eMag_July 2023_DA | Page 22

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दलित कल्ाण में हमेशा बाधा डािनी मुस्लिम , ईसाई और कांग्रेस ने

डॉ . राकेश कुर्ार आर्य

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लितों की राजनीति करने वाले बहुत से दल देश में हैं । इनमें से देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्ेस ने दलितों के नाम पर राजनीति तो की , पर उनके लिए सामाजिक सुरक्ा उपलबध नहीं कराई , जो एक देश के नागरिकों को उपलबध होनी चाहिए । कांग्ेस के शासनकाल में देश के दलित समाज के साथ वही कुछ होता रहा जो आजादी से पहले होता रहा था । बसपा जैसी पार्टी तो केवल दलितों की राजनीति के नाम पर ही सत्ता का सवाद ले चुकी है । यह बहुत ही दुर्भागयपूर्ण है कि दलितों के लिए राजनीति करने वालों ने भी उनके कलयाण की योजनाओं को बनाने का काम नहीं किया । बसपा के शासनकाल में दूसरी जातियों के लोगों के साथ कई प्रकार के अतयाचार हुए और दलित समाज के लोगों ने गलत ढंग से प्राथमिकी दर्ज करा कराकर सममालनत लोगों को अपमानित करने की प्रलरिया को तेजी से चलाया । जिस पर बसपा की नेता मायावती का भी खुला समर्थन उनहें मिलता रहा । प्रतिशोध की इस भावना से समाज में लोगों में जातिगत दूरियां बढ़ीं और एक नई विसंगति ने जनम लिया । जिसके परिणामसवरूप बसपा को लोगों ने सत्ता से चलता कर दिया । बसपा ने भी केवल सत्ता सवाथखा ही देखा और दलितों के कंधों को प्रयोग करके अपनी राजनीतिक सवाथखापूर्त्ति की । बसपा की नेता मायावती ने भी अपने दलित भाइयों को
केवल अपने सवाथखा के लिए प्रयोग किया । कहने का अभिप्राय है कि वे भी वो्ट की राजनीति से ऊपर उठ नहीं पाई ।
वासतव में देश में दलित कौन है और दलित
होने का लाभ किसको किस आधार पर दिए जा सकता है या दिया जाना चाहिए ? - इस बात पर कभी चर्चा नहीं हुई । यहां पर जातियों या वगतों को थोक के भाव दलित शोषित मान लिया
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