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पटेल ने यह कहते हुए प्रसताि खारिज कर दिया था कि इससे समाज का ताना-बाना बिगड सकता है । उसके बाद 1951 के बाद से लेकर 2011 तक क़ी जनगणना में केवल अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति से जुडे आंकडे प्रकाशित किए जाते रहे । 2011 में भ़ी इस़ी आधार पर जनगणना हुई , किंतु अपरिहार्य कारणों का हवाला देकर इसक़ी रिपोर्ट जाऱी नहीं क़ी गई । कहा जाता है कि प्रकाशित क़ी गई रिपोर्ट में कऱीब 34 करोड लोगों के बारे में जानकाऱी गलत थ़ी ।
जोर पकड़ रही जवाविगत जनगणनवा की मवांग
कमोबेश , हर जनगणना के पहले जात़ीय जनगणना क़ी मांग क़ी जात़ी रह़ी है । किंतु , बिहार विधानसभा में पहि़ी बार 18 फरवऱी , 2019 में तथा फिर 27 फरवऱी , 2020 में सर्वसममलत से प्रसताि पारित कर मांग क़ी गई कि 2021 में होने वाि़ी जनगणना जाति आधारित हो । एक बार फिर मुखयमंत्री ऩीत़ीश कुमार ने केंरि से इस पर पुनर्विचार करने का आग्ह किया है । 1931 क़ी जनगणना के अनुसार देश में अनय पिछड़ी जातियों ( ओब़ीस़ी ) क़ी आबाद़ी 52 प्रतिशत है । मंडल कम़ीशन ने भ़ी इस़ी आंकडे को आधार बनाया था , जिसक़ी रिपोर्ट 1991 में लागू क़ी गई । ओब़ीस़ी क़ी आबाद़ी का सह़ी आंकडा मिलने से क्ेत्रीय दलों को राजऩीलत का नया आधार मिल सकता है । क्ेत्रीय दल हमेशा से जात़ीय जनगणना क़ी मांग करते रहे हैं । किंतु , इस मुद्े पर केंरि में रह़ी कोई भ़ी सरकार अपने हाथ नहीं जलाना चाहत़ी है । इसलिए 2010 में जब केंरि में मनमोहन सिंह क़ी सरकार थ़ी तब भ़ी लालू , शरद यादव व मुलायम सिंह यादव जैसे नेताओं ने इस आधार पर जनगणना क़ी मांग क़ी थ़ी और उस समय प़ी . चिदंबरम सऱीखे नेताओं ने इसका जोरदार विरोध किया था । सरकार को आशंका है कि जाति आधारित जनगणना के बाद तमाम ऐसे मुद्े उठेंगे , जिससे देश में आपस़ी भाईचारा व सौहार्द बिगडेगा तथा शांति वयिसथा भंग होग़ी ।
जिस जाति क़ी संखया कम होग़ी , वे अधिक से अधिक बच्े क़ी वकालत करेंगे । इससे समाज में विषम लसथलत पैदा होग़ी ।
जनसंख्या नियंत्ण कवा पुरजोर विरोध
जनसंखया नियंत्ि कानून का विरोध कर रहे जेड़ीयू का कहना है कि केवल कानून बनाने से जनसंखया नियंलत्त नहीं हो जाएग़ी । मुखयमंत्री ऩीत़ीश कुमार कहते हैं , " जब महिलाएं पूऱी तरह पढ़ी-लिख़ी होंग़ी तो प्रजनन दर कम हो जाएग़ी । हमें लगता है कि 2040 तक जनसंखया में वृद्धि नहीं होग़ी और फिर यह घटना शुरू हो जाएग़ी । ि़ीन को देख ि़ीलजए , वहां अब कया हो रहा है । महिलाओं के लशलक्त होने से समाज के हर वर्ग पर असर होगा ।" हिनदुसताऩी अवाम मोर्चा ( हम ) के
प्रमुख व पूर्व मुखयमंत्री ज़ीतन राम मांझ़ी ने भ़ी इस मुद्े पर ऩीत़ीश का साथ देते हुए ट्वीट किया । ऩीत़ीश कुमार जात़ीय जनगणना को जरूऱी बताते हैं । उनका मानना है कि इस तरह क़ी जनगणना से सभ़ी जातियों को मदद मिलेग़ी और उनक़ी सह़ी संखया का पता चलने से उस आधार पर ऩीलतयां बनाई जा सकेग़ी । पाटटी का मानना है कि इससे पता चल सकेगा कि किस इलाके में किस जाति क़ी कितऩी आबाद़ी है । इस़ी आधार पर उनके क्याि के लिए काम हो सकेगा , साथ ह़ी सरकाऱी नौकरियों तथा लशक्ि संसथानों में उनहें उचित प्रतिनिधिति दिए जाने का रासता साफ हो सकेगा । पाटटी के राष्ट्रीय अधयक् राज़ीि रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने तो लोकसभा में साफ कह दिया कि जब तक जात़ीय जनगणना नहीं होग़ी , तब तक ओब़ीस़ी को पूर्ण नयाय नहीं मिल सकेगा ।
34 दलित आं दोलन पत्रिका tuojh 2022