eMag_July 2023_DA | Page 34

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प्श्न सफाई कर्मचारियों का ...?

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रत के दलितों में सफाई कामगारों की बहुत बड़ी संखया होने के बावजूद यह जाति दलित चेतना से दूर रहीं । जिसे अब पूरा किया जा रहा है । यह बात आमबेडकरवादियों के लिए जितनी दुखदाई है , उससे कहीं जयादा विसमयकारक भी कि आखिर कयों यह जातियां डॉ . आमबेडकर के असपृ्यता आंदोलन और विचारधारा से नहीं जुड़ सकीं । यह प्रश्न गमभीरता से मनन करने के लिए बाधय करता है कि आखिर कया कारण है कि यह जातियां दलित आंदोलनों से लगभग अछूती रहीं ?
बाबा साहब डॉ . आमबेडकर की इचिा थी कि सफाई कामगारों की एक शशकतशाली देशवयापी संसथा बनायीं जाए जो न केवल सफाई कामगारों की हालत सुधारने का कार्य करे , बशलक उनमें शिक्ा का प्रसार , सामाजिक सुधार शराब , तमबाककू , सिगरे्ट , बीड़ी और नशों से छु्टकारा व फिजूल खर्च अथवा कर्ज से निजात के लिए कुछ काम कर सके । इसी तारतमय में बाबा साहब ने राजा राम भोले और पी . ्टी . बोराले को समूचे भारत में सफाई कामगारों की समसयाओं , कठिनाइयों तथा जरूरतों का अधययन करने और रिपो्टटि पेश करने का काम सौंपा । इसी उद्े्य से उनहोंने देश का भ्रमण किया । डॉ . पी . ्टी . बोराले बाद में सिद्धार्थ कॉलेज से बतौर प्रिंसिपल रर्टायर हुए I श्ी भोले हाई को्टटि में जज रहे बाद में वे लोकसभा के सदसय थे , इनका देहांत हो चुका है । बाबा साहेब डॉ . आमबेडकर ने श्ी भोले को 1945 में अंतराषट्ीय मजदूर कांग्ेस में सफाई कर्मचारियों का प्रतिनिधि बनाकर भेजा था । ताकि वे अंतराषट्ीय मंच में सफाई कामगारों की समसया को उठा सके ।
बाबा साहेब डॉ . आमबेडकर ने सफाई कर्मचारियों के लिए एक बहुत ही अचिा काम यह किया कि उनहोंने ऐसे कानून जो सफाई कर्मचारियों के शोषण के लिए बनाए गए थे उनहें समापत करवा दिया । जैसे बहुत से नगर निगमों , मयुलनसपल कारपोरेशन में सफाई काम से मना करने पर दणड का प्रावधान था । ये दणड आर्थिक एवं शारीरिक दोनों हो सकता था । साथ ही साथ धारा 165 के तहत ऊपर अपील करने की भी गुंजाईश नहीं थी । एक कानून ऐसा था जिसमें तीन दिन गैर हाजिर होने पर 15 दिनों तक जेल की सजा हो सकती थी । जब डॉ . आमबेडकर
कानून मंत्ी थे उनहोंने समूचे भारत के नगर निगमों आदि से ऐसे कानून समापत करने के लिए कदम उठाया था । जिससे सफाई कामगारों का शोषण खतम हो जाए । आज भी कई नगर निगमों , कैन्टो में , बोडतों आदि में ऐसे कानून है , जिनमें सफाई कामगारों को कड़ी से कड़ी सजा देने के प्रावधान है । परनतु वो्ट की राजनीति उनहें ऐसे कानून का प्रयोग करने से रोकती है । अनुचिेद-13 में डॉ . आमबेडकर द्ारा यह प्रावधान किया गया कि जो कानून नये संविधान में दिये गये । अधिकारों के विरुद्ध है वह वैध नहीं माने जायेगें ।
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