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देखने में तो दलित समाज एक लगता है , लेकिन अंदर उनके भी पाले बंटे हुए हैं । दलित समाज में सबसे ज्यादा जाटव जाति का हिससा है , जिससे खुद मा्यावती आती हैं । ्यह जाति तो पूरे तौर पर बहुजन समाज पाटटी के साथ जुडी रही है । लेकिन , बाकी जामत्यां उस हद तक मा्यावती के लिए गोलबंद नहीं रही हैं । क्योंकि , जाटव के साथ उनका संबंध में नहीं बन पाता है । तमाम मौके पर वे दूसरे राजनीतिक पाले में खडे हो जाते हैं । 2009 के लोकसभा चुनाव में बाराबंकी से मा्यावती के प्मुख सचिव रह चुके पीएल पुमन्या कांरिेस के टिकट पर चुनाव लड रहे थे । बाराबंकी अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरमक्त सीट है । मा्यावती ने पूरी ताकत लगा रखी थी कि पीएल पुमन्या चुनाव ना जीत पाएं । लेकिन , वह जीत गए । वजह ्यही मानी गई कि उस सीट पर पासी जाति के वोट ज्यादा हैं और वह कांरिेस के साथ गोलबंद हो गए थे । ्यानी
सूबे में बसपा का शासन होते हुए भी दलित समाज को अपने पक् में पूरी तरह गोलबंद रखना उसके लिए संभव नहीं हो पा्या था । इसलिए बसपा को दलित वोटों का ठेकेदार बताने की जो कोशिश होती है उसकी हकीकत उतनी खुशनुमा जब तब नहीं थी तो अब कितनी होगी इसे आसानी से समझा जा सकता है ।
रिजर्व सीटों पर जाति की ठेके दारी को ठोकर
उत्तर प्देश के विधानसभा चुनाव में विधानसभा की आरमक्त सीटें हर राजनीतिक पाटटी के लिए काफी अहम मानी जाती हैं क्योंकि पिछले तीन विधानसभा चुनावों का इतिहास बताता है कि जिस पाटटी ने इन सीटों पर बाजी मारी , सरकार उसी पाटटी की बनी । वैसे इन आरमक्त सीटों पर राजनीतिक दलों की रणनीति सामान्य सीटों से अलग होती है , क्योंकि इन
सीटों पर उममीदवार भले अनुसूचित जाति का होता है , लेकिन जीत-हार लगभग सभी जामत्यों के वोट से त्य होती है । चुंकि आरमक्त सीटों पर सभी उममीदवार अनुसूचित जाति के होते हैं । इस चलते अनुसूचित जामत्यों के वोट ्यहां बंट जाते हैं । ऐसे में दूसरी जामत्यों के वोट निरा्ण्यक हो जाते हैं । ऐसी ससथमत में आरमक्त सीटों पर गैर-अनुसूचित जामत्यों के वोटों को लेकर उममीदवारों के ््यन में इस बात का खास ख़्याल रखा जाना लाजिमी है कि अपनी जाति के अलावा उनकी दूसरी जामत्यों में कितनी पैठ है । वैसे भी अब तक ्यही देखा ग्या है कि जिस पाटटी की लहर होती है , आरमक्त सीटों पर अन्य जामत्यों के वोट भी उसी पाटटी के खाते में चले जाते हैं । इस विधानसभा चुनाव में राज्य की कुल 86 सुरमक्त सीटों में से 84 सीटें अनुसूचित जामत्यों की हैं वहीं 2 सीटें अनुसूचित जनजामत्यों के लिए सुरमक्त हैं । बेशक इन सीटों पर
iQjojh 2022 दलित आं दोलन पत्रिका 9