fparu
भारत की सामाजिक समस्ाएं एवं विदेशी आकांता
OXfg . dUþ ¹ f Àfû ³ fIYSX VffÀÂfe
उत्रवैदिक काल के बाद भारत पर विदेशी आरिमणों का जो सिलसिला शुरू हुआ , वह 18 वी सदी तक जारी रहा । विदेशी आरिांिाओं के आरिमणों ने भारत की सामाजिक-सां्कृतिक स्थितियों की पूरी ि्िीर बदल दी और बदली हुई यह ि्िीर आज भारत में स्थापित पांचि नए चिेहरों रिमशः दलित , वनवासी , मुस्लम , सिख और ईसाई के रूप में देखी जा सकती है एवं इतना ही नहीं , अपितु इनहीं िगगों द्ारा भारत की वर्तमान सामाजिक एवं जातीय सम्याओं के रूप में देखा जा सकता है । यहां पर यह प्श् उठना ्िाभाविक है कि अंततोगतिा मधयकाल में ऐसा कया हुआ , जिसके परिणाम्िरूप भारत के वर्तमान समाज में उपरोकि िगगों का अस्िति सामने आया ?
उत्रवैदिक काल के बाद से लेकर मौर्य काल और गुपि काल तक भारत एक सूत् में बंधा हुआ थिा । पांचििी शताबदी के उत्रार्ध में उत्र-पश्चिम भागों पर हूणों के आरिमण के बाद गुपि साम्ाजय का ह्ाष होना शुरू हुआ और उसके बाद भारत राजनीतिक महतिकांक्षा िथिा विदेशी आरिमणकारियों की उनमुकि चिरागाह
बन गया । शकों , हूणों और कुषाणों के आरिमणों के दौरान एकजुट भारत की राजनीतिक ि्िीर बदलने लगी और देश छोटे छोटे राजयों में विभकि होने लगा और आपसी लड़ाई के कारण ततकालीन राजाओं की आपसी रशकि कमजोर होती चिली गयी । भारत के इन हालातों का पूरा लाभ विदेशी मुस्लम आरिांिाओं ने उठाया और 636 ईसवी से लेकर 11 वीं सदी तक कई विदेशी मुस्लम आरिांिा भारत में घुसे और
धन-समपदा लूटने के साथि ही यहां के लाखों ्त्ी-पुरुषों को गुलाम बनाकर ले गए । मोहममद गजनी और मोहममद गौरी के कई हमलों ने जहां भारत के ्िरुप को बदलने में अपनी भूमिका निभाई वही 1206 के बाद भारत की सत्ा में आए गुलाम वंश के शासन से लेकर अंग्ेिी शासन काल तक भारत की मूल सामाजिक- सां्कृतिक और आतथि्शक सं्कृति को नोचिने- खसोटने में कोई कसर नहीं छोड़ी गयी ।
12 Qd » f ° f AfaQû » f ³ f ´ fdÂfIYf tqykbZ 2021