eMag_Jan2022_DA | Page 33

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र्ास्तक्र्क चुनौक्तरों से बेखबर क्बहार के सियासतदां

जातिगत जनगणना करी मांग , जनसंख्ा नियंत्ण का विरोध राजनीतिक लाभ के लिए जातीय उन्ाद भड़काने का प्यास

मनीष कुमार

हां एक ओर भारत के ब़ीजेप़ी शासित राजयों में आबाद़ी पर नियंत्ि के लिए कानून बनाने क़ी पहल हो रह़ी है तो बिहार में ब़ीजेप़ी के साथ शासन कर रहे मुखयमंत्री ऩीत़ीश कुमार जाति आधारित जनगणना क़ी मांग कर रहे हैं । आखिर कयों ? बिहार में ब़ीजेप़ी के साथ सरकार चला रहे मुखयमंत्री ऩीत़ीश कुमार जनसंखया नियंत्ि कानून को गैर जरूऱी बताकर जाति आधारित जनगणना क़ी मांग कर रहे हैं । केंरि सरकार के साफ इनकार के बावजूद उनहोंने प्रधानमंत्री नरेंरि मोद़ी को पत् भ़ी लिखा है और उनसे मिलने का इंतजार कर रहे हैं । इसे लेकर राष्ट्रीय जनता दल ( राजद ) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के फिर मुखर होने से सियासत तेज हो गई है । बिहार में एनड़ीए सरकार क़ी प्रमुख सहयोग़ी भाजपा पसोपेश में है और वह पाटटी क़ी रणऩीलत के तहत जनसंखया नियंत्ि कानून क़ी हिमायत कर रह़ी है । दरअसल , सारा खेल अनय पिछड़ी जातियों के वोट बैंक का है । इनक़ी आबाद़ी 52 ऱीसद बताई जात़ी है । राजऩीलतक दलों के ब़ीि ओब़ीस़ी के सच्े हितैष़ी का क्रेडिट लेने क़ी होड लग गई है ।

अं ग्रेजों के शवासन में आखिरी जवािीय जनगणनवा
भारत में आखिऱी बार 1931 में जातिगत
आधार पर जनगणना क़ी गई थ़ी । लद्त़ीय विशियुद्ध लछड जाने के कारण 1941 में आंकडों को संकलित नहीं किया जा सका था । आजाद़ी
के बाद 1951 में इस आशय का प्रसताि तत्कालीन केंरि सरकार के पास आया था , लेकिन उस समय गृह मंत्री रहे सरदार ि्िभ भाई
tuojh 2022 दलित आं दोलन पत्रिका 33