eMag_July 2023_DA | Page 43

जाति संघ ’ में किया ।
अनुसूचित जाति संघ का गठन
देश में सवतंत्ता के लिए चल रहे संघर्ष के साथ दलितों के हकों की आवाज उठाना जरूरी हो चुका था । इसके लिए एन शिवराज के नेतृतव में जुलाई , 1942 में ‘ अखिल भारतीय अनुसूचित जाति संघ ’ की सथापना की गयी । संघ ने अपने संसथापक सदसय डॉ अमबेडकर के मार्गदर्शन में दलित वर्ग के राजनीतिक अधिकारों के लिए जोरदार संघर्ष किया । डॉ अमबेडकर की पुकार पर संघ के झंडे तले लोग इकट्ा हो जाते थे । धीरे-धीरे अखिल भारतीय अनुसूचित जाति संघ देश के लाखों दलितों की मजबूत आवाज बन गया ।
हिंदू कोड बिल पर मतभेद और इस्ीफा भारतीयों के जीवन में कुछ मूलभूत परिवर्तन
लाने के लिए अमबेडकर ने 11 अप्रैल , 1947
को भारतीय संसद में हिंदू कोड बिल ( हिंदुओं के लिए कानूनी संहिता ) का प्रसताव पेश किया । उस पर विवाद उठा , कुछ ने विरोध किया तो कुछ प्रशंसा की । हिंदू कोड बिल का उद्े्य था कि हिंदुओं के लिए एकरूप कानून हो , जो उनके समाजिक और धार्मिक जीवन को नियंलत्त करे और बहुत सी चीजों के अलावा तलाक का अधिकार और संपत्ति में महिलाओं का अधिकार सुनिश्चत किया जा सके । बाबा साहेब चाहते थे कि बिल संसद के वर्तमान सत् में पास हो जाये । उनहोंने 10 अगसत , 1951 को प्रधानमंत्ी पंडित जवाहरलाल नेहरू को पत् लिखा कि संसद में विचार के लिए इस बिल को उच्च प्राथमिकता दी जाये , जिससे इसे एक सितंबर को पारित कराया जा सके । लेकिन हिंदू कोड बिल पर डॉ राजेंद्र प्रसाद और नेहरू के बीच मतभेद जगजाहिर था । संसद में चार अनुचिेदों के पास होने के बाद उस पर आगे विचार करना सथलगत कर दिया गया । इससे उभरे मतभेदों और निराशा के कारण 27 सितंबर , 1951 को डॉ
अमबेडकर ने प्रधानमंत्ी को इसतीिा सौंप दिया । उनहोंने कहा , ‘ मुझे मंलत्मंडल में विधिमंत्ी का कार्यभार ग्हण किये आज 4 वर्ष , एक माह और 26 दिन हो गये हैं ..’।
विधि मंत्री पद से इस्ीफे के कारण
10 अकतूबर , 1951 को प्रेस को दिये वकतवय में उनहोंने कहा कि विधि मंत्ालय प्रशासनिक रूप से महतवहीन है , कयोंकि सरकार की नीतियों को प्रभावित करने का कोई अवसर नहीं है । उनहोंने कहा कि प्रधानमंत्ी ने विधि के अलावा योजना विभाग देने की सहमति वयकत की थी , पर अपने वादे को पूरा नहीं किया । इसतीिा देने का दूसरा कारण लपिड़ी जातियों व अनुसूचित जाति के साथ किये जा रहे वयवहार से संबंधित था । उनहोंने कहा , ‘ संविधान पारित हुए एक वर्ष से अधिक हो गया , पर सरकार ने अब तक आयोग गठित करने के बारे में सोचा भी नहीं ’। तीसरे कारण में उनहोंने कहा कि भारत की विदेश नीति ठीक नहीं है , कयोंकि इससे लमत् कम , शत्ु अधिक उठ खड़े हुए हैं । चौथी बात उनहोंने 11 अप्रैल , 1947 को सदन में पेश किये गये ‘ हिंदू कोड बिल ’ के साथ हुए आचरण के बारे में कही । उनहोंने कहा कि ‘ मैं प्रधानमंत्ी के इस निर्णय को सवीकार कर पाने में पूरी तरह से असमर्थ था कि समय का बहाना लेकर इस बिल को तयाग दिया जाये .’ ।
पहले आम चुनाव में डॉ अम्ेडकर और उनके संघ के सिदांत
27 सितंबर , 1951 को विधि मंत्ी पद से इसतीिा देने के बाद अपनी बातों को खुल कर रख पाने के लिए वह आजाद थे और यहीं से उनहोंने अनुसूचित वर्ग के हकों की लड़ाई लड़ने के लिए नयी राजनीतिक दिशा अशखतयार कर ली । 1952 के पहले आम चुनाव की तैयारी के लिए डॉ अमबेडकर के आवास 1 , हार्डिग ऐवनयू , नयी दिलली पर अकतूबर , 1951 में ‘ अखिल भारतीय अनुसूचित जाति सभा ’ की बैठक हुई । बैठक में चुनावी घोषणापत् पर विचार-विमर्श
tqykbZ 2023 43