eMag_Feb2022_DA | Page 7

doj LVksjh

भी नहीं कर रही है । बसलक कोरोना महामारी की चपेट में आने से बचने के बहाने बंद कमरे से संगठन का संचालन कर रही बसपा सुप्ीमो मा्यावती ने अपने का्य्णकर्ताओं से सार्वजनिक तौर पर अपील कर दी है कि वे भी कोरोना से खुद का बचाव करने में कोताही ना करें । ्यानी इशारा साफ है कि भाग्य भरोसे जो प्ापत हो जाए उसे ही प्या्णपत मान लेने का बसपा ने मन बना मल्या है । लेकिन सपा इतनी जलदी सत्य को सिीकार करने के लिए तै्यार नहीं दिख रही है ।
सत्य को झुठलाने के प्रयास में सपा
उत्तर प्देश के मतदाता अब कूप मंडूक बन कर रहने के लिए तै्यार नहीं हैं और वे सिर्फ देश का सांकेतिक नहीं बसलक सामर्थ्य के साथ वासतमिक नेतृति करने के लिए आगे आ रहे हैं । केवल अपनी जाति के नेताओं का हित सुरमक्त करने के बजा्य अब प्देश के लोग रा्ट्र हित को सुरमक्त करने के लिए संगठित हो रहे हैं । इसी का नतीजा है कि जाति के वोट बैंक की राजनीति करने वाले क्ेत्रीय दलों को अब
मतदाताओं ने नकारना आरंभ कर मद्या है । इस सच को लगभग सभी पामट्ट्यां जान भी रही हैं और मान भी रही हैं । लेकिन जातिवादी राजनीति के अंतिम सांस तक का दोहन करने का लोभ संवरण कर पाना समाजवादी पाटटी के लिए संभव नहीं हो रहा है । ्यही वजह है कि जाति के समीकरण को साधने का उसने हर चुनाव में ्यथासंभव प्रयास करने में कोई कसर नहीं छोडी । पहले ' दो लडके ' के नाम पर अलपसंख्यक वोटों का बिखराव रोकने और सवर्ण वोटों में सेधमारी करने के लिए सपा ने कांरिेस के साथ गठजोड करके चुनाव लडा । लेकिन उसके झांसे में आना प्देश के मतदाताओं को गवारा नहीं हुआ । इसके बाद सपा ने एक बार फिर जाती्य वोटों का समीकरण साधने के लिए बसपा से हाथ मिला्या । बसपा ने भी अनमने भाव से सपा के साथ आने की सिीककृमत दे दी । कागज पर ्यह गठबंधन अभेद्य नजर आ रहा था लेकिन जब
iQjojh 2022 दलित आं दोलन पत्रिका 7