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सार््यजनिक महिला शौचालय : ना सुलभ , ना स्वच्छ
महानगरों में भी महिलाओं के लिए समस्ा है शौच शौचालय करी समस्ाओं पर बहुआयामी जागरूकता करी जरूरत
चंचल ढ़ींगरा
जहाँ आज हम महिला सशलकतकरण के विषय पर बड़ी बड़ी बातें करते है और इस विषय पर जागरूकता फैलाने के लिए तरह तरह के सेमिनार व सभाएं भ़ी आयोजित करते रहते है । वहीं दूसऱी ओर यह सवाल आज भ़ी बदसतूर मौजूं है कि कया हम महिलाओं को सह़ी मायने मे मूलभूत सुविधाएँ भ़ी उपलबि करा पाए हैं ? जैसे सार्वजनिक शौचालय क़ी सुविधा ?
शौचवािय की उपलब्धिवा है समस्या
यह प्रश्न बहुत विचारि़ीय है कयोंकि आज भ़ी महिलाओं को इस समसया से दो — दो हाथ करने पडते हैं । खास तौर से महानगरों में महिलाओं के लिए शौचालय क़ी उपलबिता आज भ़ी बड़ी समसया बऩी हुई है । घर से बाहर निकलने के बाद अगर महिलाओं को शौचालय क़ी आवशयकता हो तो उनके लिए इसका उपलबिता आज भ़ी सहज व सुलभ नहीं है । अविि तो सार्वजनिक महिला शौचालय क़ी उपलबिता ह़ी
शौच रोकने से होने िवािी समस्याएं
जयादा देर तक पेशाब रोके रहने से यूट़ीआई याऩी यूरिनऱी ट्ररैकट इंफेकशन का खतरा बढ सकता है । यूरिन रोकने के कारण ह़ी यह संक्रमण फैलता है । दरअसल , मानव मूत् में तरह-तरह के रिि होते हैं लेकिन इसमें बैक्टीरिया नहीं होते जबकि यूट़ीआई से ग्लसत होने पर मूत् में बैक्टीरिया भ़ी होते हैं । जयादा देर तक टॉयलेट को रोकना किडऩी पर भ़ी असर डाल सकता है । इतना ह़ी नहीं एक शोध में ऐसा पाया गया है कि टायलेट को रोकने से किडऩी पर कई तरह के जखम बन जाते हैं जिससे भवि्य में किडऩी से संबंधित कई ब़ीमारियां जनम ले सकत़ी हैं । यहां तक कि इससे किडऩी में पथऱी का भ़ी खतरा हो सकता है । जयादा समय तक बाथरूम को रोकने से इंसान को गॉल बिैडर का खतरा भ़ी बढ जाता है । इससे इंसान के शऱीर में गॉल बिैडर का आकार अलसथर हो जाता है और पेशाब में नियंत्ि पाना भ़ी मुलशकि हो जाता है , जिसक़ी वजह से पेशाब करने में कई तरह क़ी दिककतें आत़ी हैं और कई बार जयादा परेशाऩी बढने पर सर्जऱी क़ी नौबत भ़ी आ सकत़ी है । जयादा देर तक पेशाब रोकना पेट में दर्द का कारण भ़ी बन सकता है । इससे किडऩी पर असर पडता है , साथ ह़ी इससे पेशाब को बाहर निकालने में कठिनाई का सामना करना पडता है । सिचछता क़ी दृष्ट से रैंकिंग में पहले सथान पर लसलककम , दूसरे सथान पर केरल , त़ीसरे सथान पर मिजोरम , चौथे सथान पर हिमाचल प्रदेश को रखा गया है और हमें अभ़ी बाक़ी राजयों मे भ़ी सिचछता के नव आयामों को रचना बाक़ी है ।
22 दलित आं दोलन पत्रिका tuojh 2022