मुस्लिम पंथ और मुस्लिम वर्ग
भारत में विदेशी इ्लातमक शासन स्थापित होने के बाद हिनदुओं पर जमकर अत्याचार किये गए और उन पर इ्लाम कबूल करने के लिए दबाव बनाया गया । परिणाम्िरूप लाखों हिनदुओं ने सिर्फ अपनी जान बचिाने के लिए परिवार सहित इ्लाम कबूल कर लिया और भारत में एक नए पंथि को जड़े ज़माने के लिए भरपूर मौका दिया । वर्तमान में देश की 15 करोड़ से अधिक मुस्लम जनसंखया पर यदि शोध किया जाए तो यह तथय निर्विकार रूप से सामने आएगा कि भारत में रहने वाले 99 प्तिशत मुस्लम लोग , वही हिनदू समाज के लोग हैं , जिनहोंने अपनी जान बचिाने के लिए इ्लाम ्िीकार कर लिया थिा और फिर वही सैकड़ों िषगों पहले के धर्मानिरित हिनदू आज भारत में मुस्लम धर्म में परिवर्तित होकर वर्तमान में पूरे देश में होने वाले धार्मिक , सांप्दायिक संघर्ष ,
भेदभाव , आतंकवाद एवं अलगाववाद को हवा देने में सबसे आगे हैं । उनहें यह ्मरण रखना चिाहिए कि वे इसी देश के हिनदुओं से धर्मानिरित हैं । इसीलिए यहां के हिनदू और मुसलमान आपस में भाई-बंधू हैं ।
दलित अथवा अनुसदूचित जातियां
मधयकाल के दौरान विदेशी मुस्लम शासकों ने भारत पर कब्ा करके मुस्लम आबादी को बढ़ाने के लिए हर तरह के जायज-नाजायज प्यास किये और तलवार की नोंक पर धर्मानिरण की प्रचंड मुहिम चिलायी । इस मुहिम के कारण जहां कमजोर हिनदुओं ने भय , अत्याचार , व्यभिचार एवं अपने सामने मां-बहन की लुटती अ्मि एवं इज्ि को न सह कर इ्लाम कबूल कर लिया , वही ्िातभमानी , राषट्रातभमानी और धर्माभिमानी हिनदुओं ने धर्मपरिवर्तन तो नहीं किया , पर दबाव और अत्याचार के कारण अ्िचछ एवं गंदे कायगों जैसे चिम्श कर्म िथिा
सफाई कायगों को करने के लिए मजबूर हो गए । मुस्लम शासकों द्ारा अत्याचार को झेलने और अ्पृ्य कायगों को करने के लिए मजबूर किये गए हिनदुओं को सामाजिक वयि्थिा में आए परिवर्तन ने धीरे-धीरे अ्िचछ कायगों को करने वाले अ्पृ्यिा एवं अछूत बनाकर उनहें उनके अपने समाज की पिछली पशकि में खड़ा कर दिया और अंग्ेिों ने उनहें दलित का नाम देकर , भारतीय सामाजिक वयि्थिा में एक नया वर्ग के रूप में खड़ा कर दिया । बारहवीं शताबदी के पूर्व में इस देश में एक भी अ्िचछ कार्य या अ्पृ्यिा का उदाहरण नहीं मिलता हैं । डॉ अमबेडकर ने भी अपनी पु्िक " अछूत कौन और कैसे ?" के पृषठ 100 पर उललेख किया है कि भारत में शूद्र कभी अ्पृ्य नहीं थिा एवं मनुकाल में भी अ्पृ्यिा नहीं थिी ।
दलित अथििा अनुसूतचिि जाति के सनदभ्श में भारत सरकार की परिभाषा यह है कि हिनदू समाज की वह जातियां जो सामाजिक कारण से आतथि्शक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ गयी हों । अनुसूतचिि जातियों की पहचिान के लिए दो मानक सुनिश्चित हुए । पहला , अ्पृ्यिा का वयिहार जिनके साथि होता हों एवं दूसरा जो लोग या जातियां गंदे एवं अ्िचछ कायगों में लगी हों । इस तरह जो प्रथम सूचिी 1935 में अंग्ेिों ने बनायीं , उसमें 428 जातियां थिी , किनिु आज उनकी संखया 1208 पहुंचि गयी है । इतना ही नहीं , लगभग पांचि सौ जाति अनुसूतचिि जाति में समाहित होने की प्िीक्षा सूचिी में हैं ।
वनवासी अथवा जनजातीय जातियां
इसी तरह वर्तमान में हिनदुओं के जिस समूह को वनवासी कहा जाता है , अगर उन वनवासियों की उतपतत् पर गौर किया जाए तो यह खुलासा होता है कि वनवासी और कोई नहीं , बशलक हिनदू समाज के वह लोग है , जो विदेशी मुस्लम आरिांिाओं के अत्याचार से बचिने के लिए परिवार सहित जंगलों , पहाड़ों एवं दुर्गम स्थानों में जाकर बस गए और विदेशी मुस्लम आरिांिाओं का भरपूर मुकाबला किया । वनवासी
tqykbZ 2021 Qd » f ° f AfaQû » f ³ f ´ fdÂfIYf 13