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संघ और बाबा साहेब के समान विचार
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तंत्ता के प्चात अब तक कई राजनीतिक दल डॉ . बाबासाहेब भीमराव रामजी अमबेडकर के नाम का सिर्फ अपने राजनीतिक हितों और सवाथतों का इसतेमाल करती रही है । इनमें से कई दल ऐसे भी हैं , जो बाबासाहेब जैसे विशाल वयशकततव के सवामी को सिर्फ ‘ दलित ’ वर्ग के एक नायक के तौर पर सथालपत करने की कोशिश करती हैं । विशेषकर कांग्ेस पार्टी ने बाबासाहेब को उनके कद से नीचा दिखाने की हरदम कोशिश
की । साठ साल सत्ता में रहकर भी कांग्ेस ने बाबासाहेब को ‘ भारत रत् ’ सममान नहीं दिया और उनसे पहले जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी को भारत रत् दे दिया । हालांकि 1990 में जब भाजपा समर्थित जनता दल की सरकार बनी तब उनके महापरिर्वाण के 34 वर्ष बाद इस सममान से प्रलतशषठत किया गया ।
देखा जाए तो बाबासाहेब के नाम पर कांग्ेस पार्टी , वामपंथी दल समेत कई राजनीतिक दल करती रही हैं , लेकिन उनके विचारों और उनके
दृष्टिकोण का कभी सममान नहीं किया है । इसके साथ ही उनहें लगातार राषट्ीय सवयं सेवक संघ के विचारों का विरोधी बताया जाता रहा है , परनतु कया यही सतय है ? लेकिन ऐसा नहीं हैं । विचारधारा के सतर पर अगर देखें तो यह सपष्ट है कि कई ऐसे महतवपूर्ण विषय हैं जिन पर राषट्ीय सवयं सेवक संघ और बाबासाहेब अमबेडकर के समान विचार हैं । जिन विषयों को लेकर बाबासाहेब और संघ में समानता है , वह कुछ इस तरह से हैं--
tqykbZ 2023 11