरता के कारण राजय एक और खूनी विभाजन की ओर अग्सर हो रहा है और रोजाना होने वाली प्ायोजित राजनीतिक हिंसा के कारण दलित और गरीब वर्ग की जनता सबसे जयादा परेशान है । 1947 में विभाजन के समय राजय में मुस्लम आबादी 19 प्तिशत थिी , जो साल 2011 में बढ़कर 27 फीसदी हो चिुकी है । राजय में जिस तरह से मुस्लम आबादी बढ़ी है , उसका नकारातमक परिणाम राजय की दलित , आदिवासी और पिछड़ी हिनदू आबादी को भुगतना पड़ रहा है ।
यह दुर्भागय ही कहा जाएगा कि राजय में
दलित , वनवासी और पिछड़ी हिनदू आबादी ्ििंत्िा से पहले भी उतपीड़न और दमन को झेलने के लिए अभिशपि थिी और यही हालात वर्तमान में भी हैं । राजय में सर्वहारा वर्ग के समग् कलयाण का दावा करने वाले वाममोचिा्श शासनकाल के 32 िषगों से लेकर तृणमूल नेता ममता के शासनकाल में भी स्थितियों में कोई परिवर्तन नहीं आया । मुस्लमों के बढ़ते उतपीडन और उस उतपीडन के विरुद्ध ममता की चिुपपी के कारण मतुआ , नामसुद्रों सहित अनय दलित और आदिवासी जातियां एकजुट हो गयी हैं । मोदी सरकार की तरियाप्तरिया और जनकलयाणकारी नीतियों से घबरा कर ममता सरकार ने कई ऐसी योजनाओं को राजय में लागू करने से इंकार कर दिया , जिनका लाभ वर्तमान में देश के अनय राजयों की गरीब , दलित और
आदिवासी जनता को मिल रहा है ।

न्ायालय से होगा हिंसा का समाधान

फिलहाल राजय के भयावह हालात पर केंद्र सरकार से लेकर उच्चतम नयायालय तक की निगाह टिकी है । संवैधानिक वयि्थिा अनुसार कानून और वयि्थिा समबनधी विषय राजय के अधिकार क्षेत् में आते हैं । ऐसे में केंद्र में सत्ारूढ़ मोदी सरकार सीधे कोई भी और किसी भी तरह का ह्िक्षेप नहीं कर सकती है । उधर राजय में हिंसा पीड़ितों का ्ियं नयायालय तक पहुंचिना और फिर नयायालय का कठोर रुख देखकर ऐसा लगने लगा है कि राजय में जारी हिंसा को रोकने , दोषियों का सजा देने और पीड़ित परिवारों को मुआवजा एवं सुरक्षा देने के लिए जलद ही
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