eMag_July 2023_DA | Page 37

सुविधा के अनुसार ही कुरान की वयाखया करते हैं , जिससे गलतफहमी , अलव्वास और नफरत का माहौल बनता है । वहीं , कुरान तो वासतव में परसपर सममान की बात करती है , लेकिन उसकी मौजूदा ‘ वयाखया ’ विविधता को प्रोतसाहन नहीं देती , जबकि विभिन्नता को मानयता प्रदान करने से संस्कृतियों के बीच सुगम संबंध सुनिश्चत होते हैं । इसीलिए विभिन्न संस्कृतियों के बीच संवाद समय की आव्यकता है ।’
अल ईसा की गतिविधियां सौहार्द बढ़ाने को लेकर उनके समर्पण को दर्शाती हैं । उनहोंने तीन
वर्ष पहले पोलैंड शसथत एक यहूदी यातना शिविर का दौरा करने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृतव किया था । वहां उनहोंने ऐलान किया कि मुशसलम वलडटि लीग यहूदी समुदाय के साथ तालमेल और सौहार्द बनाने के लिए काम करेगी । इन दोनों समुदायों के बीच कायम राजनीतिक तलखी को देखते हुए उनकी घोषणा उललेखनीय रही । उनहोंने अकसर कहा है कि मुशसलमों को उन
विचारधाराओं से प्रभावित नहीं होना चाहिए , जो गैर-मुशसलम राषट्ों के साथ उनके मेल-मिलाप में बाधक बनती हैं । उनका यह रुख-रवैया उनहें शांति के वासतलवक दूत के रूप में सथालपत करता है ।
अल ईसा ने कहा कि हिंदू धर्गगुरुओं के साथ चर्चा और धार्मिक ग्ंथों के अधययन से शांति एवं सौहार्द को लेकर उनहें बहुत कुछ सीखने को मिला है । वह वेदों एवं उपनिषदों के अधययन के लिए भी उतसुक दिखे और उनके अरबी संसकरण की अनुपलबधता का हवाला भी दिया ।
उनकी दृष्टि में इसलालमक जगत को भारतीय दर्शन समझकर उसका लाभ उठाना चाहिए ।
अल ईसा ने अलपसंखयकों को अपने संदेश में यही कहा कि अलपसंखयक जिस देश में रहते हों , उनहें वहां की शसथलतयों के साथ सवयं को पूरी तरह जोड़ लेना चाहिए । अलपसंखयकों को उनकी यही सलाह है कि अपने देश से प्रेम कीजिए और उसके लिए किसी भी प्रकार का
बलिदान करने के लिए ततपर रहिए । इसलाम के कट्टरपंथी रुख के धुर विपरीत अल ईसा ने भारत दौरे पर यही बात दोहराई कि विविधता ही लव्व की वासतलवकता है , जिसे सभी को सवीकार करना चाहिए । यही सभयताओं के ्टकराव को रोकने का एकमात् उपाय है ।
भारत के विषय में अल ईसा ने कहा कि भारतीय नागरिक भले ही अलपसंखयक हों या बहुसंखयक , सभी भारतीय संविधान रूपी ित् के नीचे एक समान हैं । भारतीय संविधान और लोकतंत् का प्रशशसतगान करते हुए अल ईसा ने मोदी सरकार का उललेख करने के बजाय लोकतंत् के प्रति भारत की सभयतागत प्रतिबद्धता और भारतीय संविधान के आधारभूत मूलयों पर ही जोर दिया , लेकिन इसके बावजूद मोदी विरोधी उनकी बातों से असहज हैं । विपक्ी दल के एक प्रवकता ने उनकी साख पर सवाल उठाते हुए कहा कि संभव है कि वह कोई एनजीओ चलाते हैं , जिसे भारत सरकार से सहायता की आव्यकता हो । वहीं एक अनय पार्टी के प्रवकता ने कहा कि मोदी को विदेशियों से इस प्रकार के प्रचार की कया आव्यकता है ?
एक अनय प्रवकता ने हद ही कर दी और अल ईसा के दौरे को जनसंपर्क की कवायद बताते हुए उनहें ‘ सरकारी मुसलमान ’ तक कह दिया । यह बहुत ही त्ासद शसथलत है जो दर्शाती है कि भारत में कुछ नेता और राजनीतिक दल किस सतर तक वैमनसय से भरे हैं । आखिर जिन लोगों का काम ही भारत में अलपसंखयकों के साथ कथित भेदभाव के एजेंडे को आगे बढ़ाने से चल रहा हो , उनहें सऊदी अरब के इसलालमक विद्ान द्ारा भारत का प्रशंसागान और लव्व को उससे सीखने की नसीहत कैसे पचेगी । ऐसे लोगों के उल्ट अलपसंखयक समुदाय के बीच अल ईसा का सार्थक संदेश जरूर पहुंचेगा । आखिर गत वर्ष हज में संबोधन देने वाला वयशकत यदि हमारी सभयता , हमारे संविधान एवं हमारी लोकतांलत्क जीवनशैली और विविधता के प्रति हमारे सममान के विषय में इतनी अचिी बातें कहे तो उसके बहुत गहरे निहितार्थ हैं ।
( साभार )
tqykbZ 2023 37