eMag_July2021_Dalit Andolan | Page 22

हिंसा और बंगाल पुलिस
के लिए किसी विशेष जांचि दल का गठन करे । सत्ा प्रायोजित हिंसा

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में देखा जा रहा है । गुंडातंत् जिस तरह से राजय में हावी हुआ , उसके कारण पूरे राजय में भय का माहौल बना हुआ है । यही वह गुंडा तंत् है , जिसकी दम पर तृणमूल नेता अपने राजनीतिक विरोधियों खासतौर पर भाजपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं के विरुद्ध हिंसक घटनाओं को लगातार अंजाम दिया जा रहा है ।
राजनीतिक विरोधियों के विरुद्ध हिंसा और उतपीड़न की रणनीति पर काम कर रही ममता सरकार के अब तक के कार्यकाल के दौरान मुस्लम तुशषटकरण की प्िृतत् देश , समाज और राजय के लिए खतरनाक ्िर पर पहुंचि चिुकी है । चिुनाव बाद से जारी हिंसा में मुस्लम भीड़ तंत् सतरिय हैी अवैध रूप से भारत में घुसे बंगलादेशी , रोहिंगया नागरिक राजय के हर तह्से में अपनी पैठ बना चिुके हैं और ममता सरकार सरकार कापूरा समथि्शन अवैध नागरिकों को मिल रहा है । राजय में हिनदू हितों के मूलयों पर मुस्लम आबादी को बढ़ावा देने की राजनीति के चिलते हिनदू आबादी असहाय होकर जीवनयापन के लिए मजबूर है ।

हिंसा और बंगाल पुलिस

उच्च नयायालय के निर्णय में राजय पुलिस की भूमिका को उजागर किया गया । उच्च नयायालय ने राजय पुलिस की काय्शप्णाली के समबनध में जिस तरह की टिपणणी की , उससे पुलिस द्ारा पीड़ितों की शिकायत को सुनने से इंकार करने का सचि भी सामने आ गया है । देश के राजनीतिक इतिहास में यह शायद पहली बार है जब किसी राजय सरकार ने अपने ही लोगों के दमन , उतपीड़न और पलायन का संज्ान लेने से इनकार करने के साथि यह झूठ भी फैलाया हो कि ऐसा कुछ नहीं हुआ । ममता सरकार हिंसा की इन भयानक घटनाओं पर पर्दा डालने की जो बेशर्म कोशिश कर रही थिी , जिसमें राजय की पुलिस भी उनका साथि देती सभी को दिख रही थिीं । लेकिन नयायालय ने पुलिस पर जिस तरह से टिपपणी की है , उससे पुलिस के उच्चधिकारियों को शर्म का अहसास होना चिाहिए । पुलिस के अधिकारियों को इसलिए भी
लतज्ि होना चिाहिए कि उनहोंने हिंसा पीतड़ि लोगों की मदद करने के बजाय उनकी उपेक्षा की । वा्िि में राजय पुलिस तृणमूल कांग्ेस के कार्यकर्ताओं की तरह वयिहार करती आ रही है , जिसका काला सचि उजागर हो गया है । इसीलिए गरीब , दलित और वंतचिि जनता को अपने साथि हुए अत्याचार की जांचि के लिए नयायालय की शरण में जाना पड़ा ।
उच्च नयायालय की तीखी टिपपतणयों और पुलिस की काय्शप्तरिया के उजागर होने के बाद भी इसमें संदेह है कि राजय पुलिस अपने दायितिों को लेकर सजग होगी । आखिर जिस पुलिस ने अपने सामने हो रही हिंसा से मुंह मोड़ा हो , उससे यह उममीद कैसे की जा सकती है कि वह उच्च नयायालय के आदेश पर अपना कर्तवय पालन सही तरह करेगी ? उतचिि होगा कि उच्च नयायालय चिुनाव बाद हिंसा की घटनाओं की पुलिस जांचि की निगरानी खुद करे । और भी उतचिि यह होगा कि वह इन घटनाओं की जांचि

के लिए किसी विशेष जांचि दल का गठन करे । सत्ा प्रायोजित हिंसा

विधानसभा चिुनाव में तृणमूल कांग्ेस की जीत के बाद पाटजी के नेता-कार्यकर्ता अपने राजनीतिक विरोधियों माने सिर्फ भाजपा ही नहीं , बशलक कांग्ेस और वामपंथिी दलों के कार्यकर्ताओं पर भी चिुन-चिुनकर हमले हो रहे हैं । दुकान- मकान लूटे जा रहे , आगजनी की जा रही है । महिलाओं , बच्चों-वृद्धों तक के साथि ही सांसदों और विधायकों को भी नहीं छोड़ा जा रहा है । कई घटनाएं पुलिस की उपस्थिति में हुई , इसलिए इसमें किसी तरह का संदेह नहीं है कि यह हिंसा प्ायोजित है । चिुनाव से पहले ही ममता बनिजी ने कह दिया थिा कि आखिर कितने दिन रहेंगे केंद्रीय बल ? उनके जाने के बाद हम देख लेंगे । और अब वैसा ही हो रहा है । हिंसा के तांडव से मानवाधिकार आयोग की टीम को भी सामना करना पड़ा । आयोग की टीम ने हिंसा की कई
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