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शैलेन्द्र सिन्हा
झारखंड में हस्तशिल्प करी
में हसतलश्प के लश्पकार अब हुनरमंद बन रहे हैं । हसतलश्प झारखंड
के लश्पकारों को प्रलशक्ि िसत् मंत्ािय , भारत सरकार और झारखंड सरकार के हसतलश्प , रेशम एवं हसतकरघा विभाग दे रहा है । लश्पकारों और उनके परिवारों को आर्थिक संबल प्रदान किया जा रहा है । झारखंड में बंबू क्राफट , डोकरा लश्प , एलपिक , हैंडलूम ,
असीम संभार्नाएं
जनजवािीय शिल्पकवार बन रहे हैं हुनरमंद स्वावलंबन से समृशद की रवाह पर आमदिवासी
रेशम , काथा लसटि , टेराकोटा और जूट सहित कई हसतलश्प को बढ़ावा दिया जा रहा है ।
मोहनजोदड़ो सभ्यिवा के समय से है डोकरवा शिल्प
डोकरा लश्प के डिजायनर सुमंत बख्सी बताते हैं कि यह प्राि़ीनतम कला है , मोहनजोदडो सभयता के समय से यह चला आ रहा है । डोकरा लश्प क़ी मांग विशि के कई देशो में हैं । ि़ीन ,
लमस् , मलेशिया , नाईज़ीरिया , अमेरिका , समूचे एशिया , फ्ांस — पेरिस सहित कई देशों में इसक़ी जबर्दसत मांग है । डोकरा के लश्पकार क़ी परंपरा पुशतैऩी रह़ी है । मेटल में डेकरा को ढ़ाला जाता है । भारत के ओडिशा , छत्तीसगढ , झारखंड , बंगाल और तेलांगना में इसके लश्पकार मिलते हैं । डोकरा लश्पकार झारखंड के हजाऱीबाग , संताल परगना , जमशेदपुर और खुंट़ी जिले में पाये जाते हैं । इसके लश्पकार म्हार या मलहोर
40 दलित आं दोलन पत्रिका tuojh 2022