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कर देश व समाज के विकास में योगदान देने क़ी होड चल रह़ी है । ऐसे में कामकाज़ी महिलाओं के लिए घर व दफतर के अलावा सार्वजनिक शौचालयों क़ी आवशयकता को कैसे नकारा जा सकता है ।
खुद में समस्या हैं उपलब्ध शौचवािय
इस सबसे अलग हटकर देखें तो महिलाओं के लिए उपलबि शौचायल भ़ी समसयाओं से अछूते नहीं हैं । जिन जगहों पर सार्वजनिक शौचालय उपलबि हैं वहां भ़ी महिलाओं को तमाम तरह क़ी समसयाओं का सामना करना पडता है । सबसे बडा सवाल तो सार्वजनिक शौचालयों में महिलाओं क़ी सुरक्ा का ह़ी है । इसके अलावा ये सार्वजनिक शौचालय बहुत गंदे भ़ी रहते है । इन शौचालयों में पाऩी क़ी उपलबिता भ़ी बहुत मुलशकि से ह़ी दिखाई पडत़ी है । इसके सफाई कर्मचाऱी कामचोऱी करते नजर आते हैं । यह सब बहुत असुरलक्त से महसूस होते है । कहीं तो शौचालयों मे कैमरे भ़ी लगे रहते है । पूनम राव जो दिल्ली के रोलहि़ी क़ी निवास़ी हैं उनहें वै्िो देि़ी जममू जाने का अवसर प्रापत हुआ । उनका कहना था कि वहाँ हर जगह लगभग शौचालय तो उपलबि थे पर वे इतने गंदे थे कि इनका उपयोग असंभव था । पॉट के ऊपर तक शौच था और उनके अंदर कोई भ़ी
कूडेदान नह़ी था । जिससे उनहें काऱी कठिनाई का सामना करना पडा । पूनम के मुताबिक वह इस अनुभव को कई सालों के बाद भ़ी अब तक भूल नह़ी पाई हैं । दिशा चौहान जो गुरूग्ाम क़ी निवास़ी है इनका कहना है कि वह अभ़ी कुछ मह़ीने पूर्व ह़ी खाटूशयाम गई थ़ी । वहाँ रासते में दूर दूर तक कोई शौचालय नहीं था जिसके कारण इनके पेट में दर्द हुआ और बहुत तब़ीयत खराब हो गई । जयपुर क़ी निर्मल सोलंक़ी ज़ी अपना अनुभव बतात़ी हैं कि उनहें काम के सिलसिले मे अकसर बाहर जाना पडता रहता है और शौचालय क़ी सुविधा रासते में उपलबि न होना आम बात है । दिल्ली से अि़ीगढ के रासते में भ़ी सार्वजनिक शौचालय क़ी सेवाएँ उपलबि नहीं है और महिलाएँ खुले मे शौच जाने के लिए बाधय हैं । पुरूष तो खुले में कहीं भ़ी फारिग हो लेते हैं लेकिन महिलाओं को बहुत अधिक परेशान होना पडता है । नगर परिषद ने शौचालय के निर्माण पर लाखों रुपए खर्च तो कर दिए लेकिन इन शौचालयों का उपयोग नहीं हो रहा है कयोंकि इन शौचालयों पर ताले लटके रहते हैं । शौचालयों में ताले लटके होने के कारण महिलाओं को काऱी परेशानियों का सामना करना पड रहा है । इस़ी प्रकार दिल्ली से गंगा ज़ी के गढमुकतेशिर के ब़ीि में भ़ी कोई सुलभ शौचालय नह़ी है जिससे खुले मे ह़ी शौच जाने को मजबूर होना पडता है ।
सुविधवा के लिए जवागरूकिवा की जरूरत
पेट्रोल पंप संचालकों क़ी अनिवार्य जिममेदाऱी है कि आम लोगों के लिए मुफत शौचालय क़ी सुविधा उपलब्ध कराएं । इस सुविधा के लिए पेट्रोल पंप कर्मचाऱी पैसे क़ी मांग नहीं कर सकता है । साथ ह़ी यह भ़ी जानना जरूऱी है कि अगर आप शौचालय का इस्तेमाल करना चाहते हैं तो आपके लिए पेट्रोल पम्प से कोई भ़ी खऱीदाऱी जरूऱी नहीं है । इस सुविधा का न होना पेट्रोल पंप क़ी सेवाओं में कम़ी है , जिसके लिए शिकायत क़ी जा सकत़ी है । इसके अलावा माल , डाबे , होटल इतयालद मे भ़ी सार्वजनिक शौचालय क़ी सेवाएं उपलबि रहत़ी हैं । हम इन सेवाओं का उपयोग वहाँ भ़ी कर सकते हैं और सियं को आरामदायक महसूस करवा सकते हैं । केवल इस विषय पर जागरूक होने क़ी आवशयकता है । यदि हम किस़ी यात्ा अथवा टूर पर कहीं जा रहे हैं तो सुलभ शौचालय क़ी लोकेशन को पहले से भ़ी नोटिस में रख सकते हैं । इसके अलावा अपने कर्तवयों के प्रति भ़ी जागरूकता क़ी आवशयकता है । हम हमेशा ऐसा कहते रहेगें कि प्रशासन साफ सफाई का अचछा प्रबंधन नह़ी करता तो हमारा देश कभ़ी सिचछता के लिए नह़ी जाना जाएगा । अभ़ी थोडे दिन पूर्व ह़ी एक वाकया सुनने को मिला कि गंगा नद़ी के घाट पर जो कपडे बदलने के लिए छोटे चेंजिग रूम बनाए गए हैं उनमे औरतें सियं सैनिटऱी नैपकिन फेंक देत़ी हैं और उनका सह़ी से निपटारा नह़ी करत़ी । कुछ लोगों क़ी गलत़ी के कारण बाक़ी सभ़ी को परेशाऩी का सामना करना पडता है । अंत में , सरकार के द्ारा इस दिशा में जो कार्य किए गए , वे प्रशंसा के योगय हैं , लेकिन जो शौचालय बन चुके हैं उनमे साफ सफाई व जरूऱी सामान क़ी उपलबिता हो , ऐसे प्रयास करने क़ी आवशयकता है । इसके साथ औरतों के शौचालयो मे एक कूडेदान भ़ी अवशय होना चाहिए और सफाई के प्रति लोगों में जागरूकता फैलाने क़ी आवशयकता है । �
24 दलित आं दोलन पत्रिका tuojh 2022