eMag_Jan2022_DA | Page 43

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परगना में सर्वाधिक बांस का उतपादन होता है । इसके अतिरिकत गोड्ा , साहिबगंज , पाकुड , दुमका , जामताडा , जमशेदपुर , हजाऱीबाग , खुट़ी , गुमला , रांि़ी व रामगढ़ जिला में बहुतायत मात्ा में बांस उपलबि है ।
कवारीगरों कवा क्लस्टर बनवाकर प्रोत्साहन
मुखयमंत्री हेमंत सोरेन के प्रयास से लघु एवं कुट़ीर उद्म विकास बोर्ड द्ारा काऱीगरों के किसटर बनाकर उनहें प्रोतसालहत करने का काम किया जा रहा है । एक किसटर में लगभग दो सौ काऱीगर होते हैं । राजय में लगभग एक हजार से अधिक किसटर बन चुके हैं । काऱीगरों के लिये प्रोड्ूसर ग्ुप भ़ी बना है । इन काऱीगरों को प्रलशक्ि दिया जाता है । चुंकि बांस के उतपादों क़ी मांग अब यूरोप और मिडिल ईसट में भ़ी होने लग़ी है लिहाजा मांग के मुताबिक काऱीगरों को नये उतपाद बनाने के आधुनिक तऱीके सिखाए जा रहे हैं । बांस के काऱीगर बबिता कुमाऱी , संतोष मोहि़ी , काश़ीनाथ मोहि़ी , जोसेफ मोहि़ी , मार्शिला हेमब्म बतात़ी हैं कि वे प्रति माह दस हजार रूपये
तक इस रोजगार से कमा लेत़ी हैं । झारखंड में गऱीबों क़ी आय बढ़ाने क़ी दिशा में सरकार प्रयासरत है । काऱीगरों को प्रलशलक्त कर कई नये प्रकार के उतपाद बनने लगे हैं । बांस काऱीगर मेला 2019 के आयोजन के बाद से झारखंड का नाम पूरे देश में होने लगा । बांस से जुडे बिजनेस डेलिगेशन क़ी ट़ीम ने भ़ी काऱीगरों से मिलकर भवि्य क़ी योजना का पिान बनाया । नेशनल बंबू मिशन के तहत बांस क़ी खेत़ी के लिये प़ीप़ीप़ी मोड और मनरेगा के अंतर्गत बांस के पिां्स लगाए जा रहे हैं । बांस के उतपाद क़ी मांग अधिक है तो सरकार भ़ी माककेटिंग को प्रोतसाहन दे रह़ी है । वैसे भ़ी आसाम के बंबू क़ी तुलना में झारखंड के बंबू बेहतर किालिट़ी के माने जाते हैं । राजय में कई प्रकार के बांस पाये जाते हैं जिनसे इको फ्ेंडि़ी तऱीके से बांस से बने उतपाद में क़ी गई मनमोहक व उतकृ्ट काऱीगऱी देखते ह़ी बनत़ी है । बांस झारखंड में प्रचुर मात्ा में पाया जाता है । बांस से बने उतपाद में काऱीगऱी क़ी जात़ी है , जिसक़ी मांग पूऱी दुनिया में हैं । बंबू क्राफट के निर्माण में ईसाफ नामक संसथा काम कर रह़ी है । हाल में बंबू कनकिेव हुआ था , जिसमें पूऱी दुनिया
के जानकार जुटे थे । ईसाफ के सचिव अजित सेन बताते हैं कि बांस से आदिवासियों के ज़ीिन में बदलाव आ रहा है । पहले आदिवास़ी पुशतैऩी तऱीके से बने बांस के उतपाद बेचते थे लेकिन उनको प्रलशक्ि देकर अब उनसे कलातमक उतपाद बनवाये जा रहे हैं जिनक़ी मांग पूऱी दुनिया में है । अब गऱीब आदिवास़ी के ज़ीिन में बांस सार्थक , सकारातमक और सथाय़ी बदलाव ला रहा है । उनक़ी आर्थिक लसथलत में सुधार हो रहा है । साथ ह़ी बांस से पिाय बोर्ड का निर्माण किया जा रहा है , जो कम लागत में बनता है और इसक़ी मांग तेज़ी से बढ़ रह़ी है ।
हस्शिल्प से स्वालंबन और समृशद
झारखंड के आदिवासियों क़ी ज़ीिनशैि़ी को बदलने का प्रयास सरकार क़ी ओर से किया जा रहा है । उनक़ी आय बढ़ाने और सिरोजगार के लिये सरकार प्रोतसाहन दे रह़ी है । ससटेनेबल डेवलपमेंट क़ी दिशा में प्रयास किये जा रहे हैं । इस सबके नत़ीजे में अब लश्पकारों के ज़ीिन में भ़ी बदलाव दिखने लगा है । जिस तेज़ी से प्रयास हो रहे हैं उससे वह दिन दूर नहीं जब झारखंड के आदिवासियों को रोजगार क़ी तलाश में पलायन करने के लिए विवश नहीं होना पडेगा । उनहें अपने इलाके में ह़ी पर्यापत रोजगार के अवसर सुलभता से हासिल होंगे । बंबू कुट़ीर उद्ोग के माधयम से जनजात़ीय कलाकारों के ज़ीिन में और उनक़ी ज़ीिन शैि़ी में वयापक बदलाव आता हुआ अब दिखने लगा है । वैसे भ़ी झारखंड वन प्रदेश है जहां प्रकृति ने दोनों हाथों से भर — भरकर अपना उपहार लुटाया है । ऐसे में हसतलश्प के वै्यू एडिशन से रोजगार क़ी अपार संभावना बनत़ी जा रह़ी है जिसक़ी मांग पूरे विशि में दिनों दिन बढत़ी ह़ी जा रह़ी है । इस क्ेत् में रोजगार क़ी संभावनाएं बढाने को लेकर सरकार लगातार प्रयास कर रह़ी है । मुखयमंत्री हेमंत सोरेन बताते हैं कि झारखंड के लोग अब रोजगार के लिये पलायन नहीं करेंगें , वे अपने घर के आसपास क़ी हसतलश्प के उतपाद बनाएंगे और उनके उतपादों क़ी सरकाऱी सतर पर खऱीद होने से वे सिाििंब़ी बनेंगें । �
tuojh 2022 दलित आं दोलन पत्रिका 43