eMag_July 2023_DA | Page 32

usiF ; ls

डॉ . ब्रह्म्दीप xka

धी ने एक बार कहा था की यदि मेरा पुनर्जनम हो तो मैं असपृ्यों में ही जनम लेना पसंद करूंगा , जिससे उनके अपमान का हिससेदार बन सककूं और उनकी मुशकत के लिए काम कर सककूं । यदि यह विकलप बाबा आमबेडकर के सामने होता तो शायद उनका न होता । पुनर्जनम की अवधारणा हिनदू धर्म में ही है और हिनदू धर्म की सबसे बड़ी कोढ़ जातीयता के सुधार को लेकर आमबेडकर और गांधी की वैचारिक भिन्नता बेहद दिलचसप और रहसयमय रही , वैसे इन दोनों महान नेताओं का लक्य दलित कलयाण था लेकिन विचार और रासते बहुत जुदा थेI आमबेडकर भारत की आज़ादी के पहले ही दलितों के अधिकारों की कानूनी और राजनीतिक सुनिश्चतता चाहते थे , वहीं गांधी धार्मिक और आधयशतमकता के सहारे इस समसया को लम्टाना चाहते थे । गांधी के अछूतों उद्धार कायखारिम के दौरान एक गांव में जब उनसे कहा गया की

दलित कल्ाण पर गांधनी से आशंकित थे आम्ेडकर

हरिजन स्ान नहीं करते तो गांधी ने तपाक से जवाब दिया- " नहाने से कया होता है , भैंसे तो दिन भर पानी में ही पड़ी रहती है .”
बाबा आमबेडकर ने भारतीय समाज की जातीय वयवसथा को जिस प्रकार भोगा था , उनके मन में हिनदू समाज वयवसथा के प्रति गहरी घृणा और तिरसकार का भाव था । वे किसी भी क़ीमत पर दलितों को नारकीय जीवन से मुशकत दिलाने के लिए प्रतिबद् थे , वहीं उनहें जो सबसे बड़ी चुनौती मिली वह महातमा गांधी की थी । महातमा गांधी ने आमबेडकर के संघरतों को सराहा लेकिन वे आमबेडकर को चुनौती देते हुए यह कहना
भी नहीं भूले कि ऐसा मानना बिलकुल गलत है कयोंकि दलितों के एकमात् प्रतिनिधि डॉ . आमबेडकर है । उनहोंने दावा किया कि “ अछूतों के मत लिए जाये तो सबसे जयादा मत मुझे ही मिलेगे "। उनहोंने दलितों को अलग मानने की कोशिशों पर सवाल उठाते हुए कहा कि हम नहीं चाहते कि अछूतों का एक पृथक जाति के रूप में वगगीकरण किया जाये । सिकख हमेशा के लिए सिकख , मुसलमान हमेशा के लिए मुसलमान , ईसाई हमेशा के लिए ईसाई रह सकते है , लेकिन कया अछूत भी हमेशा के लिए अछूत रहेंगे ”।
गांधी का दलित उद्धार आमबेडकर ही नहीं अंग्ेजों के मन में भी आशंका पैदा करता था । गोलमेज सममेलन में दलितों के पृथक निर्वाचन के अधिकार के विरोध में गांधी ने यरवदा जेल में आमरण अनशन का रासता चुना तो ब्रिटिश प्रधानमंत्ी रेमजे मेकडोनालड ने गांधी के इस रवैये पर सखत अफ़सोस और बड़ा आ्चयखा जताते हुए उनकी कड़ी आलोचना की । डोनालड यहीं नहीं रुके उनहोंने गांधी के उपवास को अनुचित और अनयायपूर्ण बताते हुए उनके उद्े्यों पर गहरी शंका वयकत की और उनहें दलित जातियों के प्रति शत्ुता का भाव रखने
32 tqykbZ 2023