झपूठा और राजनीति से प्रेरित बताया जा रहा था , उन रक्रंजित घटनाओं का सतय कलकत्ा उच्च नयायालय की पांचि सदसयीय पीठ ने सबके सा्मने रख दिया । उच्च नयायालय ने राजय ्में हतुई हिंसा की सभी शिकायतों को प्राथक्मकी के रूप ्में दर्ज करने का आदेश सतुनाया है । नयायालय के आदेश के बाद ्मतुख्यमंत्ी ्म्म्ा का वह दावा भी ख़ारिज हो गया , जिस्में वह कोई हिंसा न होने की बात लगातार कहती आ रही थीं । बंगाल में हावी गुंडातंत्र
पश्चिम बंगाल में स्थिति दिन-प्तिदिन भयावह होती जा रही है । विधानसभा चिुनाव के परिणाम आने के बाद राजय में भाजपा नेताओं , कार्यकर्ताओं के साथि ही उस गरीब , दलित , वनवासी आम जनता को निशाना बनाया जा रहा है , जिसने भाजपा को अपना वोट दिया थिा । हिंसा और प्तिशोध की राजनीति ने पूरे राजय को बंधक बना लिया है । लोकतंत् की सभी मानयिाओं को तार-तार कर रही ममता सरकार के कार्यकाल में एक सामानय वयशकि का जीना
दूभर हो गया है । देखा जाए तो राजय में लोकताशनत्क वयि्थिा के तहत चिुनी हुई सरकार नहीं , बशलक पूरा गुंडातंत् सत्ा चिला रहा है ।
लगभग दो दशक पहले पश्चिम बंगाल में वामपंथिी हिंसा से पीड़ित लोगों को तृणमूल नेता के रूप में ममता बनिजी जब राजधानी दिलली लेकर आयी थिी , उस समय ऐसा प्िीत हो रहा थिा कि वा्िि में कोई नेता जन सरोकार को लेकर तचिंतित है और अगर ऐसा नेता सत्ा में आता है , तो जनता ्ियं को धनय महसूस करेगी । कुछ िषगों बाद ममता को सत्ा मिल भी गयी , पर उनके शासन के विषय में जैसा सोचि कर जनता ने उममीद लगायी थिी , वैसा जमीनी ्िर पर नहीं हो पाया । आम जनता हिंसा , उतपीड़न , तुशषटकरण और भ्रष्टाचार के जाल में फंसकर असहाय हो कर रह गयी । राजय में वामपंथिी सरकार के 34 साल लंबे कार्यकाल के दौरान बंगाल में हिंसा का वैसा तंत् नहीं थिा , जैसा ममता के कार्यकाल
tqykbZ 2021 Qd » f ° f AfaQû » f ³ f ´ fdÂfIYf 21