eMag_Feb2022_DA | Page 32

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बेहद शक्तिर्ाली सोर्ल मीडिया
ट्राइबल आमटी के संसथापक हंसराज मीणा एक ताकतवर आवाज़ बनकर उभरे हैं । करोली में जनमे इस का्य्णकर्ता को मालूम है कि किसी मुद्े को ट्िटर पर ट्रेंड कैसे बना्या जाता है । उनहोंने कहा , ‘ 2019 में मैंने देखा कि राजनीतिक दल और सरकारें , सोशल मीमड्या का इसतेमाल प््ार और शासन के लिए कर रही हैं । ्यही वो सम्य था जब मैंने ऐसे मुद्ों को ट्िटर इकोसिसटम में लाना शुरू मक्या ।’ आज उनके 4,40,000 फॉलोअर्स हैं और 1,30,000 लोग ट्राइबल आमटी से जुडे हैं । उनहोंने कहा , ‘ कम से कम अब ्ये मामले पसबलक डोमेन में हैं । पहले तो ्ये नज़र ही नहीं आते थे । 100 मामले जिनके बारे में मैं जानकारी डालता हूं , उनमें कम से कम 40 प्मतशत का राज्यों विारा संज्ान मल्या जाता है । फिर मैं उन मामलों के पीछे लगता हूं और लोगों से कहता हूं कि आगे की कार्रवाई के लिए एसडीएम और डीएम से जाकर मिलें ।’ किशन मेघवाल जो एक वकील हैं और जोधपुर हाई कोर्ट में वकालत करते रहे हैं , दलित शोषण मुसकत मंच के सदस्य हैं , और उतपीडन के कई मामलों को उठाते हैं । वो कहते हैं , ‘ पिछले एक साल में मैंने ऐसे कम से कम आधा दर्जन मामले अपने हाथ में लिए हैं- एक मामले में एक पेंचकस को पेट्रोल में डछुबाकर एक दलित महिला के रेकटम में घुसा मद्या ग्या , एक दलित महिला के साथ गैंगरेप हुआ और इस ककृत्य को फिल्माया भी ग्या , मूछें उगाने पर एक दलित व्यसकत को पेड से बांधकर बुरी तरह पीटा ग्या और एक अन्य दलित शखस को बुलेट बाइक चलाने के लिए अपमानित मक्या ग्या । वा्यरल वीमड्यो से हमें मदद मिलती है , इससे पता चलता है कि ऐसा अत्याचार हुआ है । पहले तो पुलिस को समझाना ही नामुमकिन होता था ।’ अपने कक् में बैठकर संविधान पढते हुए और गर्व के साथ मूछों और एक टोपी के साथ , किशन कहते हैं कि जब उनहोंने गांवों में मूछें रखने पर नौजवानों को पिटते हुए देखा , तो उनहोंने अपना
लुक भी बदलकर वैसा ही कर मल्या । ‘ वो मेरा मज़ाक़ उडा सकते हैं , लेकिन मेरी पिटाई नहीं कर सकते ।’
नई टेक्ोलॉजी , पुरानी रवायत
हालांकि सोशल मीमड्या पलेटफॉमस्ण ने एससी और एसटी लोगों को सशकत मक्या है , कि वो अपने ऊपर हो रहे अत्याचार को सबसे सामने ला सकें लेकिन भंवर मेघवंशी जैसे कुछ का्य्णकर्ताओं का कहना है कि इसने उनहें अपमान का शिकार भी बना्या है । दबंग जामत्यां फोन वीमड्योज़ का इसतेमाल निचली जामत्यों को धमकाने के लिए भी कर रही हैं । मसलन , 2019 में अलवर के थानागाज़ी गैंगरेप मामले में बलातकारर्यों ने पीमडता और उसके पति को लमज्त करने और खामोश करने के लिए रेप का वीमड्यो भी बना मल्या । इसी तरह , भीलवाडा में जहां एक ्युवा दलित लडके को बकरी चोरी के शक में एक पेड से बांधकर पीटा ग्या । अमभ्युकतों ने वीमड्यो को इंटरनेट पर अपलोड कर मद्या और पीमडत गा्यब हो ग्या । जब ्ये वीमड्यो ट्िटर और फेसबुक पर वा्यरल हुआ , तो पुलिस ने एक एफआईआर दर्ज कर ली और पीमडत को ढूंढ निकालने में सफल हो गई । का्य्णकर्ता और पुलिस को घटना का पता तभी चलता है , जब वीमड्यो सोशल मीमड्या पर वा्यरल हो जाता है । उस सम्य तक पीमडत का नाम सामने आ जाने के बाद , लमज्त हो चुका होता है । कठिनाइ्यों के बावजूद , ्ये एक ऐसी लडाई है जिसे दलित जीत रहे हैं । इससे उनके रवै्ये में बदलाव आ रहा है और वो एक ऐसे परिदृश्य में उभरकर सामने आ रहे हैं , जो अन्यथा उनहें मन्यमित रूप से नज़रअंदाज़ करता रहता है । अशोक सोशल मीमड्या और शिक्ा दोनों की ताकत से परिचित हैं । वो समझाता हुए कहता है , ‘ अपने गांव में एससी समुदा्य का हमारा पहला परिवार है , जिसने शिक्ा में निवेश मक्या है । बाकी सब अमशमक्त हैं और उनके पास कोई काम नहीं है ।’
द्र्क्षा से सामाजिक समरसता
अशोक के पिता 57 वर्षीय मांगे लाल केवल नौवीं कक्ा तक पढ पाए थे । दबंग राजपूत समुदा्य से लगातार धममक्यां मिलने के बाद परिवार हाल ही में जोधपुर आ ग्या जहां उनहोंने एक कोचिंग सेंटर में एक सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर काम करना शुरू कर मद्या । अशोक की बहन बीएससी करने के बाद अब बीएड कर रही है । उसका बडा भाई एक निजी बैंक में काम करता है । बाडमेर कलेकटर ऑफिस पर , कुछ बुज़ुग्ण राजपूत कुमस्ण्यों पर बैठे हैं , जहां एक दूसरे बलॉक के मेघवाल लोग भी बैठे हैं । दोनों रिुप ्यहां कलेकटर से मिलने आए हैं । कुछ साल पहले तक इस बराबरी की कलपना भी नहीं की
32 दलित आं दोलन पत्रिका iQjojh 2022